नवरात्रः धन-धान्य और स्वास्थ्य हेतु देवी के 9 रूप और पूजन विधि

पं.  मदन मोहन मैखुरी, मैखुरा /गौचर  चमोली 

सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष चार नवरात्रे आते हैं। शारदीय नवरात्र आश्चिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 सितंबर दिन बृहस्पतिवार से शुभारंभ हो रहा है। इनका समापन 29 सितंबर शुक्रवार नवमी को होगा। इस बार मां देवी दुर्गा का आगमन पालकी पर हो रहा है और उनका प्रस्थान चरणायुध पर होगा। ऐसे में इन नौ दिन तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होगी। नवरात्र के पहले दिन सबसे पहले कलश स्थापना की जाएगी। ज्योतिषों के अनुसार कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 3मनिट से 8 बजकर 22 मिनट तक यानी कि 2 घंटा 19 मिनट रहेगा। सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा आराधना करें। 

कलश स्थापना के लिए सबसे पहले एक पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर थोड़े से चावल रखें। ये चावल गणेश जी के प्रतीक स्वरूप होते हैं। इसके बाद मिट्टी, तांबा, पीतल, सोना या चांदी जिस का भी संभव हो उसका कलश रखें। उस कलश में मिट्टी भरें और साथ ही उसमें थोड़े से समूचे जौ भी डाल दें। इसके बाद कलश पर रोली से स्वास्तिक बना कर मौलि यानि कि रक्षा सूत्र से बांध दें। फिर नारयिल व आम के पत्ते रखते हुए कलश के ढक्कन को चावल से भर दें। इसके बाद उस पर फल, मिठाई पान, सुपारी, पैसे आदि चढ़ाकर दीप जलाएं। और इस मंत्र से देवी का ध्यान और आवाह्न करें। 

*प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।*
*तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति. चतुर्थकम्।।*
*पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।*
*सप्तमं कालरात्रीति.महागौरीति चाष्टमम्।।*
*नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।। 

नौ दिन चलने वाले इन शारदीय नवरात्र में हर दिन विधिवत मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। प्रतिदिन मां का साज श्रृंगार करके उनकी सच्चे मन से अराधना करनी चाहिए मां की पूजा लाल फूल जरूर शामिल करना चाहिए। इसके अलावा सुबह-शाम आरती करनी चाहिए और मां को भोग लगाए हुए प्रसाद को बांट देना चाहिए। नौ दिनों तक दुर्गा सप्तसती, कुंजिका स्रोत, दुर्गा कवच, अर्गला स्त्रोत, कीलक आदि का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि इनका नियमित पाठ करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और जीवन में खुशयिों का आगमन होता है।


नवरात्र में मां के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना, दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन देवी चन्द्रघंटा की और चैथे दिन मां दुर्गा के चैथे रूप देवी कूष्मांडा की पूजा होती है। पांचवें दनि स्कंदमाता, छठे दिन मां के कात्यायनी स्वरूप की, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें दिन मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रो में मां दुर्गा का पृथ्वी पर निवास होता है। इस दौरान माता रानी भक्तों द्वारा की जाने वाली पूजा प्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर विशेष कृपा बरसाती हैं।
यदि प्रत्येक दिवस की पूजा नियम-संयम, विधि-विधान और श्रद्धा से की जाए तो निश्चित रूप से अष्टसिद्धियों और नौ निधियों की माता दुर्गा अवश्य मनोवांछित फल देती है।