अब सूर्यग्रहण को लेकर ‘नफा-नुकसान’ की देशभर में छिड़ी बहस

अब सूर्यग्रहण को लेकर ‘नफा-नुकसान’ की देशभर में छिड़ी बहस

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

कई दिनों से देश और दुनिया भर में इस सूर्य ग्रहण का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था । साथ ही इस बार सूर्यग्रहण को लेकर ज्योतिषियों और खगोलशास्त्रियों के बड़े-बड़े दावे भी किए गए थे । सभी अपने-अपने नजरिए से इसका आकलन करने में जुटे हुए हैं । कोई इस सूर्यग्रहण को दुष्परिणाम तो कोई लाभकारी बता रहा है । वहीं दूसरी ओर तमाम वैज्ञानिक इस ग्रहण को लेकर उत्साहित तो रहे लेकिन इसे सामान्य खगोलीय घटना ही मान रहे हैं । विज्ञान के अनुसार जब चंद्रमा घूमते-घूमते सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो सूर्य की चमकती रोशनी चंद्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ती। चंद्रमा के कारण सूर्य पूरी तरह या आंशिक रूप से ढंकने लगता है और इसी को सूर्यग्रहण कहा जाता है। ग्रहण के प्रभाव को लेकर ज्योतिषियों ने इसे कोरोना महामारी से भी जोड़ कर देखा । सूर्यग्रहण के प्रभाव को लेकर तमाम ज्योतिषियों में भी एक राय नहीं बन सकी । कुछ ज्योतिषियों ने इसे कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने वाला बताया तो कुछ ने इस महामारी के और बढ़ने के संकेत भी दिए हैं । हम आपको बता दें कि हमारे देश में धार्मिक और ज्योतिषियों की सदियोंं से सोच यही रही है कि ग्रहण की घटना व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव डालती है । सूर्य ग्रहण पड़ने से पहले ही चैनलों में इस ग्रहण को लेकर ज्योतिष और एक्सपर्ट तमाम दावे और आकलन करने में लगे रहे उनका कहना था कि ग्रह-नक्षत्रों के इस संयोग से दुनिया में बड़े-पैमाने पर प्राकृतिक आपदाएं आएंगी और ये पूरी दुनिया में तबाही मचा सकती है? वहीं कुुछ ज्योतिषियों ने कहा कि इस सूर्यग्रहण के समय ग्रह नक्षत्रों का ऐसा दुर्लभ संयोग 500 साल के बाद बना है । ज्योतिषियोंं का कहना है कि यह ग्रहण कई राशियों पर शुभ नहीं रहेगा । अब देशभर में कुछ दिनों तक इसके प्रभाव और दुष्परिणाम को लेकर एक नई बहस भी छिड़ गई है ।

वर्ष 1962 में सूर्यग्रहण और चीन के साथ युद्ध को लेकर किए गए बड़े-बड़े दावे–

हम आपको बता दें कि सूर्यग्रहण को लेकर ज्योतिषियों में तर्क यह है कि वर्ष 1962 में सूर्यग्रहण और चीन के साथ युद्ध हुआ था । मौजूदा समय में भारत और चीन के युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं । उस पर आज का यह सूर्य ग्रहण उतना ही प्रभावकारी माना गया जितना कि 58 वर्ष पहले यानी 1962 में पड़ा था । कुछ एक्सपर्ट तो यहां तक कह गए कि यह सूर्य ग्रहण भयावह साबित होगा । इसके प्रभाव से प्राकृतिक प्रकोप, भूकंप, सैन्य झड़प या फिर युद्ध भी हो सकता है । सबसे बड़ा कारण यह रहा कि ज्योतिष और खगोल शास्त्री आज सूर्य ग्रहण की जिस प्रकार से कल्पना कर रहे थे उसी के अनुरूप उनको यह ग्रहण दिखाई दिया है । इसी से उत्साहित होकर तमाम दावे किए गए हैं । ज्योतिषियों ने तो सूर्य ग्रहण के प्रभाव को आने वाले समय में भारत और चीन साथ युद्ध से सीधे तौर पर जोड़ दिया है । बता दें कि 1962 ही वो साल था जब चीन ने धोखे से भारत पर आक्रमण किया था और इस बार भी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच खूनी जंग हुई है । अब बात करते हैं कोरोना महामारी को लेकर, पिछले साल दिसंबर 2019 में सूर्य ग्रहण पड़ा था। इसके बाद ही यह महामारी विश्व में फैलनी शुरू हुई थी । देश के कई ज्योतिष तभी से यह दावा करते आ रहे हैं कि यह महामारी पिछले सूर्य ग्रहण से शुरू हुई थी और इस बार ग्रहण पर इसका प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा । वहीं कुछ ज्योतिषियों ने यह भी दावे किए हैं कि इस ग्रहण का फल उत्तम नहीं है यह महामारी देश और दुनिया में बड़ा रूप ले सकती है।

देश के करोड़ों लोग सूर्य ग्रहण के रोमांच को लेकर उत्साहित रहे-

भले ही सूर्यग्रहण को लेकर तमाम नफा-नुकसान बताया जा रहे हों लेकिन इसके उलट देश के करोड़ों लोग इस ग्रहण के रोमांच को देखने के लिए कई दिनों से उतावले थे । सुबह से ही सभी ने अपनी अपनी तैयारियां कर रखी थी । उत्तर भारत में सूर्य ग्रहण का लोगों ने भरपूर नजारा देखा । मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, देहरादून, पंजाब, चेन्नई, बेंगलुरु, शिमला आदि शहरों में यह ग्रहण लोगों के लिए बहुत ही रोमांचकारी रहा ।‌ देहरादून में तो यह सूर्य ग्रहण अधिक प्रभाव देखा गया । यहां पर यह ‘रिंग ऑफ द फायर’ के रूप में नजर आया । ऐसे ही हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भी यही शक्ल का ग्रहण दिखाई दिया । कुछ हिस्सों में यह वलयाकार सूर्य ग्रहण की तरह नजर आया । वहीं बाकी के हिस्सों में इसे आंशिक सूर्य ग्रहण के तौर पर देखा गया । दोपहर 12 बजे के आसपास यह सूर्य ग्रहण अपने सबसे अधिक प्रभावशाली के रूप में नजर आया । लगभग 6 घंटे चला ग्रहण लगभग 3 बजे समाप्त हो गया ।‌ देश की राजधानी दिल्ली में कुछ बादल छाए होने की वजह से बहुत से लोग इस ग्रहण को अच्छी तरह से नहीं देख सके ।‌ आज सूर्य ग्रहण, योग दिवस, फादर्स डे और संडे होने की वजह से लोगों में कुछ व्यस्तता भी देखी गई । हालांकि ग्रहण ने अधिकांश लोगों को 6 घंटे तक बांधे रखा ।