अभी तो मंदी व बेकारी और बढ़ सकती है, इसके लिए मोदी नहीं उपभोक्ता आधारित मौद्रिक नीति जिम्मेदार


हरीश मैखुरी

6 साल हो गये सत्ता से बाहर हुए लेकिन अरबों के घोटाले खुल ही रहे हैं, देश में 40000 करोड़ के घोटाले के आरोप में पूर्व वित्त व गृहमंत्री जैसे लोग धरे जा रहे हैं, जितना बड़ा यह स्कैंडल है उतनी रकम में तो टर्की जैसा देे खरीदा जा सकता है। अब भी कुछ मीडिया महारथी भारत की खराब होती इकोनॉमी का हवाला देते हुए मामले में पर्दा डालने की जुगत में लगे हैं। जब देश लुट रहा था तब ये कहां सो रखे थे? लेकिन इनको खराब इकोनामी अब दिख रही है, अरे झूठों देश जानता है कि विश्वव्यापी मंदी का असर भारत पर भी हो रहा है, और यह इसलिए हो रहा है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने देश को वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन और गेट के माध्यम से इस भंवर में फंसाया था। ऑटोमोबाइल क्षेत्र में इसलिए मंदी है कि 1-अंधाधुंध कारों से मार्केट पहले ही अटा पड़ा है, जबकि ग्राहकों का एक बहुत बड़ा वर्ग सेकंड हैंड कारों के खरीद-फरोख्त में आ गए हैं। 2- भारत कारों के सिग्मेंट बदली करने जा रहा है, 2030 तक ये जहर उगलने वाली कारें बंद हो जाएंगी और इलेक्ट्रिक व सीएनजी कारें इनकी जगह लेंगी। लेकिन उससे पहले ही चतुर्थ सीरीज की कारों को बंद करके के सिक्स सीरीज के इंजन मार्केट में आएंगे इस वजह से लोगों ने पुरानी सिरीज की कारें खरीदनी बंद कर दी। इससे जहां देश का पर्यावरण काफी हद तक स्वच्छ होगा वहीं हमारी अरब देशों पर तेल की डिपेंडेंसी भी कम हो जाएगी और देश का पैसा तेल खरीदने पर खर्च होने की बजाय विकास कार्यों पर खर्च हो सकेगा, यही मोदी सरकार की विकास नीति है। जिन लोगों को यह जानकारी है उन्होंने महंगी कार खरीदनी छोड़ दी है। ऐसे में मंदी तो आयेगी ही। इसी तरह कुछ समय बाद 5G लॉन्च होने वाला है तब आज के मोबाइल भी गारबेज बन सकते हैं। आधे से ज्यादा काम अब लोग मोबाइल से ही करने लगे हैं इसलिए डेस्कटॉप कंप्यूटर कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं। विकास चक्र है इसे रोक नहीं सकते। कंज्यूमरिज्म का दौर है अभी तो मंदी और बढ़ सकती है, लेकिन इसके लिए मोदी नहीं उपभोक्ता आधारित मौद्रिक नीति और ये बड़े-बड़े घोटाले जिम्मेदार हैं इस सबकी वजह से बेरोजगारी भी बढ़ सकती है –22-08-2019