Sattvik worship is required for positive results
भाजपा नेताओं पर मारण मंत्र का प्रयोग किया गया कि नहीं यह गहन शोध एवं जांच का विषय हो सकता है। लेकिन परा विद्या और परा भौतिकी विद्या के प्रभाव एवं परिणामों की जिन्हें समझ नहीं है वे साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नेताओं के मारण सम्बंधी बौहुत गंभीर बयान को न केवल हल्के में ले रहे हैं बल्कि मजाक भी उड़ा रहे हैं, और कुछ इसे विवादित बयान बता रहे हैं। जबकि मारण, मोहन, उच्चाटन, बंधन, वशीकरण, अकाल मृत्यु, हंत्या, अस्कार, फिटकार, शमशान या अघोर, कलस्म, क्लेश, दुर्सवप्न, वैराग्य, मतिभ्रम, हाय और अकाल मृत्यु हरणं, दुवा आशीर्वाद ये सभी तांत्रिक व परा विद्या के ही अभिन्न रूप हैं। यह अपने आपमें एक परफैक्ट और बहुत प्रभावकारी पैथी है, यह अनन्त एनर्जी नेगेटिव और पाजिटिब दौनों रूपों में आज भी विद्यमान है। जानकार लोंगों के पास इसके बहुत सकारात्मक और नकारात्मक दौनों उपाय भी हैं। कुछ त्रिकालदर्शी नैष्ठिक संत इसका प्रयोग लोक कल्याण के लिए सीमित गोपनीय गुह्य उपयोग करते हैं, तो हरी पीली चटनी वाले निर्मल बाबा, दुर्गा सप्तशती का दू तक नहीं जानने वाले कुमार स्वामी और कबीर के नाम पर भ्रमित करने वाले रामपाल जैसे ठग आस्थावान लोगों से पैंसा ऐंठने के लिए फालोअरों की भीड़ जुटाने हेतु या अघोरी के नाम पर डराने वाले भी ऐसी पद्धति के नाम पर दुरुपयोग करते हैं, ऐसे ठग लाखों की संख्या में हैं। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि परा विद्या के अस्तित्व को नकारने से इसके प्रभाव से बचा जा जा सके, क्योंकि इसके आदि श्रोत शंकर और अनंत फैलाव भगवान योगेश्वर हैं। इसके दोनों स्वरूप इस बात पर निर्भर करते हैं कि तांत्रिक व्यक्ति तामसिक राजसिक और सात्विक आदि किस प्रवृत्ति का है? किसी गो भक्षी या हत्यारे कसाई व्यक्ति से सकारात्मक ऊर्जा कैसे प्राप्त सकते हैं? हां इनके संपर्क में आते ही संचित पुण्य भी अवश्य समाप्त हो जाते हैं। सकारात्मक ऊर्जा के लिए नवधा भक्ति युक्त नैष्ठिक और जानकार सिद्ध व्यक्ति ही होना चाहिए। हरीश रावत जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे तब जाहज से दिल्ली जाते समय उनकी गर्दन पर मृत्यु कारित जर्क लगा भले इस घटना में वे बच गये पर उसी समय उनका स्वस्थ पालतू कुत्ता मर गया, तब भी हरिद्वार में उनके मारण अनुष्ठान की चर्चा हुई थी पर फिर बात दब गयी। नेताओं पर मारण तंत्र या चुनाव जीतने के मोहन मंत्र दौनों संभव है, इसमें न असंभव है न आश्चर्य न विवादित। अंधविश्वास और वहम से बचना चाहिए लेकिन आध्यात्मिक उर्जा और धर्म का सदैव अनुपालन करना हितकर रहता है। सुदीर्घ सकारात्मक परिणाम के लिए तो सात्त्विक उपासना ही चाहिए …डॉ. हरीश मैखुरी 26-08-2019