बर्मा से कंधार तक फैला देश एक दिन में नहीं टूटा, ऐसी ही शाजिसों से टूटा

कुमार विश्वास 

मैंने हज़ार बार कहा है ! आंदोलन में, पार्टी में, हर मंच पर कहा है ! नेताओं व पार्टियों के भक्त-चिंटू बनिए लेकिन देश की एकता और अखंडता की बात आए तो उसी नेता-पार्टी के ख़िलाफ़ तुरंत जूता हाथ में उठा लीजिए ! बर्मा से कंधार तक फैला देश एक दिन में नहीं टूटा था ! देश के ग़द्दारों और बाहरी हमलावरों ने मिलकर सुनियोजित रूप से सैकड़ों बरस कोशिशें कीं और हम टुकड़े-टुकड़े हो गए ! अंदर के लोगों ने दरवाज़े खोले हैं तब भारतमाता के आँचल पर बाहरी लोगों के गंदे पैर पड़े है !
जिस इंसान के रेशे-रेशे को मुझसे ज़्यादा कोई नहीं जानता जब उसके बारे में मुझे कोई चपल-चिंटू समझाता है तो मुझे ग़ुस्सा नहीं हंसी आती है पर मेरे प्यारे दोस्तों जब तक तुम सब भी मेरी तरह ये खेल समझोगे तब तक भारी नुक़सान हो चुका होगा ! मूरख नहीं हूँ मैं कि सात-आठ साल के जीवन के हर तरह के निवेश को लात मारकर बाहर आ खड़ा हुआ और राजनीति की मंडी के हर ख़रीददार से भी बराबर की दूरी रखी !
सब जानते हैं कि चीन को हर हाल में सिक्किम पर अवैध क़ब्ज़ा चाहिए और यह बात भी पार्टी-सरकार में हर आदमी जानता है कि छोटे से छोटा विज्ञापन वहाँ कौन फ़ाइनल करता है ? पर चैनल विज्ञापनों के दबाव में चुप हैं, सरकारी व अकादमी कृपा से विभूषित बुद्धिजीवियों की खामोशी पर पद व पुरुस्कारों का पहरा है, मतदाता फ़्री के लोभ में चुप हैं और हम सब इसलिए कुछ नहीं कहते क्यूँकि हमें खामोशी में सुविधा है ! अकेले हम जैसे कुछ पागल हैं जो हर पार्टी के ग़लत पर ज़ोर से बोलने लगते है ! हे भारतीयो, रहिए आप सब हिंदू-मुसलमान में फँसे ! पर खेद है कि तब तक देर हो चुकी होगी 😡👎
सिक्किम को भारत से अलग धीमे से बता देने कि हरकत पकड़ी गई पर दर्जनों बातें धीरे से चालू हैं ! मई 16, 1975 से सिक्किम भारत का 22वां राज्य बन चुका है ! फिर उसे भारत से अलग बताने की होशियारी ? आप सबको पता है ये किस लंबी योजना के लिए है और किसकी होशियारी है ? देश की इतनी बड़ी-बड़ी परीक्षाएँ पास करने वाले को सब पता था कि देश में सिक्किम है या नहीं ! पर चाहे सेना के शौर्य के सबूत माँग कर पाकिस्तान को फ़ायदा पहुँचाना हो या देश तोड़ने में चीन की मदद करनी हो उसका आखरी मक़सद क्या है यह उस ज़हरीले आदमी को पूरा-पूरा पता है….और हँसो देशप्रेमियो कि वह अपने अभियान में सफल भी हो रहा है !
“अपनी हर ग़ैर-मुनासिब सी जहालत के लिए,
बारहा तू जो ये बातों के सिफ़र तानता है ,
छल-फरेबों में ढके सच के मसीहा मेरे ,
हमसे बेहतर तो तुझे, तू भी नहीं जानता है…(”साभार फेसबुक”)