बने रहें चिरयुवा- बढ़ती उम्र पर जॉर्ज कार्लिन की सलाह

बढ़ती उम्र पर जॉर्ज कार्लिन की सलाह
(अद्भुत संदेश – अंत तक जरूर पढ़ें नहीं तो आप अपने जीवन का एक दिन गवाँ देंगे।)

कैसे बने रहें – चिरयुवा

1.संख्याओं को दूर फेंक आइए। जैसे- उम्र, वजन, रंग और लंबाई। इसकी चिंता डॉक्टर को करने दीजिये ।

2. केवल हँसमुख लोगों से दोस्ती रखिए। खड़ूस और चिड़चिड़े लोग आपको टेंशन व असहजता दे सकते हैं ।

3. हमेशा कुछ सीखते रहिए। इनके बारे में कुछ और जानने की कोशिश करिए – कम्प्यूटर, शिल्प, बागवानी, आदि कुछ भी। चाहे रेडियो ही। दिमाग को निष्क्रिय न रहने दें। खाली दिमाग शैतान का घर होता है और वर्धक्य आने पर उस शैतान का नाम है – अल्झाइमर मनोरोग।

4. सरल व साधारण चीजों का आनंद लीजिए।

5. खूब हँसा कीजिए – देर तक और ऊँची आवाज़ में।

6. आँसू तो आते ही हैं। उन्हें आने दीजिए, रो लीजिए, दुःख भी महसूस कर लीजिए और फिर आगे बढ़ जाइए। केवल एक व्यक्ति है जो पूरी जिंदगी हमारे साथ रहता है – वो हैं हम खुद। इसलिए जबतक जीवन है तबतक ‘जिन्दा’ रहिए।

7. अपने इर्द-गिर्द वो सब रखिए जो आपको प्यारा लगता हो – चाहे आपका परिवार, पालतू जानवर, स्मृतिचिह्न-उपहार, संगीत, पौधे, कोई शौक या कुछ भी। आपका घर ही आपका आश्रय है।

8. अपनी सेहत को संजोइए। यदि यह ठीक है तो बचाकर रखिए, अस्थिर है तो सुधार करिए, और यदि असाध्य है तो कोई मदद लीजिए।

9. अपराध-बोध की ओर मत जाइए। जाना ही है तो किसी मॉल में घूम लीजिए, पड़ोसी राज्यों की सैर कर लीजिए या विदेश घूम आइए। लेकिन वहाँ कतई नहीं जहाँ खुद के बारे में खराब लगने लगे।

10. जिन्हें आप प्यार करते हैं उनसे हर मौके पर बताइए कि आप उन्हें चाहते हैं; और हमेशा याद रखिए कि जीवन की माप उन साँसों की संख्या से नहीं होती जो हम लेते और छोड़ते हैं बल्कि उन लम्हों से होती है जो हमारी सांस लेकर चले जाते हैं

जीवन की यात्रा का अर्थ यह नहीं कि अच्छे से बचाकर रखा हुआ आपका शरीर सुरक्षित तरीके से श्मशान या कब्रगाह तक पहुँच जाय। बल्कि आड़े-तिरछे फिसलते हुए, पूरी तरह से इस्तेमाल होकर, सधकर, चूर-चूर होकर यह चिल्लाते हुए पहुँचो – वाह यार, क्या यात्रा थी!

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मित्रों यह जो ऊपर बातें बताई गई हैं यह तो है पाश्चात्य दर्शन भारतीय दर्शन में तो जीवन अमर बताया गया है और हमें अमरत्वपप्राप्ति के लिए उपाय भी बताये गये हैं उसी के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए इसके लिए जीवन को अनुशासित नियमित संयमित और आध्यात्मिक बनाना आवश्यक है। यदि हम आध्यात्म की पराकाष्ठा को प्राप्त कर लेते हैं तो हम हनुमान कृपाचार्य और परशुराम अश्वत्थामा बली और व्यास की तरह अमर भी हो सकते हैं लेकिन इसके लिए नियमित दिनचर्या 16 संस्कार 36 योग और सतत् सात्त्विक नैष्ठिक निष्पाप जीवन निष्कलंक जीवन निर्विवाद जीवन निरापद जीवन निष्कपट जीवन निश्चित निश्चिंत जीवन आवश्यक है। साथ ही हमारे वेद और पुराणों में अमरता की प्राप्ति के लिए कुछ सूत्र भी दिए गए हैं उनका अध्ययन कर उन पर चिंतन मनन करें और अपने खाने में सात्विक संयमित भोजन ताजे फल शब्जियां पर्याप्त जल लें, खूब शारीरिक मेहनत करें एयरकंडीशन की बजाय प्राकृतिक वातावरण में रहें, सदैव उत्साही और आनंदित रहेंगे तो आप न केवल चिर युवा रह सकते हैं अपितु निरंतर भगवान के चिंतन-मनन दर्शन से अमरत्व को भी प्राप्त कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए 9634342461 पर संपर्क करें 

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