कर्नाटक के गृहमंत्री ने कहा कि बैंगलोर में दंगाइयों द्वारा किए गए नुकसान की भरपाई उन्हीं से की जायेगी

एक जनप्रतिनिधि के रिश्तेदार द्वारा दिया गया फ़ेसबुक पोस्ट का प्रत्युत्तर कुछ लोगों को अच्छा नहीं लगा, तो कोरोना संक्रमण के खतरे और कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर बैंगलोर में करीब एक हजार की संंख्या में समुुदाय विशेष की भीड़ जुट गई। थाने में आग लगा दी गई, कांग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति एक दलित हैं और SC/ST की रिज़र्व सीट से लड़ कर MLA निर्वाचित हुए थे,उनके आवास को घेर कर क्षतिग्रस्त कर दिया गया, यूं कहें मीम ने भीम का घर फूंका, कहाँ गया जय भीम जय मीम? बैंगलोर शहर में भी करीब 300 गाड़ियाँ फूँक डाली गईं, 60 पुलिसवालों को घायल कर दिया गया और ईंट-पत्थर व लाठी-डंडों से लोगों के घरों की खड़कियाँ तोड़ डाली गईं।

कर्नाटक में करीब एक हजार लोगों की इस्लामिक भीड़ ने एक फेसबुक पोस्ट को ईश निंदा मानते हुए वहां का थाना जला दिया। अब वहां के गृहमंत्री का बयान आया है कि “सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि हिंसा के दौरान क्षतिग्रस्त हुई सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई उन व्यक्तियों द्वारा किया जाना चाहिए जिन्होंने नुकसान पहुँचाया है। हम तुरंत कार्रवाई करने जा रहे हैं। हम व्यक्तियों की पहचान कर रहे हैं और नुकसान का आकलन कर रहे हैं। इसके बाद दंगाइयों द्वारा नुकसान की वसूली की जाएगी।कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार (अगस्त 12, 2020) को कहा कि राज्य सरकार बेंगलुरु हिंसा की घटना में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। बोम्मई ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि सार्वजनिक संपत्ति और वाहनों को नुकसान की भरपाई क्षति पहुँचाने वाले दंगाइयों को करना होगा।

सिर्फ एक फेसबुक पोस्ट की वजह से ये सब हुआ जिसके घर पर हमला किया गया वो दशकों से मुस्लिम तुष्टिकरण कर रही कॉन्ग्रेस पार्टी का ही नेता हैं। लेकिन पार्टी की ओर से अभी तक घटना पर चुप्पी है। जिनके घर तोड़े गये वे अधिकांशत दलित हैं, लेकिन दलितों के ठेकेदारों की ओर अभी तक कोई बयान नहीं आया।

इस बीच मीडिया टीआरपी के लिए भी नाटक किया गया मंदिर के आगे आगजनी करने वालों में से ही कुछ लोग चैन बना कर खड़े कर दिए गये। फलस्वरूप आगजनी हिंसा गाड़ियों को जलाने की खबर छोटी हो गयी और मंदिर बचाने की खबर छा गयी इस नाटक का उद्देश्य ही यही था। लेकिन लिबरल सक्रीय हो गये और कह रहे हैं कि एक समुदाय द्वारा ये सब सैकड़ों सालों में एक बार किया है इसलिए उन्हें माफ़ कर दो।” जिस इलाक़े में ये घटना हुई वो CAA विरोधी प्रदर्शनों का गढ़ बना हुआ था। जैसे दिल्ली में शाहीन बाग है, वहाँ बिलाल बाग था। नसीरुद्दीन शाह वगैरह पहुँचे थे। दिल्ली में भी दंगा हुआ, अब बेंगलुरु में हो रहा है। 

  राहत इन्दौरी अटल बिहारी वाजपेयी पर भद्दी टिप्पणी करता है, रामायण का मजाक उड़ाता है, उसने ज़िंदगी भर यही सब कर के करोड़ों रुपए कमाए अब कोरोना व हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। लेकिन हिन्दूओं ने कभी उसकी तरफ एक पत्थर तक नहीं फेंका। इसे कहते हैं सहिष्णुता, यदि हिन्दू भी असहिष्णु होते तो राहत इन्दौरी 72 की उम्र में हार्टअटैक से मरता? या कमले तिवारी की तरह हाल होते? देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर मुस्लिमों की हजारों की संख्या फेसबुक पोस्ट रहती है इस पर भी आई एक्ट सहित सभी संबंधित विभागों की निष्क्रियता भी देश को चिंतित नहीं करती। 

एक फेसबुक पोस्ट किसी को अच्छा नहीं लगा तो उनकी तरफ से 1000 लोग जुट जाते हैं। जब पुलिस और विधायक इतने लाचार हैं तो समझ लीजिए कि भारत में आम आदमी इनके खौफ से कैसे जीता होगा इसकी कल्पना की जा सकती है। फिर भी सहिष्णुता देखिये हमारे यहां तो बकरीद पर गाय आदि करोड़ों निर्दोष पशुओं की बेरहमी से हत्या किए जाने पर भी बधाइयाँ दी जाती हैं। ‘जय श्री राम’ बोल कर थप्पड़ मारने के झूठे इल्जाम पर भी मीडिया में पूरी कौम को असहिष्णु बताया दिया जाता है लेकिन ‘अल्लाहु अकबर’ बोल के शहर जला देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने के लिए नानी मरती है? अब कर्नाटक के गृहमंत्री ने कहा कि बैंगलोर में दंगाइयों द्वारा किए गए नुकसान की भरपाई उन्हीं से की जायेगी अब इस बयान का कितना क्रियान्वयन होता है ये देखने वाली बात होगी।… ऐजेंसियां