राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी की संवेदनशीलता, औपचारिकताओं के बजाय वास्तविकता को देते हैं प्रमुखता

कल राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी अपने मूल गांव नकोट आए, बीमारी से ठीक होने के बाद वे सबसे पहले अपने इष्ट देवता की पूजा करने सपरिवार गांव आए। गांव आने से पहले उन्होंने अपने सभी मित्रों, परिचितों और सम्मानित नागरिकों से निवेदन किया था कि कोरोना का समय है, कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, वह, उनके चालक और उनकी सुरक्षा में तैनात जवानों ने कोविड की जांच कराई है। उन्होंने गांव आने से पहले फेसबुक लाइव द्वारा अपील की कि गांव में अनावश्यक लोग एकत्र ना हों, यह उनका नितांत निजी कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही कुछ समय बाद वह संपूर्ण प्रदेश का प्रवास करेंगे और सभी मित्रों से भेंट करेंगे।
किंतु उत्साह में अनेक लोग उत्तराखंड के अन्य जिलों से भी वहां पहुंच गये। श्री बलूनी ने प्रोटोकॉल सुरक्षा में आए पुलिस कर्मियों से भी अनुरोध किया कि उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है, वे वापस जायँ गांव में भीड़ एकत्र न हो। साथ ही कुछ विभागीय अधिकारियों से भी उन्होंने लौटने का अनुरोध किया। यहां तक कि हरिद्वार जनपद के मंगलोर से आए कुछ लोगों पर उन्होंने यह कहते हुए नाराजगी जताई कि वे जितना समय और दूरी तय करके उनके गांव आए हैं, उससे कम समय में वह दिल्ली आकर भेंट कर सकते थे।
जन नेताओं में इतनी अत्यधिक संवेदनशीलता कम ही देखने को मिलती है। हम आभारी हैं बलूनी जी के कि जो औपचारिकताओं के बजाय वास्तविकता को प्रमुखता देते हैं।