अब गैरसैंण, चमोली के जवान दलवीर सिंह नेगी जी “दल्लू ” मेरी एवं मेरे परिवार की यादों में रह गये …

चेतनव्रत की ओर से सालों कौमा में रहे एक सैनिक को श्रध्दांजलि। 

आखिर अब गैरसैंण, चमोली के जवान दलवीर सिंह नेगी जी “दल्लू ” बस मेरी , मेरे परिवार की यादों में रह गये … 

ओ दिवंगत अपरिचित लेकिन कोमा में होने का पता चलने के बाद से निरंतर मेरे और मेरे परिवार की आत्मीय छांव, गहन चिन्ता और परिस्थितिवश एक प्रकार से अघोषित अभिभावक का दायित्व तब लंबे समय तक निभा रहे हमें तुम याद आते हो दलवीर।
वर्षों से कोमा में होने और सेना अस्पताल में भर्ती, एकाकी तुमसे एक नाता बन चुका था हमारा। तुमसे लगातार मिलने को आना, तुमसे तुम्हारे साथियों , परिचितों ,तुम्हारी मां व घर परिवार की बातें घंटों तक करना मेरी एक कोशिश होती थी कि तुम्हैं अहसास बना रहे निर्मम जगत व कोमा में रहते हुए भी मानवधर्म का।

मैं वहीं हूं जिसकी आवाज, बातें सुनकर तुम कोमा में होने पर भी बोलने को बहुत बेचैनी से छटपटाते थे, बोल तो न सकते थे, गले में छेद करके पाइप फिट थे । परंतु मुझसे बोलने की कोशिश में तुम्हारा गला कफ से भर जाता था। मैरी बातैं सुनकर मुझसे बोल सकने को कोमा में तुम्हारी कोशिशैं , छटपटाहटें , बेचैनियां ,आकुलता अस्पताल के स्टाफ को , उस कमरे में भर्ती बाकी अनजान मरीजों तक को भावुक कर देतीं थीं। वे सब हाल जानकर हाथ जोड़ते थे कि एक अपरिचित के लिए मैं महीनों से उसके लिए जुड़ा हूं।

जब कभी में तुम्हारे बैड के दूसरी तरफ जानबूझकर खड़ा होकर बात करता था तो तुम अपनी पुतलियों को मुझे खोजने को आवाज की दिशा में घुमाकर किनारे तक ले आते थे मेरी ओर।
बहुत सहा तुमने… बहुत सहा साथ में नियुक्त जवान श्री सजवान जी ने ।
जब तुम्हारा रिटायरमेन्ट होने वाला था, कागज बनाने थे, कैसे इस हालत में तुम्हारा आधार बनवाया ,यह तो तुम न जान पाये दलवीर । पर तुम्हारा भरोसा था इस दुनिया में मुझ पर व सजवान जी पर। कोई न था रिटायर होने के बाद साथ रखने को तैयार.. वाह री दुनिया, बहुत कोशिश बाद भी मैं लाचार । पराया था न, घर का नहीं था दलवीर और दावा भी नहीं बनता था ,न अनुमति देता जमाना।

अंतिम महीनो हमें जब कोई विकल्प न दिखा, न तैयार , न कोई रखने देखने वाला तो तुम्हें पास के शहर से बाहर दूर कहीं दूसरे अस्पताल चेक अप, इलाज हेतु भेज दिया गया। दो महीने तक हम इंतजार करते रहे, पता करते रहे कि वापस यहां के अस्पताल तुमको कब लाया जाएगा, पर कुछ ठीक पता न चला ,न कोई संपर्क तुमसे संबंधित किसी का।
महीनों जा जाकर तुम्हारे बारे हम पूछते रहे ओ अपरिचित लेकिन परिचित जवान दलवीर , पर फिर मुलाकात ,दो बात कर सकना संभव न रह सका तुमसे। फिर दूर हो गये हम, फोन किसको करता, कहां करता ..?

फिर एक दिन पता चला कि तुम इस बेहद स्वार्थी दुनिया , इसके टूटे भरोसे, गद्दारी, स्वार्थ की आबोहवा से बहुत दूर परमधाम जा चुके हो।

परमशान्ति प्राप्त करो दलवीर श्री प्रभु चरणों में तुम। बहुत सहा , भोगा , निर्मम यथार्थ जाना है तुमने दुनिया का…। चलती का नाम गाड़ी..
प्रभु तुम्हैं गोलोकवास दें , अखंड सायुज्य दें दल्लू !

मर्त्यलोकवासी मैं आने वाले षोडश श्राद्ध में तुम्हारी आत्मिक शांति हेतु भगवन्नारायण से कामना करता हूं।
खुश रहना स्वर्गीय दलवीर ….
भावुक मनसे तुम्हारा यह अपरिचित पर परिचित भरोसा, विश्वास और अघोषित अभिभावक मेरा परिवार जब तब तुमको याद करता रहता है। दल्लू, अब सुखी रहना वहां … चेतनव्रत ।। ब्रेकिंग उत्तराखंड डाट काम न्यूज चैनल की ओर से भी सालों कौमा की मर्मांतक त्रासदी भुगत चुके गैरसैंण, चमोली के जवान दलवीर सिंह नेगी जी “दल्लू ”  भावभीनी श्रध्दांजलि ।।💐🙏