जीवन मंत्र, परफैक्ट शिक्षाप्रद सूत्र

शिक्षाप्रद सूत्र

१. चुप पंडित और मैली वैश्या अपना घर नष्ट करते हैं।
२. व्यक्ति की लम्बाई से छोटी खटिया उस पर बहुत बढ़ी विपत्ति है।
३. नस काटने वाली जूती, बात काटने वाली स्त्री, , और बाबला भाई — ये चार बड़े दुःख हैं।
४. जो सिर पर बोझा लिए हुए भी गाता है, वो मूर्ख है।
५. जो उधार लेकर क़र्ज़ देता है, जो छप्प्पर के घर में ताला लगाता है और जो साले के साथ बहन को भेजता है, इन तीनों का मुह काला होता है।
६. आलस्य और नींद किसान का, खांसी चोर का, कीचढ़ वाली आंखें वैश्या का और दासी साधू का नाश करती है।
७. ढोल, गंवार और अंगारा तीनों फूटने से नष्ट हो जाते हैं; मगर ककडी, कपास और अनार फूटने से बन जाते हैं मतलब मूल्यवान हो जाते हैं।
८. भूरे रंग की हथिनी, गंजे सिर वाली स्त्री और पौष माह की वर्षा बहुत शुभ है, ये किसी किसी को नसीब होते हैं।
९. बगुले के बैठने से पेड का नाश हो जाता है, गोभी के जमने से खेत नष्ट हो जाता है; मुढिया (वह साधू जो सिर मुढ़ाये रहता है ) जिस घर में आता जाता है वह घर नष्ट हो जाता है , राजा लोभी हो तो उसका राज नष्ट हो जाता है।
१०. खेती करना, चिठ्ठी लिखना, विनती करना और घोढे की तांग कसना, अपने ही हाथ से करना चाहिए अगर लाख आदमी भी साथ हो तब भी स्वयं करना चाहिए।
११. जो दूसरे के घर में रहता है, स्त्री के कहे पर चलता है और दूसरे गाँव में ईख बोता है, ये तीनों ही नष्ट हो जाते हैं।
१२. चैत्र में गुढ़, बैसाख में तेल, जेठ में राह, आषाढ़ में बैल, सावन में साग, भादों में दही, कुवार में करेला, कातिक में मठ्ठा, अघहन में जीरा, पौष में धनिया, माघ में मिश्री, और फाल्गुन में चना हानिकारक है।
१३. कुवार में गुड, कातिक में मूली, अघहन में तेल, पौष में दूध, माघ में घी वाली खिचडी, फाल्गुन में सुबह उठ कर नहाना, और चैत्र में नीम लाभकारी होता होता है।
१४. चटकीली मटकीली स्त्री और चौंकने वाला बैल दोनों गृहस्थ के दुश्मन हैं।
१५. जिसकी पुत्र वधु ढीठ हो, कन्या घमंडी हो, पति निर्दयी हो, और घर में खाने के लिए अन्न न हो, वो स्त्री अभागिन है।
१६. बरसात का न होना, स्त्री का पिता के घर होना, पुत्र का परदेश में होना और पति का बिस्तर पर बीमार पडे रहना, ये दुःख की सीमायें हैं।
१७. ढीली ढाली खाट, वात रोग से व्यथित देह, कुलटा स्त्री, बाज़ार में घर और भाई का बिगड कर दुश्मन से मिल जाना, ये विपत्ति की हद हैं।
१८. पुत्र अपनी डाट-डपट नहीं मानता, भाई नित्य झगढ़ा करता है और बटवारा चाहता है, स्त्री झगडालू और कर्कशा है, पास पडोस सब दुष्ट बसे हुए हैं, मालिक न्याय अन्याय का विचार नहीं करता ये अपार विप्पतियाँ हैं।
१९. जहाँ नौकर चोर और राजा निर्दयी हो वहां धैर्य रखना बेकार है।
२०. दूसरों के भरोसे पर व्यापार करने वाला, संदेशे के द्वारा खेती करने वाला, बिना वर देखे बेटी का ब्याह करने वाला तथा जो दूसरों के द्वार पर धरोहर गाडता है, ये चारों छाती पीट कर रोते हैं।
२१. जो सबसे पहले खेत बोता और सबसे पहले मारता है, वो कभी नहीं हारता है।
२२. प्रेम को हंसी नष्ट कर देती है और जो बासी रोटी खाते हैं उनकी बुद्धि नष्ट हो जाती है।
२३. जो नीच आदमियों से लेनदेन करता है, जो दी हुई चीज़ का दम हंस कर मांगता है और जिसे आलस्य घेरे रहता है, ये तीनों निकम्मे हैं।
२४. रिश्वतखोर हाकिम, कपटी मित्र और चोर पुत्र को गहरे पानी में डुबो देना चाहिए।
२५. नीच प्रक्रति का मंत्री राजा का, काई तालाब का, फूट मान मर्यादा का और बिवाई पैर का नाश करती है।
२६. आठ गाँव का चौधरी हो या बारह गाँव का राव, पर जो अपने काम न आये वो ऐसी तैसी में जाये।
२७. आम, नीबू और बनिया गला दबाने से ही रस देते हैं और कायस्थ, कौवा मुर्दे से भी रस लेते हैं।
२८. चोर, जुआरी, गंठ्कता और छिनाल स्त्री अगर सौ सौगंध भी खाए तो इनका विश्वास न करना चाहिए।
२९. छज्जे की बैठक बुरी होती है, परछाई की छाया बुरी होती है, इसी प्रकार निकट का चाहने वाला बुरा होता है जो नित्य उठकर बांह पकडता है।
३०. जो घर में बैठे बैठे बातें बनाता है, उसकी देह पर न वस्त्र होता है न पेट में भात अर्थात वो गरीब हो जाता है।
३१. अहीर की मित्रता और बादल की छाया का भरोसा नहीं करना चाहिए।
३२. चने की खेती, कसाई की जीविका और कन्याओं की बढ़ती, अगर इनसे भी धन न घटे तो अपने से जबरदस्त से झगड़ा कर लेना चाहिए।
३३. जो आदमी ताल में नहाता और ओस में सोता है, उसे देव नहीं मारते वो खुद ही मर जाता है।
३४. जिस आदमी की छाती पर एक भी बाल न हो उससे सबको सावधान रहना चाहिए।
३५. माँ का गुण पुत्र में आता है और पिता का गुण घोड़े में आता है, यदि बहुत न हुआ तो थोड़ा तो होता ही है।
३६. पुत्र पिता के धर्म से बढ़ता है पर खेती अपने ही कर्म से होती है।
३७. जिस किसान का उठना-बैठना ऊँचे दर्जे के आदमियों में होता है, जिसका खेत आस-पास की जमीन से नीचा है तथा राजा का दीवान जिसका मित्र है, उसका शत्रु क्या कर सकता है ?
३८. घर में रात-दिन की लड़ाई, ज्वर के बाद की भूख, कन्या से छोटा दामाद और निर्बुद्धि भाई ये अपार दुःख हैं।
३९. बदली के बाद होने वाली धूप और साझे का काम बहुत बुरे हैं।
४०. जो स्त्री दूसरे का मुंह देखकर अपना मुंह ढँक लेती है, चूढी, कंगना और नथ टोने लगती है और फिर आँचल हटा कर पेट दिखाती है, वह क्या अब डंका बजाके कहेगी।
४१. यदि ठाकुर (राजा या जमींदार) लड़का हो और उसका दीवान बुड्ढा तो उन दोनों में मेल नहीं रह सकता।
४२. कुदाल का बेंत ढीला होना, स्त्री का हंसकर बात करना और हंसकर दाम मागना ये तीनों काम अच्छे नहीं हैं।
४३. खेती का पेशा सबसे अच्छा है, व्यापार मध्यम और नौकरी निषिद्ध है, भीख मागना सबसे बुरा है।
४४. बिना चोट पहुंचाए हुए अगर किसी को मारना चाहो तो उसे ये सलाह दो की वो अरबी की सब्जी और पूरी खाया करे।
४५. भेद जानने वाला नौकर, सुन्दर स्त्री, पुराना वस्त्र और दुष्ट राजा की बड़ी सावधानी से सँभाल करनी पड़ती है।
४६. मारकर टल जाओ, खाकर लेट जाओ।
४७. खाकर पेशाब करे और फिर बायीं करवट लेट जाये तो वैद्य के पास जाने की कभी जरूरत नहीं पड़ेगी।
४८. प्रातः काल खाट पर से उठते ही तुरंत पानी पी लिया करे तो कभी बीमार न होई।

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