शारदीय नवरात्रि- घट स्थापना शुभमुहूर्त एवं कलश व देवी पूजन विधि

“शारदीय नवरात्रि घट स्थापना शुभमुहूर्त एवं कलश पूजन विधि”

“ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री” – – 
जय माता दी.. नवरात्रि के नौ दिवसीय आराधना/उपासना का महापर्व 29.सितम्बर से आरम्भ  है ,आध्यशक्ति देवी के रूप में शास्त्रों के अनुसार वर्ष में चार नवरात्री आते हैं। आश्विन की नवरात्री हर वर्ष सितंबर-अक्टूबर में आते है उन्हें शरद या शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. यह सबसे अधिक मनाये जाने वाले भक्ति और उपासना के  पर्व हैैं। वासन्त नवरात्रि,जो चैत्र नवरात्रि है जिन्हें वसंत ऋतु के ठीक बाद मनाया जाता है.एवं वर्ष में माघ व श्रावण माह में दो गुप्त नवरात्री भी आती हैं, इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 29 सितंबर से आरम्भ हो रहे हैं ,जो 07 अक्टूबर तक चलेंगे.08 अक्टूबर 2019 को दशहरा व शस्त्र पूजन के साथ नवरात्री पारायण किया जायेगा..!
नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना किया जाता है, इस घट अर्थात कलश में 09 दिन की पूजा /उपासना/आराधना/साधना आरम्भ करने से पहले देवी शक्ति का आह्वान किया जाता है.घटस्थापना शुभ मुहूर्त में होना आवश्यक होता हैं, इस वर्ष 2019,शारदीय नवरात्री घट स्थापना शुभ मुहूर्त {समय} के विषय में जाने..!

सूर्योदयकालीन -:- प्रातः 06.16 से 08.11 तक शुभ.!
लाभ -:- प्रातः 09.11 से 10.41 तक.!
अमृत -:- प्रातः 10.45 से 12.21 तक.!
शुभ -:- दोपहर 13.51 से 15.11 तक.!
संयंकालीन -:- 18.11 से 19.41 तक शुभ.!
स्थिर वृश्चिक लग्न -:- 10.11 से 12.10 तक
स्थिर लग्न कुंभ -:- 16.11 से 17.31 तक
स्थिर वृषभ लग्न -:- 20.51 से 22.21 तक

—:”कलश स्थापना सामग्री एवं विधि”:—–
· शुद्ध साफ की हुई मिट्टी
· शुद्ध जल से भरा हुआ सोना,चांदी,तांबा,पीतल अष्ट/पञ्च धातु अथवा मिट्टी का कलश,
· मोली/कलावा (लाल सूत्र)
· साबुत सुपारी
· कलश में रखने के लिए सिक्के
· अशोक या आम के 5 पत्ते
· साबुत चावल
· एक पानी वाला नारियल
· लाल कपड़ा या चुनरी
· फूल से बनी हुई माला

—:ऐसे करें कलश या घट स्थापना:—
मिट्टी का पात्र और जौ,साफ की हुई मिट्टी,जल से भरा हुआ सोना,चांदी,तांबा,पीतल अथवा मिट्टी का कलश,मोली (लाल सूत्र),साबुत सुपारी,कलश में रखने के लिए सिक्के,अशोक या आम के पांच पत्ते, कलश को ढंकने के लिए मिट्टी का ढक्कन,साबुत चावल,पानी वाला नारियल,लाल कपड़ा या चुनरी, फूल की माला नवरात्र कलश….!
—-: स्थापना की विधि :—
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध करना चाहिए,एक लकड़ी का फट्टा रखकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और इस कपड़े पर थोड़ा-थोड़ा चावल रखें.चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करें.मिट्टी के पात्र में जौ बोएं,इस पात्र पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
कलश पर रोली से स्वास्तिक या ऊं बनाना चाहिए,कलश के मुख पर रक्षासूत्र भी बंधा हो,कलश में सुपारी सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखें.कलश के मुख को ढक्कन से बंद कर उस पर चावल भर दें.एक नारियल लेकर और उस पर चुनरी लपेटकर रक्षा सूत्र बांध दें,इस नारियल को कलश के ढक्कन पर रखते हुए सभी देवताओं का आह्वान करें.दीप जलाकर कलश की पूजा करें…!

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