श्री बदरीनाथ धाम का नयां मास्टर प्लान तैयार, सालभर पर्यटन के लिए एक्शन प्लान बनाने हेतु भी मुख्यमंत्री के निर्देश

*मुख्यमंत्री ने सालभर पर्यटन के लिए एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिये*

*श्री बदरीनाथ धाम के मास्टर प्लान पर प्रस्तुतीकरण दिया गया*

*मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सलाहकार श्री अश्विनी लोहानी और Federation of Associations in Indian Tourism and Hospitality (FAITH) के महासचिव  श्री सुभाष गोयल के साथ विचार विमर्श किया।*

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य में वर्ष पर्यंत पर्यटन के लिए एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिये हैं।  विशेष तौर पर यात्रा मार्ग पर स्थित पर्यटन स्थलों में यात्रा अवधि के अलावा भी पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है। श्री बदरीनाथ धाम के प्रस्तावित मास्टर प्लान पर तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों के सुझाव भी प्राप्त कर लिए जाएं। शनिवार को मुख्यमंत्री ने प्रदेश में पर्यटन गतिविधियाँ को बढाने के संबंध में

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से  चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सलाहकार श्री अश्विनी लोहानी और Federation of Associations in Indian Tourism and Hospitality (FAITH) के महासचिव  श्री सुभाष गोयल के साथ विचार विमर्श किया। श्री लोहानी ने उत्तराखंड पर्यटन को ब्राण्ड के रूप में विकसित किए जाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने प्रदेश की समृद्ध वाइल्ड लाइफ में भी पर्यटन की काफी सम्भावना बताई। श्री गोयल ने कहा कि उत्तराखंड में हाईएंड टूरिज्म पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इसमें टूरिज्म इंडस्ट्री और पर्यटन से जुड़ी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाए। सचिव पर्यटन श्री दिलीप जावलकर ने उत्तराखंड में पर्यटन के विविध आयामों व वर्तमान में चल रही पर्यटन परियोजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने चारधाम देवस्थानम बोर्ड, होम स्टे, एडवेंचर टूरिज्म, रोप वे प्रोजेक्ट, 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन आदि के बारे मे बताया। 

मुख्यमंत्री भुवनचन्द्र खंडूरी ने बद्रीनाथ और केदारनाथ में सभी तरह के निर्माण कार्यों पर रोक लगाई थी बावजूद इसके मंदिर परिसर के साथ ही मंदिर के विष्णुपदी गंगा के वल्ली वार बांईं ओर भी अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर दिया है। इससे कंक्रीट के जंगल के बीच बद्रीविशाल का मूल मंदिर भी कहीं खो सा गया है। इस अनैतिक अतिक्रमण का ध्वस्त होना आवश्यक है। जो नक्शा दिया मास्टर प्लान में दिया गया है। पुराने काल में बद्रीविशाल जी ऐसे ही खुले खुले से स्थान पर विराजमान थे। अतिक्रमण हटने से बद्रीनाथ जी का मूल स्वरूप बहाल होगा।

  बद्रीनाथ धाम पर गहन अध्ययन और शोध के जानकार डाॅ भगवती प्रसाद पुरोहित का कहना है “बद्रिकाश्रम के दर्शन हेतु रास्ता बामणी वाले पुल से तप्तकुंड है। तप्तकुंड स्नान के बाद प्रेत शिला पर पितृ मोक्ष क्रिया के बाद भगवान नारायण के दर्शन का विधान है।
बिना उर्वशी पूजन और अनुमति के सीधे बद्रीनाथ में दर्शन के लिए जाना न शास्त्र सम्मत है और न इससे दर्शश व पूजा का फल मिलता है। सम्पूर्ण नारायण पर्वत खाली करवाया जाना आवश्यक है। वह क्षेत्र मल-मूत्र विसर्जन के लिए नहीं है”