जहां दीपकों से होती है ब्रह्ममाणी की साधना

रिपोर्ट -रणजीत रावत/जोशीमठ

उत्तराखंड अनेक  तरह की साधनाओं के लिए सर्वोतम स्थान है। चमाेली जिले में  ज्योतिष्पीठ धाम में ऐसा ही साधना मंदिर है नृसिंह भगवान का। यहीं पर ब्रह्माणी मंदिर में फूलकोठा पर्व बड़ी  धूमधाम से मनाया जाता है । देर सांय उच्च  हिमालयी क्षेत्र से ब्रहम कमल लेकर फुलारी पहुंचते हैं,  उन्हीं  ब्रहमकमलों से मां का फूल श्रृंगार  किया जाता है। और घी के सैकड़ों अखंड दिये जलाये जाते हैं, रातभर मां के  कीर्तन भजन किये जाते हैं ।और क्षेत्र की खुशहाली ,शान्ति व समृद्धि की कामना की जाती है। सुबह लोग इन  जले हुए  अखंड  ज्योति कोजलती  हुई ही घर ले जाते हैं । इन्हे  बुझने  नहीं दिया जाता, मान्यता है कि इससे घर में  सुख, शांति, खुशहाली व  समृद्धि आती है। लोग शदियों से फुलकोठा मेला की धार्मिक परम्परा को निभाते आ रहे हैं। यदि इस दिन नियम संयम से देवी अनुष्ठान किया जाय तो यह अमोघ फलदायक होता है।