‘पलायन’ को आईना दिखाने वाले गांवो में शिक्षकों का टोटा!

बच्चों के ‘भविष्य’ के लिए ढोल दमाऊं और खाली बर्तनों के साथ गरजे ग्रामीण!
संजय चौहान-
सीमांत जनपद चमोली के घाट ब्लाक के एक दर्जन से भी अधिक गांवों के नौनिहालों का भविष्य अधर में हैं। ‘पलायन’ को आईना दिखाने वाले गांवो के स्कूलों में शिक्षकों का भारी टोटा है। इन गांवो का एकमात्र इंटर कॉलेज बूरा इन दिनों शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। जिस कारण से यहाँ पढ़ रहे छात्र छात्राओं का भविष्य दाँव पर लगा हुआ है। शिक्षा के इस मंदिर में बिना गुरु नौनिहाल कैसे शिक्षा ग्रहण कर पायेंगे ये एक सोचनीय प्रश्न है–??  एक दर्जन से भी अधिक गांवो के ५ हजार से भी अधिक की आबादी के मध्य ये एकमात्र इंटर कॉलेज है। वर्तमान में यहाँ पर लगभग ४०० छात्र-छात्राएं अध्यनरत हैं। जबकि अगर शिक्षकों की बात की जाय तो यहाँ पर प्रवक्ता संवर्ग में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, भौतिक विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों में शिक्षकों के पद खाली है। ११ और १२ वीं में केवल जीव विज्ञानं, रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र, राजनीतीशास्त्र विषयों के शिक्षक ही कार्यरत है। वहीँ एलटी संवर्ग में हिंदी, विज्ञान, और कला विषयों के पद भी रिक्त हैं। रही सही कसर यहाँ पर कार्यरत गेस्ट टीचरों की तैनाती न होने से पूरी हो गई है। इस विद्यालय में गणित, भूगोल, हिंदी, विषयों में पूर्व में गेस्ट टीचरों की तैनाती होने से थोड़ी बहुत राहत छात्र छात्राओं को मिली थी। लेकिन सरकार द्वारा गेस्ट टीचरों की तैनाती न होने से हालत और दुखदाई हो गएँ है।
          ग्रामीणों को उम्मीद थी की जरुर जुलाई में विद्यालय खुलने पर शिक्षकों की तैनाती की जायेगी। परन्तु अभी भी विद्यालय में उक्त सभी पद रिक्त है। जिस कारण से ग्रामीणों का सब्र टूट गया। आज बूरा, आला, जोखना, पडेर गांव, तांगला, घुनी, रामणी सहित आस पास के दर्जनों गांवो के सैकड़ों ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय गोपेश्वर में मुख्य बाजार से जिलाधिकारी कर्यालय तक ढोल दमाऊं, और खाली बर्तनों के साथ जुलुस प्रदर्शन भी किया और शिक्षकों की मांग को लेकर जिलाधिकारी परिसर में ही धरने पर बैठ गये हैं। ग्रामीणों का कहना है की जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती तब तक वो यहीं बैठे रहेंगे। उनका कहना है की बूरा इंटर कॉलेज के साथ साथ क्षेत्र के अन्य स्कूलों में भी शिक्षकों के रिक्त पदों पर अतिशीघ्र शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिये। अपनी मांगों को लेकर अभी देर रात तक ग्रामीण धरने पर ही बैठे हुये हैं। बारिश के इस मौसम में ग्रामीण धरने पर डटे हैं। यहां तक की खाना भी वहीं खाया है। ग्रामीणों की मांगो और मजबूरी से न सरकार को कोई लेना देना न शिक्षा महकमे को।
           गौरतलब है की बूरा- रामणी परिक्षेत्र के दर्जनों गांवो ने पलायन को आईना दिखाया है। इस इलाके के बूरा गांव की जनसख्या- १११२, आला-४५४, घुनी-१५८९, रामणी-१०७६, जोखना-२६१, पड़ेर गांव- ४२२, तांगला – ८४ सहित एक दर्जन से अधिक गांवो की जनसंख्या ५ हजार से भी अधिक है, सबसे बड़ी बात ये है की इन गांवो में पलायन न के बराबर हुआ है।  वास्तव में इससे दुखद स्थिति और क्या हो सकती है की ५ हजार से भी अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र इंटर कॉलेज में रास्ट्रीय भाषा हिंदी को पढ़ाने तक के लिए शिक्षक नहीं है। एक और सरकार हर रोज दावे करती है की हर स्कूल में शिक्षकों की तैनाती की जायेगी। वहीँ दूसरी और स्कूलों की हकीकत ये है। विगत सालों नियुक्त किये गए गेस्ट टीचरों से जरुर दुर्गम के स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर हो गई थी। परन्तु अब गेस्ट टीचरों की नियुक्ति नहीं होने से दुर्गम के अधिकांश स्कूलों की हालत और दयनीय हो गई है। सरकार को चाहिए की जब तक स्थाई शिक्षक नहीं आ जाते तब तक स्कूलों में पठन पाठन प्रभावित न हो तत्काल गेस्ट टीचरों की तैनाती कर देनी चाहिए जिससे नौनिहालों का भविष्य अन्धकारमय न हो ।