जन सुनवाई का मतलब बांध के पक्ष में माहौल बने और लोग तिरस्कृत हों ?

रोहित जोशी 

ये तसवीरें  धौलादेवी में पंचेश्वर बांध के लिए की गई कथित ‘जन-सुनवाई’ की है. जब नैनीताल समाचार के संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता Rajiv Lochan Sah ने अपना पक्ष रखना चाहा तो सत्तारूढ़ भाजपा के इशारों पर प्रशासन ने उन्हें बोलने से एकदम रोक दिया. यह अकेली तस्वीर इन कथित ‘जन-सुनवाइयों’ की पोल खोलने के लिए काफी है.

साह जी से माइक छीन रहे लोगों में काले कोट में एसडीएम हैं जो इस कार्यक्रम का संचालन भी कर रहे थे. उनके अलावा पुलिस के नुमाइंदे हैं और इसके तुरंत बाद जो भीड़ इन पर झपटी वो भाजपा के पूर्व-प्रशिक्षित कार्यकर्ता थे. इन सबने मिलकर साह जी को नहीं बोलने दिया. संचालन कर रहे इस एसडीएम का तर्क था कि बाहर से आकर लोग नहीं बोलेंगे.

संचालन कर रहे इस एसडीएम को ईआईए नोटिफिकेशन (जिसके तहत यह जन-सुनवाई हो रही थी) की शायद abc भी नहीं मालूम थी. इस पर्यावरणीय जन-सुनवाई में प्रशासन किसी को भी बोलने से नहीं रोक सकता. लेकिन खुद संचालक एसडीएम यह काम कर रहे थे. इससे साफ पता चलता है कि प्रशासन कितना संवेदनशील और जवाबदेह था.

कुछ देर बाद जब कथित ‘जन-सुनवाई’ फिर शुरू हुई तो पैनल में मौजूद और ज़िले की डीएम मोहतरमा ने बताया, “अगर अमेरिका से आकर भी कोई इस जन-सुनवाई में बोलना चाहेगा तो हम टेक्निकली उसे रोक नहीं सकते.”

जबकि उनके इस प्रशासन ने उनके ही सामने उत्तराखंड के सरोकारों से जुड़े एक वरिष्ठ पत्रकार के साथ अभद्र व्यवहार करते हुए उन्हें बोलने का मौका ना देकर सभागार से बाहर कर दिया.

प्रशासन ने कानून की खुद धज्जियां उड़ा दी और डीएम मोहतरमा मुस्कुराती रहीं..

इस तरह जन-सुनवाई में सिर्फ उनकी सुनी गई जिनकी सत्तारूढ़ दल के ठेकेदारों को मंजूर थी..

इन कथित ‘जनसुनवाईयों’ की पोल सबके सामने खुल सके और इस एसडीएम के इस्तीफे की भी मांग होनी चाहिए जिसने ईआईए नोटिफिकेशन की प्रक्रियाओं का सारे आम मखौल उड़ाते हुए साह जी के साथ इस तरह की अभद्रता की..