अतिक्रमणकारियों ने सड़क को बाप की प्रोपर्टी समझ रखा है?

हरीश मैखुरी

मुख्यमंत्री जी आपदा के बहाने अतिक्रमण कारियों को मत बचाईए, वैसे भी अतिक्रमण हाईकोर्ट के डंडे से हट रहा है सरकार की जागरूकता से नहीं। देहरादून हरिद्वार ऋषिकेश कोटद्वार और हल्द्वानी जैसे शहरों की सारी सड़कें नालियां फुटपाथ अतिक्रमण की चपेट में हैं, फिर भी सरकार चेत नहीं रही। वैसे भी हरिद्वार देहरादून व ऋषिकेश में आपदा है कहां? यहां तो सिर्फ अतिक्रमण है। गांधी रोड़ पर इनामुला विल्डिंग का इलाका अतिक्रमण मामले में देहरादून के माथे पर कलंक और सरकार की नाकामी का गवाह है, यहां सड़क और फुटपाथ पर कब्जा जमाये माफीदारों ने बदबू और गंदगी का साम्राज्य स्थापित कर रखा है। आप और आपके अधिकारी दिन में दस बार यहां से गुजरते हैं किसी दिन देख भी लिया करो। पहले ईद और बाद में रमजान के बहाने हाईकोर्ट को ठेंगे पर रखा अब आपदा का बहाना? इस जगह कौन सी आपदा है? यूं कहें यहां अतिक्रमण हटाने के नाम पर फटती है? या वोट बैंक की चिंता? सड़कों पर कब्जा जमाये लोग बहुत शातिराना तरीके से सरकार को भी जकड़ में लिए हुए हैं। बेड़ियाँ तोड़ कर साहस दिखाओ महाराज लोग साथ देने को तैयार हैं। खंडूरी ने चकराता रोड़ बमुश्किल खाली कराया वहां फिर लोगों के झांप निकल आये। अधिकांश ईंट रेता बजरी सरिया और शटरिंग वालों ने तो मोटर सड़क को बाप की प्रोपर्टी समझ रखा है, जिम्मेदार ऐजेन्सियां सब देखती हैं लेकिन कब्जा हटाने की बजाए कब्जा जमाने की तरकीब पक्की और करा लेती हैं, पता नहीं कौन सी भांग के पकौड़े लेते हैं।