विज्ञान सम्मत अहिंसात्मक शाश्वत सत्य के सामाजिक अनुशासन को ही धर्म कहा गया है

अधर्मी और विधर्मी से सदैव सचेत और सावधान रहना चाहिए। शास्त्रों के अनुकूल चलें, मन से तो बंदर चलता है। वेद में लिखा है-“धर्मं चर,”

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