कश्मीर1990 – जिनके साथ हम बचपन से खेला करते थे, वे पंडितों के ख़ाली घरों को आपस में बांटने और हमारी लड़कियों के बारे में गंदी बातें कर रहे थे

याद है मुझको जुल्म पुराना चुप चाप खड़े थे लाेग, लुट रही थी अस्मत मेरी, मरी थी माँ की काेख। हमें बचाने काेई न आया खुद के

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