महाशिवरात्रि के दिन 64 जगहों पर शिवलिंग उत्‍पन्न हुए लेकिन अब 12 ही रह गये, जिन्हें ज्‍योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है

? ? ॐ नमः शिवाय ??
_ॐ त्र्यंबकं यजामहे, _
_सुगंधिम पुष्टिवर्धनं, _
_उर्वारुक मिव बंधनान _
_मृत्योर्मुक्षीय मामृतात, _
आज 21 फरवरी 2020 दिन शुक्रवार को महाशिवरात्रि भगवान शिव और पार्वती के विवाह का दिन भग
वान आशुतोष आपके जीवन में हर पल मंगल करें आपकी सभी कामनाओं को पूर्ण करें, सभी कष्टों का नाश करें। आज ही देवों के देव महादेव और माँ गौरी को स्मरण करने का दिन है। पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे। मान्‍यता है कि शिव जी अग्नि ज्‍योर्तिलिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जिसका न आदि था और न ही अंत। कहै जाता है कि इस शिवलिंग के बारे में जानने के लिए सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और उसके ऊपरी भाग तक जाने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिली.  वहीं, सृष्टि के पालनहार विष्‍णु ने भी वराह रूप धारण कर उस शिवलिंग का आधार ढूंढना शुरू किया लेकिन वो भी असफल रहे।

इसी तरह एक अन्‍य पौराणिक मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही विभन्नि 64 जगहों पर शिवलिंग उत्‍पन्न हुए थे। हालांकि 64 में से केवल 12 ज्‍योर्तिलिंगों के बारे में जानकारी उपलब्‍ध है। इन्‍हें 12 ज्‍योर्तिलिंग के नाम से जाना जाता है।
एक अन्य मान्‍यता के अनुसार महाशिवरात्रि की रात को ही भगवान शिव शंकर और माता शक्ति गौरा का विवाह संपन्न हुआ था।
महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व एक विशेष योग में मनाया जा रहा है. इस दिन पांच ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति होने के साथ शनि व चंद्र मकर राशि, गुरु धनु राशि, बुध, कुंभ, राशि और शुक्र, मीन राशि में है. इससे पहले ग्रहों की यह स्थिति और ऐसा योग वर्ष 1961 में बन रहा था, इस दौरान दान-पुण्य करने का भी विधान है। आइए देवों के देव महादेव का स्मरण करते हैं।