निजामुद्दीन जमात के खुलासे पर शोशल मीडिया में फूटा भारी आक्रोश

कोरोना मेडिकल आपदा लाॅकडाउन और सभी एडवाईरी नियमों को ताक पर रख दिल्ली के निजामुद्दीन की जमात में रह रहे देश भर के करीब 1400 और 15 देशों के 100 विदेशी लोग पकड़े गए, जिनमें 200 कोरोना संदिग्ध बताये गये हैं। जांच में पाया गया कि इनमें से कुछ लोगों के कोरोना पाॅजेटिव होने की सूचना है । बताया गया कि इंडोनेशिया/थाईलैंड/श्रीलंका के इन लोगों ने वीजा नियम भी तोड़े, आए थे ट्रैवलिंग वीजा पर शामिल हो गए तबलीगी जमात में। फिलहाल इनको स्वास्थ्य परीक्षण एवं क्वारेंटाइन में रखा गया है। और इनकी वजह से 20 हजार घरों को भी 14 दिनों के लिए क्व्वारेंटाईन किए जाने की ख़बर है। इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है। 

देश के प्रधानमंत्री द्वारा लाॅकडाउन की घोषणा और तमाम प्रचार माध्यमों की एकांत में रहने की अपील के बावजूद देश और देशवासियों के साथ जानमाल का खिलवाड़ करने वाले दिल्ली निजामुद्दीन  तब्लीगी लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा। और इनकी लापरवाही देश और देशवासियों के साथ जानमाल का खिलवाड़ का सबब बन सकते हैं ।

इस पर दिल्ली सरकार की भूमिका और खामोशी भी सवालों के घेरे में है। सन्न कर देने वाली इस घटना पर जहां लोग हत्या और देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं, वहीं पहले दिन तो सैक्युलर मीडिया को इस घटना पर सांप सूंघ गया लेकिन एक दिन बाद ही वे इनके बचाव में भी आ खड़े हुए। इन दिनों देश के अनेक राज्यों में मस्जिदों से काफी संख्या में विदेशी मौलवी पकड़े जाने की खबरें टीवी और शोशल मीडिया दिख रही हैं। पकड़े गए कुछ मौलवी अवैध रूप से बिना बीजा के रह रहे थे। सवाल ये है कि ये लोग यहां करने क्या आ रहे हैं? ऐसी कौन सी शिक्षा है जिसका लेन देन इन विदेशियों से देश की मस्जिदों में किया जाना जरूरी है? चरमपंथी घटनाओं के मद्देनजर लोगों में शोशल मीडिया पर जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है और सुरक्षा ऐजेंसियों से सवाल पूछे जा रहे हैं। अधिकांश लोग सवाल उठा रहे हैं कि ये कहीं शाजिस तो नहीं ।

     ऐसे समय जब हिंदुओं के सभी तीर्थ, मंदिर, यात्रायें व स्वर्ण मंदिर, ईसाइयों का वेटिकन सिटी, मुसलमानों का मक्का मदीना, यहूदियों का येरूशलम सभी बंद हैं, तो फिर निजामुद्दीन दरगाह के तब्लीगी जमात के मरकज की उद्देश्य क्या कोरोना महामारी फैलाना है ? क्या देश का संविधान व कानून सुरक्षा प्रणाली इनके लिए मायने नहीं रखती? साथ ही सवाल उठ रहा है कि देश की ऐसी सभी संवेदनशील जगहों की समय-समय पर आवश्यक रूप से मानेटरिंग क्यों नहीं होती?

तब्लीगी जमात की ओर से कहा जा रहा कि लाकडाउन अचानक हुआ फिर भी लोगों के जमा होने की सूचना दी गई लेकिन उस पर गौर नहीं हुआ। लेकिन निजामुद्दीन थाने के एसएचओ का लाॅकडाउन से एक दिन पहले यानी 23 मार्च 2020 का एक सीसी टीवी फुटेज टीवी पर दिखाया गया जिसमें वे मरकज के लीडरान को कोरोना महामारी के विषय में स्पष्ट रूप से समझाते हुए लोगों को जमा न करने की हिदायत देते हुए दिख रहे हैं।  https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=3832225860152822&id=100000963378818

अपडेट – इसके बाद तो और भी चौंकाने वाली खबर आ रही कि जिद्दी जमातियों ने जब दिल्ली पुलिस की कोई बात नहीं मानी तब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को हस्तक्षेप करना पड़ा तब जा कर जमाती काबू आये। यही नहीं जमात मुखिया मौलाना साद अभी पुलिस गिरफ्त से बाहर है । इसी बीच पता चला है कि जमात की छ मंजिला इमारत भी अबैध रूप से बनी है और इसका टैक्स भी नहीं दिया गया है, जिस पर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही चल सकती हैं। बताया जाता है कि टैस्ट में सैकड़ों जमातियों के कोरोना पॉजिटिव होने की वजह से संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया जमात के अनेक कोरोना संदिग्ध लाकडाउन के बावजूद देश के 22 राज्यों में पंहुचे। जिन्हें चिन्हित कर क्वारेंटाईन करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन जमाती छिपते फिर रहे हैं उत्तराखंड में तो अब इनके सामने नहीं आने पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने का ऐलान भी पुलिस महानिरीक्षक को करना पड़ा है। इधर क्वारेंटाईन किए गए कुछ द्वारा इलाज के दौरान चिकित्सा कर्मियों  से बदसलूकी के समाचार भी हैं। और कतिपय जमात समर्थकों द्वारा मीडिया कर्मियों को धमकी देने की खबर भी है।