नमामि गंगे अभियान को पलीता लगाता लोक निर्माण विभाग

कहने को चमोली जिला ओडीएफ (खुले में शौच मुक्ति) हो गया और नमामि गंगे अभियान के लिए भी करोड़ों रुपया गंगा सफाई अभियान के नाम पर ठिकाने लगाए जा रहे हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं को कैसे पलीता लगता है और विष्णुपदी गंगा अपने मूल से ही कैसे दूषित हो रही है इसी का उदाहरण है, पांचवें धाम श्री हेमकुंड साहिब के प्रमुख पड़ाव गोविंदघाट में स्वच्छ भारत मिशन को जिम्मेदार ही पलीता लगा रहे हैं। प्रांतीय खंड लोनिवि गोपेश्वर ने यहां सार्वजनिक शौचालय तो बना दिए, लेकिन कपाट खुलने के 14 दिन बाद भी उनके ताले नहीं खोले गए हैं। ऐसे में हेमकुंड साहिब पहुंच रहे हजारों यात्री खुले में शौच करने को मजबूर हैं। इसका असर इस उच्च हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण पर भी पड़ रहा है। लगता है लोक निर्माण विभाग सिर्फ कमीशनखोरी के लिए भवनों का निर्माण हाथ में लेता है और कमीशनखोरी के बाद जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है। गोविंदघाट के शौचालयों को अब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सुपुर्दगी में देने की बात कर रहा है, लेकिन प्रबंधक कमेटी पानी की व्यवस्था किए बिना शौचालयों को लेने के लिए तैयार नहीं है।

यात्रा शुरू होने से पहले हेमकुंड साहिब यात्रा पड़ावों पर व्यवस्थाएं चाक-चैबंद करने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे। लेकिन, हाल यह है कि यात्रा के मुख्य पड़ाव गोविंदघाट में लोनिवि की ओर से यात्रियों की सुविधा के लिए बनाए गए सार्वजनिक शौचालयों के ताले अब तक नहीं खोले गए। विदित हो कि लोनिवि गोपेश्वर ने गोविंदघाट में महिला व पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए हैं। लेकिन, इनमें पानी की व्यवस्था अब तक नहीं की गई। यही वजह है कि 25 मई को यात्रा शुरू होने के बाद जब लोनिवि ने इन शौचालयों को गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की सुपुर्दगी में देना चाहा तो उसने इन्कार कर दिया। ऐसे में ये शौचालय अनुपयोगी साबित हो रहे हैं।

वहीं लोनिवि के अधिशासी अभियंता धन सिंह रावत का कहना है कि शौचालयों को सुपुर्दगी में देने की कवायद हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू होने के दिन से की जा रही है। हालांकि, शौचालयों की चाबी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सौंपी जा चुकी है। जबकि, गुरुद्वारा प्रबंधक सेवा सिंह ने बताया कि शौचालयों में पानी की व्यवस्था न होने के कारण कमेटी ने इन्हें नहीं लिया। अब गुरुद्वारा के पेयजल कनेक्शन से ही शौचालयों में पानी का इंतजाम किया जा रहा है। इसके बाद ही इन्हें खोला जाएगा, लेकिन इस हीलाहवाली से जहां परेशान यात्री हो रहे हैं वहीं नुकसान हमारी पवित्र अलकनंदा का हो रहा है।