पद्मावती का जौहर धर्म रक्षा का अतुलनीय इतिहास

डाॅ0सुशील कोटनाला,टिहरी गढ़वाल ।

देश के उस समाज को अपमानित किया जा रहा है, जिसने सहस्राब्दियों से अपना बलिदान देश,धर्म,संस्कृति तथा समाज के सभी वर्गों की हितों की रक्षा के लिये दिया है।क्षत्रिय शब्द का अर्थ ही होता है–क्षति से बचाने वाला है जो।पद्मिनी हमारे गौरव का पर्याय हैं।आततायी-दुष्ट-दानव-मुस्लिम आक्रमणकारियों से संघर्ष करने वाली पद्मिनी के पतिव्रता संस्कारों का परिणाम था जौहर।माँ पद्मिनी सहित सोलह हजार क्षत्राणियों ने अपने सम्मान की रक्षा के लिये जौहर किया था।दुष्ट,नीच,पतित,राक्षस तथा लुटेरा अल्लाउद्दीन खिलजी को तो चित्तौड़ के दुर्ग में केवल अंगार तथा राख की ढेरियाँ मिली थी।त्याग तथा बलिदान की पराकाष्ठा का प्रतिनिधित्व करती हैं पद्मिनी।संजय लीला भंसाली जयचन्द परंपरा का देशद्रोही है।ऐसे ही गद्दारों के कारण देश तथा धर्म की अपार हानि हुई है।राजपूतों के गौरवशाली इतिहास से छेड़छाड़ की अनुमति किसी को भी नहीं दी जानी चाहिए।इस कलंकित करने वाली फिल्म को पूर्णतः नष्ट कर दिया जाना चाहिए।पहले ही अकबर जैसे पतितों को महान् बताकर हम अपने महाराणा प्रताप के संघर्ष को उपेक्षित कर चुके हैं।क्षत्रियों के बलिदान जैसे बलिदान संसार की किसी भी जाति ने नहीं किये हैं।संसार के अनेक देशों का इतिहास पढ़ने के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि किसी भी देश की नारियों का चरित्र सीता,सावित्री,पद्मिनी,रानी लक्ष्मी बाई जैसा नहीं रहा।जौहर भारतीय स्त्रियों की आत्मोत्सर्ग का अद्भुत इतिवृत्त है।संसार की सभी स्त्रियों से श्रेष्ठ चरित्र भारतीय स्त्रियों का रहा है।पद्मिनी इस सर्व श्रेष्ठता का प्रतिनिधित्व करती है।हमारे देश तथा धर्म के अस्तित्व की रक्षा के लिये पद्मिनी जलकर राख हुई थी।अलाउद्दीन खिलजी पद्मिनी के मल के बराबर भी नहीं।