सुर्जन सिंह भंडारी :पहले अक्षरधाम में बलिदान अब पीएम केयर फंड में महादान

हरीश मैखुरी

अक्षरधाम मंदिर, ऑपरेशन बज्र शक्ति‘ के हीरो न0 4081190 रा0 मै0 एन0एस0जी0 कमांडो शहीद सुरजन सिंह भण्डारी कीर्तिचक्र विजेता (गढ़वाल स्काउट की बहादुरी एवंबबलिदान का संक्षिप्त का विवरण एवं उनकी कुछ यादें।
घटनाः- 24 सितम्बर 2002 में गुजरात के गॉंधीनगर स्थित विश्व प्रसिद्ध अक्षरधाम मंन्दिर पर कुख्यात आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी करते हुए अटैक किया था, इस हमले में इस्लामिक आतंकवादियो ने 30 भक्तजनों की निर्मम हत्या की तथा 100 से भी अधिक बेगुनाह लोगों को गम्भीर रूप से घायल किया।
इस स्थिति से निपटने के लिए मंदिर के अन्दर फॅंसे हुए भक्तजनों की जान बचाने एवं मंदिर परिसर में घुसे हुए इस्लामिक आतंकवादियों को समय पर मार गिराने के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली से एन0एस0जी0 की टीम को विशेष विमान द्वारा अहमदाबाद बुलाया। कमांडो दल मौके पर पहुंचे देखा कि आतंकवादी अंधेरे एवं सघन आड़ में छुपे हुए थे, लेकिन वे एन0एस0जी0 के कमांडो को देख रहे थें और कमांडो दल पर आसानी से गोली चला रहे थें। इस तरह सैनिकों को आगे बढ़ने और आतंकवादियों को मार गिराने के लिए उन्हें दबाये रखना आवश्यक लगा, जिसमें कमांडो सुरजन सिंह भण्डारी ने अपनी स्वेच्छा से स्काउट के रूप में स्कवाड्रन कमांडर से आगे चलने की इच्छा ब्यक्त की, गोलियों की बौछार के बीच उन्होंने एक छोटी दिवाल के पीछे से रेंगते हुए आगे बढ़ कर आतंकवादियों पर अचूक गोलीबारी करने लगे, तथा साथ ही अपने न0 03 स्क्वाड को भी आगे बढ़ने में भी मदत की।

कमांडो सुरजन सिंह रेंगते हुए आतंकवादियों के निकट पहॅंचे और उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। और आतंकवादियों ने भी जवाब में भारी गोलीबारी कर दी। इस जवाबी कार्यवाई में इनका शरीर छर्रो से जख्मी हो गया। लेकिन इसके बाद भी इन्होने अपने कमांडर को आड़ देने के लिए उनके पास छलांग लगाई, और अपने शरीर से उन्हें ढ़क लिया। इस प्रक्रिया में वे छर्रो से काफी घायल हो गये। अपने जख्मी होने के बाउजूद भी कमांडो सुरजन सिंह भण्डारी ने आतंकवादियों पर हथगोले एवं अचूक फायरिंग करते रहें, और वहॉं से हटने के लिए इन्कार कर दिया। तभी इन्होनें आतंकवादी के हथियार की चमक देख ली, जैसे ही इन्होने अपनी कारबाईन से उनके उपर गोलियों की बौछार की, आतंकवादियों ने भी उन पर गोलिया बरसा दी, इस तरह आतंकवादियों को मार गिराने की इस अन्तिम क्षण की कार्यवाही में उनके मस्तिश्क में भी गोलीयां लग गयी, और वे गम्भीर रूप से घायल होकर नीचे गिर पड़े, यद्यपि वे नीचे गिर गये लेकिन उन्होने मूर्छित होने तक अपने हथियार को नहीं छोड़ा,

कमांडो सुरजन सिंह भण्डारी की इस साहसिक एवं निर्णायक कार्रवाई से आतंकवादियों को सफाया करने का यह मिषन सफल हुआ। उनकी इस बहादुरी के लिए 26 जनवरी 2003 को भारत के महामहिम राष्ट्रपति, द्वारा सर्वोच्च वीरता पुरूस्कार (कीर्तिचक्र) सम्मान से सम्मानित किया गया।

   कमांडो सुरजन सिंह भण्डारी का उपचार पूरे एक साल तक सिविल अस्पताल अहमदाबाद में तथा 10 महिने दिल्ली एम्स में ईलाज चला, कमांडो की अत्यधिक दर्दनाक व नाजुक स्थिति को देखते हुए माननीय, भूत पूर्व मुख्य मंत्री, श्री मोदी जी एवं भारत सरकार द्वारा देष विदेष के सभी न्यूरो सर्जनो से सर्वोच्च उपचार की राय ली गई, कमांडो सुरजन सिंह की इस गम्भीर हालात को देखने के लिए माननीय, भूत पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी ने दिल्ली एम्स जाकर स्पेषल विजिट किया।

लेकिन हालात बहुत नाजुक थी, इस तरह कमांडो सुरजन सिंह 600 दिनों तक लाईफ सपोर्ट सिस्टम पर (कौमा) जीवन एवं मौत से कठिन संर्घश करते हुए अन्ततः 19 मई 2004 को प्रातः 4 बज कर 20 मिनट पर 24 वर्ष की उम्र में वे अपने जीवन का जीवन सर्वोच्च बलिदान देकर वीरगति को प्राप्त हो गये, और भारतीय सेना एवं गढ़वाल रेजीमेन्ट (युनिट गढ़वाल स्काउट) के इतिहास में अपने नाम की स्वर्णिम षौर्य गाथा को हमेशा के लिए अंकित करते हुए विश्व समुदाय में अपने देश एवं उत्तराखण्ड राज्य का नाम रोशन करके देश के लिए बलिदान हो गये। इस घटना से पूरी दुनिया एवं मीडिया जगत काफी परिचित रही हैं। राइफल मैन शहीद सुरजन सिंह की याद में गढ़वाल रेजीमेन्टल सेन्टर में शहीद सुरजन सिंह औॅडिटोरियम एवं शहीद के परिवार जनो द्वारा स्वयं ही अपने गृहनगर रानौ गौचर में एक मैमोरीयल प्रतिमा की स्थापना एवं एक शानदार मेमोरियल का निर्माण किया गया हैं। तथा उत्तराखण्ड शासन द्वारा शहीद की याद में शहीद सुरजन सिंह भण्डारी मार्ग की स्थापना की गई है।

 19 मई 2020 को पुण्य तिथि पर व उनके द्वारा देश व परिवार के लिए किये गये सर्वोच्च कार्य पर बहुत याद करते हैं,
सुर्जन सिंह भंंडारी के परिवार द्वारा  सुरजन सिंह भंडारी की याद में प्रधानमंत्री केयर्स फंड में 10000 रुपए सहयोग राशि प्रदान की।