लाॅकडाउन के चलते मृतकों और बीमारों के आंकड़ों में गिरावट

लाॅकडाउन के चलते उत्तराखंड और भारत का आसमान हसीन और साफ सुथरा हुआ नदियों का जल भी नीला दिखने लगा है हवा की बदली हुई महक भी मैसूस की जा सकती है। समझा जा रहा है कि इस बीच कोरोना महामारी छोड़ दें तो सामान्य तौर पर मृतकों और बीमारों के आंकड़ों में गिरावट आई है। हलांकि घरेलू हिंसा के मामलों में किंचित वृद्धि हुई है, विदेशों की तुलना में वो भी काफी कम है। the drop in the figures of dead and sick due to lockdown.‘Every cloud has a silver lining’ शायद ये बात कोरोना पर भी लागू होती है। सोशल मीडिया में लोग तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं सड़कों पर जंगली जानवरों के विचरण की। पक्षियों का मधुर कलरव और चहचहाहट भी बढ़ गयी है। बड़ी बात अधिकांश बंदरो ने शहर छोड़ दिए, और यह प्रदुषण में भारी कमी आयी है। रोड पर कोई नहीं है लेकिन इसके पहले पक्ष को छोड़ दे जब इंसान के द्वारा बनाई गई हर चीज़ और काम में व्यस्त इंसान, दुसरे पक्ष पर विचार करते है अस्पतालों में अधिकांश OPD बंद है इसके बावजूद इमरजेंसी में भीड़ नहीं है।

तो बीमारियों में इतनी कमी कैसे आ गयी माना सड़कों पर गाड़ियां नहीं चल रही हैं इसलिए सड़क मे दुर्घटना नहीं हो रही है। परन्तु कोई हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज या हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं भी नहीं आ रही हैं। ऐसा कैसे हो गया की कहीं से कम शिकायत आ रही है दिल्ली के निगमबोध घाट पर प्रतिदिन आने वाले शवों की संख्या में 25-30 प्रतिशत की कमी आयी है। हरिद्वार के खर खरी में भी कम शव आ रहे हैं उत्तर प्रदेश के बनारस का हाल देखे हरिश्चन्द्र घाट पर औसतन प्रतिदिन 80 से 100 शव आते थे आज करोना के माहौल मे प्रतिदिन 20 या 25 डेड बॉडी आ रही हैं इसी तरह मणिकरणिका घाट पर भी यही हालात वहॉ के डोम राज परिवार भी आश्चर्य चकित होते हुए बताते है की ये सन्धि मौसम है, इस समय हर साल डेड बॉडी मे बढ़ोत्तरी होती है परन्तु पता नही क्यो भारी कमी है डेड बाडी की जबकी केवल BHU से प्रतिदिन10 से 15 शव आते थे वो एक दम बन्द है अस्पतालों में जो मरीज भर्ती हैं वो सब पहले के है नये मरीज की भर्ती नही हो रही तो वाकई मे ये आश्चर्य चकित करने वाला है की सारी बीमारी गायब है क्या कोरोना वायरस ने सभी बिमारियों को मार दिया? यह सवाल मेडिकल पेशा के वाणिज्यीकरण का, प्राइवेट अस्पताल मे बीमार लोग कम आ रहे हैं मामूली सर्दी-खांसी में भी कई गलत अस्पताल हज़ारों और शायद लाख का भी बिल बनाते थे अभी अधिकतर अस्पतालों में बेड खाली पड़े हैं। यहां हम डॉक्टरों की सेवा की अहमियत को कम करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं । कोविड 19 में जो सेवा दे रहे हैं उन्हें मैं नमन करते हैं । आज लोग घर का खाना खा रहे हैं, रेस्तराओं का नहीं। इससे भी फर्क पड़ता है। लोगों को घर काा शुद्ध भोजन और शुद्ध पानी मिले तो आधी बीमारियां ऐसे ही खत्म हो जाएंगी। कनाडा में लगभग 4-5 दशक पूर्व एक सर्वेक्षण हुआ था। वहां लम्बी अवधि के लिए डॉक्टरों की हड़ताल हुई थी। सर्वेक्षण में पाया गया कि इस दौरान मृत्यु दर में कमी आ गयी। स्वास्थ्य हमारी जीवनशैली का हिस्सा है जी केवल डॉक्टरों पर निर्भर नहीं है। जो भी हो, लॉक डाउन से परेशानियां हैं जो अपरिहार्य हैं लेकिन इसने कुछ ज्ञानवर्धक एवं दिलचस्प अनुभव भी दिए हैं। एक सीख मिली है कि अनावश्यक रूप से खरीददारी, बाजार सैर-सपाटा, होटल आदि न जायें तो बचत के जीवन की गुणवत्ता व साथ में इज्जत भी बनी रहेगी। प्रदूषण नहीं फैलेगा तो बीमारियों का असर भी नहीं होगा।मिट्टी पानी पेड़ पशु पालन जुड़े रह कर जितना शारीरिक श्रम करते रहेंगे मिट्टी से जुड़े रहेंगे, नियमित संयमित शाकाहारी जीवन जियेंगे घर में बने हुए भोजन का उपयोग करेंगे ध्यान योग करेंगे तुलसी का पौधा लगाएंगे पंच वृक्षों को का निरूपण और पूजा करेंगे, हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी ही अधिक मजबूत बनी रहेगी जितना एयर कंडीशन कमरों में और कथित अनावश्यक हाइजीन का प्रयोग करेंगे उतनी ही हमारी यूनिटी कम होगी कोरोना की मृत्युदर से भी ऐसे निष्कर्ष निकल रहे हैं।

वास्तव में लाॅकडाउन ने हमें कुछ व्यावहारिक सत्य से भी परिचित कराया। 

1. आज अमेरिका अग्रणी देश नहीं है।
2. चीन कभी विश्व कल्याण की नही सोच सकता।
3. यूरोपीय उतने शिक्षित नहीं जितना उन्हें समझा जाता था।
4. हम अपनी छुट्टियॉ बिना यूरोप या अमेरिका गये भी आनन्द के साथ बिता सकते हैं।
5. भारतीयों की रोग प्रतिरोधक क्षमता विश्व के लोगों से बहुत ज्यादा है।
6. कोई मौलवी, पादरी, पुजारी, ग्रन्थी, एक भी रोगी को नहीं बचा सका।
7. स्वास्थ्य कर्मी,पुलिस कर्मी, प्रशासन कर्मी ही असली हीरो हैं ना कि क्रिकेटर ,फिल्मी सितारे व फुटबाल प्लेयर ।
8. बिना उपभोग के विश्व में सोना चॉदी व तेल का कोई महत्व नहीं।
9. पहली बार पशु व परिन्दों को लगा कि यह संसार उनका भी है।
10. तारे वास्तव में टिमटिमाते हैं यह विश्वास महानगरों के बच्चों को पहली बार हुआ।
11. विश्व के अधिकतर लोग अपना कार्य घर से भी कर सकते हैं।
12. हम और हमारी सन्तान बिना ‘जंक फूड’ के भी जिन्दा रह सकते है।
13. एक साफ सुथरा व सवचछ जीवन जीना कोई कठिन कार्य नहीं है।
14. भोजन पकाना केवल स्त्रियां ही नहीं जानती।
15. मीडिया में अधिकतर झूठ और बकवास का पुलन्दा है।
16. अभिनेता केवल मनोरंजनकर्ता हैं जीवन में वास्तविक नायक नहीं।
17.भारतीय नारी कि वजह से ही घर मंदिर बनता है।
18. पैसे की कोई वैल्यू नही है क्योंकि आज दाल रोटी के अलावा क्या कर सकते हैं।
19. भारतीय अमीरों मे मानवता कूट-कू कर भरीं हुईं है एक दो को छोड़कर।
20. विकट समय को सही तरीक़े से भारतीय ही संभाल सकता है।
21. सामुहिक परिवार एकल परिवार से अच्छा होता है।