देहरादून शहर पर भी हैदराबाद की तरह अतिक्रमण से सैलाब का खतरा ?

देहरादून शहर भी हैदराबाद की तरह अतिक्रमण से सैलाब का खतरा ? – – – हरीश मैखुरी
==========================#हैदराबाद शहर बुरी तरह #अतिक्रमण की चपेट में है वहां नालियों एवं सड़कों पर केवल अतिक्रमण ही नहीं है बल्कि गंदगी का अंबार भी है, बता दें कि जो लोग वहां गंदगी करते हैं वे सफाई नहीं करते, सफाईकर्मी सीमित हैंं और गंदगी असीमित। फलस्वरूप एक दिन की बारीस से ही वहां की सड़कों में #बाढ़ आ गयी, जिसमें 30 से अधिक लोग मारे गये और करोड़ों का नुकसान हुआ। हैदराबाद में बड़ा नुकसान ऐसे लोगों का भी हुआ जिनकी अतिक्रमण में कोई भूमिका नहीं थी। ठीक वैसे ही #देहरादून शहर के लखीबाग, आईएसबीटी, गांधी रोड़, मेहूवाला, आजाद कालोनी, किद्दूवाला, टर्नर रोड़ आदि जगहें भी तेजी से अतिक्रमण की चपेट में हैं। अतिक्रमणकारी एक छोटा खोका पहले किराए पर लेते हैं फिर उन जगहों पर कबाड़ की दुकान, गैराज, शटरिंग का सामान, कबाड़ी माल बेचने का सामान, रजाई गद्दे, लकड़ी शब्जियों के खोके, फर्नीचर, आदि पूरी सड़क पर फैला देते हैं। नालियों पर धीरे-धीरे पक्का कब्जा कर देते हैं। उसी तरह कागजों में थोड़ी जमीन कहीं खरीदते हैं और उसकी आड़ में कब्जा शहर के बिजनेस प्वाइंट पर कर देते हैं। फिर देहरादून जैसे साफ-सुथरे शहरों को नर्क बनाने लगते हैं। इसी कारण आईएसबीटी सहित शहर के अनेक इलाके जरा जरा सी बारीस में लबालब होने लगते हैं। #त्रिवेंद्र सरकार देहरादून को स्मार्ट सिटी बनानेे के लिए रात-दिन एक किए हैं, लेकिन अतिक्रमणकारी शहर को बदरंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ते, जहां मौका लगा वहीं कब्जा। उत्तराखंड सरकार को परामर्श है कि देहरादून सहित उत्तराखंड के हर शहर में #अतिक्रमण_निरोधी_दस्ते तैयार किए जाएं जिनमें वकील, पुलिस, तहसील के कर्मचारी एवं नगर निकाय के कर्मचारी हों। वे अतिक्रमण कारियों का #मौके पर ही कम से कम 5000 का चालान करें। #अतिक्रमणकारियों के जो सामान सड़क या नाली घेर कर रखा हुआ दिखेे उसे जफ्त करें और उसकी मौके पर ही नीलामी करें। इसी चालान की रकम से ही इस अतिक्रमण निरोधी दस्तों के कर्मचारियों वेतन यात्रा व्यय आदि का खर्चा वहन हो। ये दस्ता दिन में 2बार अतिक्रमण की चपेट में आने वाली जगहों का चक्कर लगाएं तब जाकर अतिक्रमण पर अंकुश लगाने में सफलता मिल सकेगी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी #अजयमोहन_जोशी और महापौर #सुनील_उनियाल_’गामा’ के प्रयासों से पलटन बाजार और तहसील रोड़ का अतिक्रमण काफी हद तक रुकता है, लेकिन ज्यों ही इनका ध्यान हटता है आक्रमणकारी फिर सड़क पर दुकान सजा देते हैं। महापौर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि’ हम अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए प्रयासरत हैं, लोगों के सहयोग से ही इसमें सफलता मिलेगी’। असल में देखा गया है कि #ढीठ_अतिक्रमणकारी लातों के भूत हैं, लोकतंत्र की दुहाई या केवल कानूनी खानापूर्ति से ही इन अतिक्रमणकारियों को रोका नहीं जा सकता, इन पर कठोर #निषेधात्मक कार्यवाही आवश्यक है।

ऐसे ही उत्तराखंड के दर्पण देहरादून शहर में कुछ लोगों ने मीट अंडे मुर्गी मछली की अनियंत्रित दुकानें खोलकर सड़कों को #बदबूदार और #विभत्स बना दिया है। कानूनी रूप से आप मीट मुर्गे बकरे की हत्या करके उसे दुकानों पर टांग नहीं सकते खुले में मीट की बिक्री नहीं कर सकते हैं, नहीं आप जिंदा मुर्गों को #जालीदार_केब में दिनभर सड़क किनारे यूं सताने के लिए रख नहीं सकते। लेकिन देहरादून शहर में आपको जगह-जगह हर गली हर सड़क पर यह विभत्स और बदबूदार दृश्य दिख जाएंगे। इनके चालान के लिए भी यही टीम अधिकृत हो। अन्यथा देहरादून शहर भी हैदराबाद बनने की राह पर है। हम अनेक बार गोआ गये हैं वहां चाय की दुकान पर भी आपको नानवैज और शराब मिल जायेगी। लेकिन उसके लिए अलग केबिन है वहां मीट मुर्गे और शराब देहरादून की तरह प्रदर्शित नहीं किया जाता। इस संदर्भ में देवभूमि को गोवा से सीख लेने की आवश्यकता है।