कुंभ में लगातार बढ़ रही महिला नागा साधुओं की संख्या का रहस्य

डॉ हरीश मैखुरी

इस बार प्रयागराज कुंभ में बड़ी संख्या में महिला नागा सन्यासियों ने भी अखाड़ों के साथ शाही स्नान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई देश और विदेश में इस पर आश्चर्यजनक रूप से शोध किए जा रहे हैं कि बड़ी संख्या में महिलाएं नागा साधु क्यों बनाना चाहती हैं इस पर अनेक मत सामने आ रहे हैं  कुछ लोग इसे  सनातन धर्म के प्रति बढ़ रही लोगों की रुचि  और आध्यात्म के प्रति  आकर्षण बता रहे हैं  तो कुछ लोग इसे भौतिकता से ऊब गए लोगों का  आसरा मान रहे हैं  जबकि कुछ  पत्रकारों ने  यौन आकर्षण की  संभावना भी बताई। रूस से आई अनेक महिलाएं भी नागा साधुओं के रूप में इस बार कुंभ में शाही स्नान में सम्मिलित हुई इस पर दुनियां भर की तमाम समाचार एजेंसियां और शोध करने वाले अनेक दृष्टिकोण से शोध कर रहे हैं भारत के राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह कुंभ सनातन धर्म परंपरा का गुरुत्वाकर्षण है चुंबक है जिस पर दुनिया के 200 से अधिक देशों के लोग और 27 पंथों व अनेक धर्मों के लोग कुंभ में आकर स्नान कर रहे हैं। धर्म आचार्यों का कहना है कि लोग अब भौतिक दुनियां से बहुत उब चुके हैं संसाधनों से सुख मिले यह कोई जरूरी नहीं जो भी व्यक्ति आनंद कंद भगवान और उसकी लीलाओं को उसकी माया को जानता है वह सनातन संस्कृति का अनुचर बन जाता है सनातन संस्कृति में जीवन को केवल जिंदा रहने के लिए संसाधन चाहिए इच्छाएं तो कभी पूरी हो ही नहीं सकती, सीमित संसाधनों में जीवन का जो आनंद है वह भौतिक दुनिया के चक्कर में पड़ने से कभी प्राप्त नहीं हो सकता आनंद सिर्फ अंतर्मन का विषय है क्योंकि आनंद कंद भगवान ही अंतर्मन के संचालक है वही हमारे शरीर के ऑपरेटिंग सिस्टम हैं अन्यथा यह शरीर सिर्फ अपेरटस है इसीलिए आध्यात्म के जानकार सनातन धर्म संस्कृत की पंच देवों की पूजा पंचमहाभूत का ध्यान और आनंद कंद भगवान के चरणों का स्मरण करते हैं। इसलिए हम प्रकृति का दोहन सिर्फ उतना ही करें जितने से हमारा काम चल जाए, वैसे भी संपन्नता मन की ही अच्छी होती है धन की नहीं, क्योंकि धन की संपन्नता अहंकार देती है और मन की संपन्नता संस्कार। इसीलिए सभी शांतिपिपाषु  कुंभ में आकर गंगा स्नान करते हैं। कुंभ का महत्व क्या है यह समझने के लिए प्रयागराज बड़ी संख्या में इस बार भी लोग पधार रहे हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि समुद्र मंथन के समय जो अमृत निकला था ब्रह्मा जी के पुत्र भगवान धन्वंतरि जब उस अमृत कलश को लेकर आगे बढ़े तो राक्षसों ने उनका पीछा किया उस अमृत में से चार जगह पर कुछ अमृत की बूंद गिरी उन्हीं चार जगह पर देश में कुंभ का आयोजन निश्चित लग्न पर प्रत्येक बारहवें वर्ष में होता है। जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ पर्व स्थल क्रमशः हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष और प्रयाग में दो कुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है। इस बार के अर्धकुंभ को  मोदी और योगी के प्रयासों से  एक अलग ही रंग देखने को मिला है  इलाहाबाद में होने वाले इस कुंभ में  प्रयागराज  में आयोजित इस कुंभ में  इस बार  30 करोड़ लोगों के पहुंचने की उम्मीद है  पहले दिन ही दो करोड़ लोगों ने  गंगा में डुबकी लगाई  इलाहाबाद की गंगा को तिरुपति कहा जाता है  यहां पर गंगा यमुना और सरस्वती का संगम माना गया है सरस्वती नदी बद्रीनाथ की  माणा गांव में प्रकट होती है  और विष्णु पति गंगा में वही पर प्रयाग बनाती है  और इसके बाद सीधे इलाहाबाद में प्रकट मानी गई है इसीलिए इस त्रिपदी प्रयाग का  सर्वश्रेष्ठ महत्व है।