उत्तराखंड के पंडित नैनसिंह रावत बने गूगल के डूडल

 

प्रभात उप्रेती

सबसे पहले १९६४ में पंडित नैन सिंह रावत और पंडित नैन सिंह बुढ़ा की डायरी उत्तराखंड के मुन्सियारी में मेरे पिता कवीन्द्र शेखर उप्रेती जी ने उनके घर के कबाड़ से निकालकर पुनर्जीवित की थी. उनके घर से उनकी  कुंडली भी निकली थी, उस वक़्त हम बच्चों ने पाया था कि पंडित नैन सिंह की कुंडली ही आधा फलांग लम्बी थी. उसमें अंकित था कि वो विश्व प्रसिद्ध होगें. इतिहासकार डॉ राम सिंह द्वारा प्रकाशन के बाद ही वह प्रकाश में आये. फिर शेखर पाठक द्वारा इसे पुस्तक के रूप में लाने के बाद वो जगजाहिर हुए. और आज गूगल अपने डूडल के साथ इस हस्ती का परिचय पूरी दुनिया से करवा रहा है. ये हमारे लिए फक्र की बात है. चलो कुछ यूँ हम भी करें,