आज सुबह भगवान मदमहेश्वर और अपराह्न साढ़े तीन बजे भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद, देवपूजा हुई शुरू

उच्च हिमालय श्रृंखला में स्थित द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट आज 19 नवंबर को प्रात: बंद हुए ।

* बर्फ से ढ़का है मद्महेश्वर धाम।

* कपाट बंद होने के बाद श्री मद्महेश्वर जी की डोली देवनिशानों के साथ प्रथम पड़ाव के लिए प्रस्थान हुई 22 नवंबर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी।

* पंच केदारों में श्री केदारनाथ धाम, श्री तुंगनाथ, श्री रूद्रनाथ जी के कपाट पहले ही बंद हुए।

* चारधाम श्री केदारनाथ, गंगोत्री -यमुनोत्री के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो चुके आज शाम 3 बजकर 35 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।

मद्महेश्वर/ रांसी/ उखीमठ: 19 नवंबर द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट आज बृहस्पतिवार 19 नवंबर 2020, (4 गते मार्गशीर्ष) प्रात: 7 बजे इस शीतकाल के लिए बंद हो गये हैं।
ब्रह्ममुहुर्त में मंदिर खुल गया था उसके पश्चात भगवान मद्महेश्वर जी पूजा-अर्चना दर्शन हुए। तत्पश्चात पुजारी टी.गंगाधर लिंग ने स्यंभूशिवलिंग का समाधि पूजा शुरू की उसके बाद शिवलिंग को समाधि दी गयी।
बाबा मद्महेश्वर के जयकारों के बीच ठीक सात बजे प्रात: द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये गये। इस अवसर पर देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी- कर्मचारी, वेदपाठी- पुजारी गण स्थानीय लोग एवं सीमित संख्या में श्रद्धालु जन भी मौजूद रहे। श्री मद्महेश्वर धाम में भी में मौसम सर्द है तथा बर्फ जमी हुई है।
द्वितीय केदार श्री मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट बंद होने के पश्चात श्री मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली ने मंदिर की परिक्रमा की तथा प्रथम पड़ाव
गौंडार गांव को प्रस्थान किया। कार्यक्रमानुसार 20 नवंबर को मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली द्वितीय पड़ाव रांसी, 21 नवंबर को तृतीय पड़ाव गिरिया तथा 22 नवंबर को अपने गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुचेंगे। इसी दिन परंपरागत रूप से मध्यमहेश्वर मेला आयोजित होगा। 22 नवंबर को रावल जी के प्रतिनिधि श्री केदालिंग जी उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह, कार्याधिकारी एन.पी.जमलोकी, पुजारी बागेश लिंग, केदारनाथ धाम के पुजारी शिवशंकर लिंग, सहायक अभियंता गिरीश देवली,वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल, कोषाध्यक्ष आर सी तिवारी, प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर पुष्पवान, प्रबंधक प्रदीप सेमवाल सहित केदारनाथ विधायक मनोज रावत,पूर्व विधायक आशा नौटियाल जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भट्ट , देवानंद गैरोला, पुष्कर रावत तथा स्थानीय जनता, तीर्थ यात्री श्री मद्महेश्वर जी की डोली की मंगोल चौंरी में स्वागत करेंगे।
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने बताया कि भगवान मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली अपने देवनिशानों के साथ शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी और श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान मद्महेश्वर जी की शीतकालीन पूजाएं भी शुरू हो जायेंगी।
उल्लेखनीय है कि पंच केदारों में शुमार ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट 16 नवंबर, तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 4 नवंबर, चतुर्थ केदार रूद्रनाथ जी के कपाट 17 अक्टूबर को बंद हो गये है।
चार धामों में श्री गंगोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर,श्री यमुनोत्री धाम एवं श्री केदारनाथ धाम के कपाट 16 नवंबर को बंद हो चुके हैं जबकि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट भी आज शाम को 3.35 बजे शीतकाल हेतु बंद हो गये हैं।आज अखंड दीप जलाने के बाद यहां देवपूजा हो गयी शुरू। पांच दिन पहले ही हो जाती है कपाट बंद होने की प्रक्रिया। अब तक छ माह होती रही मानव पूजा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस अवसर पर अपने संदेश में कहा कि करोड़ों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक श्री बदरीनाथ मोक्षधाम के कपाट आज अपराह्न 3.35 बजे पूरे विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसके साथ ही द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम के कपाट भी आज सुबह बंद कर दिए गए हैं। गंगोत्री, यमुनोत्री और बाबा केदार के बाद आज भगवान बदरीविशाल के कपाट बंद होने के साथ ही शीतकाल के लिए चारधाम यात्रा का भी समापन हो गया। कोविड-19 के दृष्टिगत इससे बचाव के सभी मानकों का पालन करते हुए इस सीजन में लगभग 1 लाख 8 हजार श्रद्धालुओं ने भगवान बदरीविशाल के दर्शन कर पुण्य लाभ कमाया। इस वर्ष चारधाम यात्रा में लगभग 2 लाख 75 हजार श्रद्धालुओं/तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए। मैं आभारी हूँ सभी श्रद्धालुओं/तीर्थयात्रियों, स्थानीय जनता एवं मंदिर समिति का जिन्होंने कोविड-19 से सभी मानकों का पालन करते हुए यात्रा को सही से संपन्न कराने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। मैं भगवान बदरीविशाल से सभी की सुख-समृद्धि एवं शांति की कामना करता हूं। जय भगवान बद्रीविशाल।