आखरी लेख ‘सफर यहीं तक था, कभी-कभी यह सफर ऐसे ही खत्‍म होता है’- इरफान

‘कुछ महीने पहले अचानक मुझे पता चला कि मैं न्यूरोएन्डोक्राइन कैंसर से जूझ रहा हूं, मेरी शब्‍दावली के लिए यह बेहद नया शब्‍द था, इसके बारे में जानकारी लेने पर पता चला कि यह एक दुर्लभ बीमारी है और इसपर अधिक शोध नहीं हुए हैं. अभी तक मैं एक बेहद अलग खेल का हिस्‍सा था. मैं एक तेज भागती ट्रेन पर सवार था, मेरे सपने थे, योजनाएं थीं, अकांक्षाएं थीं और मैं पूरी तरह इस सब में बिजी था. तभी ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे कंथे पर हाथ रखते हुए मुझे रोका. वह टीसी था: ‘आपका स्‍टेशन आने वाला है. कृपया नीचे उतर जाएं.’ मैं परेशान हो गया, ‘नहीं-नहीं मेरा स्‍टेशन अभी नहीं आया है.’ तो उसने कहा, ‘नहीं, आपका सफर यहीं तक था. कभी-कभी यह सफर ऐसे ही खत्‍म होता है.’

‘इस सारे हंगामे, आश्‍चर्य, डर और घबराहट के बीच, एक बार अस्‍पताल में मैंने अपने बेटे से कहा, ‘मैं इस वक्‍त अपने आप से बस यही उम्‍मीद करता था कि इस हालत में मैं इस संकट से न गुजरूं. मुझे किसी भी तरह अपने पैरों पर खड़े होना है. मैं डर और घरबाहट को खुद पर हावी नहीं होने दे सकता. यही मेरी मंशा थी… और तभी मुझे बेइंतहां दर्द हुआ.’

‘जब मैं दर्द में, थका हुआ अस्‍पताल में घुस रहा था, तब मुझे एहसास हुआ कि मेरा अस्‍पताल लॉर्ड्स स्‍टेडियम के ठीक सामने है. यह मेरे बचपन के सपनों के ‘मक्‍का’ जैसा था. अपने दर्द के बीच, मैंने मुस्‍कुराते हुए विवियन रिचर्ड्स का पोस्‍टर देखा. इस हॉस्‍पिटल में मेरे वॉर्ड के ठीक ऊपर कोमा वॉर्ड है. मैं अपने अस्‍पताल के कमरे की बालकॉनी में खड़ा था, और इसने मुझे हिला कर रख दिया. जिंदगी और मौत के खेल के बीच मात्र एक सड़क है. एक तरफ अस्‍पताल, एक तरफ स्‍टेडियम. मेरे अस्‍पताल की इस लोकेशन ने मुझे हिला कर रख दिया. दुनिया में बस एक ही चीज निश्चित है, अनिश्चि‍तता. मैं सिर्फ अपनी ताकत को महसूस कर सकता था और अपना खेल अच्‍छी तरह से खेलने की कोशिश कर सकता था.’

इस सब ने मुझे अहसास कराया कि मुझे परिणाम के बारे में सोचे बिना ही खुद को समर्पित करना चाहिए और विश्‍वास करना चाहिए, यह सोचा बिना कि मैं कहां जा रहा हूं, आज से 8 महीने, या आज से चार महीने, या दो साल. अब चिंताओं ने बैक सीट ले ली है और अब धुंधली से होने लगी हैं.. पहली बार मैंने जीवन में महसूस किया है कि ‘स्‍वतंत्रता’ के असली मायने क्‍या हैं.’इरफ़ान Irrfan’ (साभार)

५४ वर्ष के इरफान शायद भारत के उन गिने-चुने अभिनेताओं में शुमार हैं  जिनकी कई फिल्में ऑस्कर के लिए चयनित हुई हैं, 12 ऐसी फिल्में हैं जिन्हें ऑस्कर के लिए चुना गया, आज जब आसमान से एक सितारा गिरने का नासा से लाईव चल रहा था, तब हमारे देश का एक सितारा आसमान जा रहा था, मुंबई के कोकिला बेन चिकित्सालय में अभिनेता इरफ़ान का निधन हो गया।

 शोशल मीडिया पर आयी कुछ त्वरित प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं :-

१-अभिनेता इरफ़ान खान अब इस दुनिया मे नहीं रहे। अकेले सारे मुल्लों से लड़ते थे बुराई के खिलाफ।
श्रद्धांजलि 🚩🚩🚩

२-पान सिंह तोमर जैसे सशक्त अभिनय से अपनी कलाकारी का लोहा मनवाने वाले इरफान को मेरी विनम्र श्रधांजलि।💐💐🌷🌷🌹🌹😪😪😪😪

३-सारे हिन्दू आज एक मुस्लिम को श्रद्धांजलि दे रहे हैं कभी किसी मुसलमान ने पालघर के साधु-संतों पर दुख जताया योगी आदित्यनाथ के पिता जी के निधन पर सब हाँस रहा था 👉सुधर जाओ यार

४-मुहब्बत थी इसलिये जाने दिया
जिद होती तो बाहों में होती
# नमन इरफान खान

५-इरफान खान मरा मैंने हजारों हिंदुओं को फोटो डालते देखा किसी मुसलमान ने मुंबई में मारे गए दो संतों की एक भी फोटो नहीं डालते देखा

६- आज पता चला जिंदगी लम्बी हो न हो बड़ी होनी चाहिए*”परिपक्वता” इसमें नहीं है कि आपको कितना “ज्ञान” हैं या आप कितने “शिक्षित” हैं…!!*
*बल्कि इसमें है कि आप किसी “जटिल” स्थिति से “शांति” से “निपटने” में कितने “सक्षम” हैं….!*

७-आज एक ऐसे मुस्लिम अभिनेता का निधन हुआ जिसे भारत में कभी डरना नहीं पड़ा़.. 🙏ऊँ शांति 🙏

८-मुस्लिमों से नफरत करते है बोलने वालों आज इरफान खान के लिए देशवासियों का प्यार भी देख लेना💘
नफरत कसाब वाली करतूतों से है कलाम और इरफान तो दिलों में बसते है💯

९-|| ॐ जय श्रीराम ||

#साहबजादे_इरफान_अली_खान:का जन्म एक पठान मुस्लिम ​परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम जागीरदार खान था. वे टायर का व्यापार करते थे. इरफान ने पठान मुस्लिम परिवार में जन्म होने के बाद भी कभी मीट या मांस नहीं खाया था और वे बचपन से ही शाकाहारी थे. यही कारण है कि उनके पिता इरफान को मजाक में कहा करते थे कि ये तो पठान परिवार में एक ब्राह्मण पैदा हो गया है.कठमुल्लों को भी इरफ़ान खरी खरी सुनाते थे।एनएसडी में इरफान के एडमिशन के कुछ समय बाद उनके पिता का निधन हो गया था और घर की तरफ से मिलने वाले पैसे उन्हें मिलना बंद हो गया थे. एनएसडी से मिलने वाली फेलोशिप के जरिए उन्होंने अपना कोर्स खत्म किया था.इरफान खान ने इसी साल मार्च महीने में मुंबई मिरर को एक Interview दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरे लिए ये दौर रोलर-कोस्टर राइड जैसा रहा, जिसमें हम थोड़ा रोए और ज्यादा हंसे. उन्होंने कहा कि इस दौरान मैं बहुत ही भयंकर बेचैनी से गुजरा, लेकिन कहीं न कहीं मैंने उसे कंट्रोल किया. ऐसा लग रहा था मानो कि आप लगातार अपने साथ हॉपस्‍कॉच खेल रहे हों। इरफान हाई ग्रेड न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर से जूझ रहे थे. वो इससे रिकवर करने की कोशिश में लगे हुए थे. इसी बीच उनकी मां के निधन की खबर आई और तुरंत ही इरफान की हालत बिगड़ने की चर्चाएं शुरू हो गईं। इरफान के रूप में इंडस्ट्री ने एक बेहतरीन इंसान और एक बेहद टैलेंटेड एक्टर को खो दिया है. इस खबर ने फिल्म इंडस्ट्री से लेकर उनके फैंस तक सभी को हिलाकर रख दिया है. उन्‍हें तीन बार #फिल्मफेयर और सर्वश्रेष्ठ ‍अभिनेता के तौर पर फिल्‍म ‘पान सिंह तोमर’ के लिए ‍#राष्ट्रीय_पुरुस्कार ‍भी मिल चुका है.उन्हें ‍#पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.अच्छे और सच्चे इंसान को धर्म और जात से ऊपर उठकर सभी सम्मान देते हैं। ॐशाँति। शाँति। शाँति।