हलाला की दुकानों पर सुप्रीम कोर्ट का ताला

तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय की 6 माह रोक, कहा संसद बनाये कानून

तीन बार तलाक कह देने भर से महिलाओं की जिन्दगी नर्क बनाने की परम्परा पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है। तीन तल्लाक पर सुप्रीम कोर्ट ने शख्त रुख अख्तियार करते हुए तीन तलाक को कुरान के विरुद्ध बताया है और इसे एक तरह से मर्दों की मनमानी करार देते हुए महिलाओं को राहत दी है। अब दुनिया के कई इस्लामिक देशों की तरह भारत ने भी इसे खत्म कर दिया . देश में कई ऐसी मुस्लिम महिलाएं हैं जिनकी जिंदगी तीन तलाक ने बर्बाद कर दी थी.

तीन तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने की रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के जीफ जस्टिस खेहर ने कहा है कि इस पर संसद 6 महीनों के अंदर कानून बनाए. चीफ जस्टिस ने कहा है कि कानून बनाने का काम संसद का है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने ना तो इसे खारिज किया है और ना ही इसे मान्यता दी है. देश में कई ऐसी मुस्लिम महिलाएं हैं जिनकी जिंदगी तीन तलाक ने बर्बाद कर दी थी. जस्टिस खेहर ने कहा है कि अभी तीन तलाक बना रहेगा. संसद को यह मामला देखना चाहिए कि क्या इसपर कानून बनाया जा सकता है या नहीं।  सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुस्लिम महिलाओं में खुषी की लहर है और उन्होंने इस फैसले का स्वागत किया है।

इन्हीं पांच जजों की संविधान पीठ ने की थी सुनवाई

बता दें कि पांच जजों की संविधान पीठ ने 18 मई को इस पर फैसला सुरक्षित रखा था. इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए मुस्लिम महिलाओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दलीलें रखी गई थी, जबकि पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे धार्मिक मसला बताते बुए इस पर सुनवाई न करने की मांग की थी.

केंद्र सरकार ने भी की थी तीन तलाक खत्म करने की वकालत

केंद्र सरकार ने भी सुनवाई के दौरान तलाक-ए-बिद्दत यानी एक साथ तीन तलाक को खत्म करने की केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से दिए गए हलफनामे में कहा था कि वह तीन तलाक की प्रथा को वैध नहीं मानती और इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। इसी के साथ भारत के इतिहास में महिलाओं पर होने वाला पुरुश प्रधान समाज के जुर्म का अंत हो गया। अब तक मुस्लिम समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा हासिल नहीं था वे एक तरह से बुरके में कैद बच्चे पैदा करने की मषीन भर तो हैं ही ऊपर से चैबीसों घंटे तलाक-तलाक बोलकर संबंध विच्छेद होने का खतरा और ऊपर से अपना परिवार पुनः जोड़ने के लिए पराए मर्द के साथ बिना मर्जी के हलाला जैसे नर्क से गुजरने की यातना ने मुस्लिम महिलाओं को जीते जी दोजख पहुंचा दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही मुस्लिम महिलाओं के जीवन में आत्म विष्वास और सुकून के पल लौटने की उम्मीद है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मद्देनजर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी सभी काजियों को अडवाइजरी जारी करेंगे।