चमोली – लाख मुसीबत आई फिर भी नही तोड़ पाई कलावती के होंसले , गाँव को कर  दिया जगमग 

रिपोर्ट –संदीप कुमार –चमोली—उत्तराखंड 
 आज हम आपको उस महिला “ कलावती रावत ” के बारे में बताएंगे जो उत्तराखंड के सीमांत जिला चमोली के बछेर गाँव,  के  एक गरीब परिवार से आती है  वह  लकड़ी माफ़िया, शराब माफियाओं  से लोहा  लेने की हिम्मत रखती है और साथ ही वह उन लोगों के लिए भी ज़िंदगी बेहतर बनाती है, जो उनके आसपास रहता है। 1980 के दशक की शुरुआत में कलावती की शादी 17 साल की उम्र में ही हो गयी थी I गाँव में अंधेरा होने के बाद उनका जीना मुश्किल हो रहा था। गाँव में बिजली नहीं थी और पहाड़ियों में अंधेरा होते ही उसे जीवन कठिन लगता था।
उन्होंने गांव की महिलाओं के एक समूह का नेतृत्व किया और 25 किलो मीटर दूर पैदल दुरी तय कर जिला मुख्यालय गोपेश्वर जिलाधिकारी कार्यालय में धरना प्रदर्शन कर  विद्युत् विभाग के अधिकारीयों से बात की कि उनके गांव को विद्युतीकृत किया जाएI अधिकारियों ने उनसे वादा किया कि जल्द ही गाँव को बिजली उपलब्ध करा दी जाएगी लेकिन हमेशा की तरह सरकारी विभागों ने अपने वादे को पूरा नहीं किया है Iएक दिन जब वे अपने गाँव वापस जा रहे थे, तो उन्हें बिजली के खंभे दिखाई दिए। श्रीमती रावत ने महिलाओं से इन खंभों को अपने कंधों पर उठाने का आग्रह किया क्योंकि उनका गाँव केवल 500 मीटर की दूरी पर था। अधिकारियों ने तब इन महिलाओं को आपराधिक मामला दर्ज करने के बारे में धमकी दी थी लेकिन महिलाएं अड़ी थीं। सरकारी अधिकारियों ने आखिरकार मांग की और कलावती अपने गाँव में बिजली पहुँचाने में सक्षम हो गई।
 कलावती रावत का कहना है की उम्होने विषम परस्थितियों होने के बावजूद भी अपनी महिला साथियों की मदद से अपने गाँव में बिजली पहुँचाने में सफल हुई हुई । साथ ही उन्होंने लकड़ी माफ़िया, और  शराब माफियाओं का भी जमकर विरोध किया I तब से लेकर आज तक हमारे गाँव में अवैध शराब बनना ही बंद हो गया और हमारे जंगल भी बच गये Iगाँव की महिलायेन सकून की ज़िन्दगी जी रही हैं I हमने शराबबंदी से छुटकारा पाने में कामयाबी हासिल की और कई परिवारों को बचाया गया है। अब कोई भी पेड़ नहीं गिरता है और जंगल में रहने वाले लोगों को मसाले और फलों की तरह लकड़ी से भरपूर उत्पादन प्राप्त होता है।