पत्रकार राजेश मिश्रा की हत्या पर देश की खतरनाक खामोशी

गाजीपुर उत्तर प्रदेश के #राजेश_मिश्रा,हिन्दू थे उपर से ब्राह्मण और सबसे #खराब बात यह थी कि वह #आरएसएस_स्वयंसेवक थे ! इसलिए उनकी #मौत किसी को #दुःख नहीं पहुचाती ! हिन्दू और स्वयंसेवक होकर #अस्वाभाविक मौत मरना, #नियति है ! पत्रकार जगत भी दीवाली मनाने में व्यस्त रहा ! 

#दैनिक_जागरण उस अखबार का नाम है ,जो कहता है कि विश्व मे सबसे बड़ी पाठक संख्या उनके पास है ! स्व राजेश मिश्रा दैनिक जागरण के #स्थानीय_रिपोर्टर भी थे ! दैनिक जागरण ने राजेश मिश्रा की मौत को मुख्य खबर तक नही बनाया ,न कोई सरकार पर कोई दवाब बनाया कि कारण पता चले या अभियुक्त पकड़े जाएं ! स्व राजेश मिश्रा के अनुज अमितेश को भी गोली लगी है और वह जीवन-मौत के भंवर में फंसे हैं !
#सुनियोजित_हत्याएं होती हैं !  शांति की कामना नही करूंगा क्योकि #युद्धकाल मे शांति की बात करना भी #अपराध होता है।
राजेश मिश्रा की निर्मम हत्या मीमासुर भीमासुर कोलेशन द्वारा शाजिसन किए जाने की सूचनाएं भी आ रही हैं #। अखलाक और रोहित बेमुला की मौत पर छाती पीटने वाले दुमछल्ले नेता और देश को असहिसष्णु बताने वाला जिहादी मीडिया खामोश है, किस बिल में दुबक गये लाल हरे झंडे वाले बकासुर, कैंडल मार्च वाले देशद्रोही, अवार्ड वापसी गैंग? इसकी मौत और उनकी मौत में फर्क करके खबर छिपाने वालों इतिहास तुम पर लानत भेजेगा कायरों। एक निर्भीक पत्रकार की हत्या उस समाज की हार है जिसके लिए लडते हूए वह शहीद हो जाता है । क्यों कि राजेश का नाम बेमुला या अखलाक नहीं है इसलिए राजेश  मिश्रा के लिए मुआवजा देने का प्रावधान भी नहीं किया जा सकता ? अब अखिलेश राहुल और केजरीवाल भी गाजीपुर जाकर मौत भुनाने का मौका नहीं तलाशते।