पूर्व नियत तिथि 29 अप्रैल प्रात: 6.10 बजे को ही खुलेंगे श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट

नियत तिथि 29 अप्रैल प्रात: 6.10 बजे को ही खुलेंगे श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट

उखीमठ: 21 अप्रैल। प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री केदारनाथ धाम के कपाट बुद्धवार 29 अप्रैल को प्रातः 6:10 पर खुलेंगे। तथा 26 अप्रैल को डोली धाम रवाना होगी।
ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में रावल भीमाशंकर लिंग की उपस्थिति में हकूकधारियों धर्माचार्यों की बैठक में श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने
की तिथि की समीक्षा की गयी तत्पश्चात पूर्व निर्धारित तिथि पर निर्णय हुआ।

उल्लेखनीय है कल देहरादून में मुख्य मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं पर्यटन-धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज से टिहरी राजपरिवार की बैठक में चर्चा के बाद श्री बदरीनाथ धाम की तिथि में टिहरी नरेश मनुजययेंद्र शाह द्वारा परिवर्तन किया गया। अब श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खुलेंगे जबकि पहले यह तिथि 30 अप्रैल तय थी। मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़ ने बताया कि पहले
कयास लगाये जा रहे थे कि कोरोना महामारी को देखते श्री केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तिथि में बदलाव संभव हो सकता है और कपाट १४ मई को खुल सकते हैं। श्री केदारनाथ रावल को अंतिम निर्णय हेतु कहा गया था, लेकिन आज निर्णय लिया गया कि इसमें परिवर्तन नहीं किया गया जा सकता है 

       इस संबंध में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि “यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथजी और बद्रीनाथ जी के कपाट खोलने के सम्बन्ध में एक बहस शुरू हुई है। इस संदर्भ में मैंने तबसे लेकर अब तक काशी, द्वारिका, पुरी, बद्रीनाथ, तिरुपति, सालासर, प्रयाग, पुष्कर, देवप्रयाग, हरिद्वार आदि अनेक श्रद्धा स्थलों के मूर्धन्य इस क्षेत्र के विद्वानों व जानकारों से बातचीत की है।अवधारणा यह है कि मंदिरों के कपाट जन और तन सुविधा के अनुसार मौसम को देखकर खोले जाते हैं।पूर्व में यात्री, ज़ब चार धाम यात्रा पर जाते थे तो अपना क्रिया कर्म, तेरहवीं, श्राद्ध, गाय दान आदि सब धर्म-कर्म सम्पन्न कर आगे बढ़ते थे।टिहरी, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, देहरादून, हरिद्वार आदि जनपदों में बहुत से लोग यात्रा पर आये और यहीं बस गये।पूर्व में भी कपाट खोलने में व्यवधान आये हैं।पूजा-पाठ में व्यवधान आये हैं। चारधाम यात्रा आर्थिकी से भी जुड़ी हुई है और आस्था से भी। हो सकता है, मंदिरों के ईष्ट न चाहते हों कि “कारोना” की महामारी में उन्हें कष्ट दिया जाय, और जब श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति नहीं देनी है तो कपाट खोलने का क्या औचित्य है? इस समय सबका फ़ोकस “कारोना” से कैसे छुटकारा मिले, उस पर होना चाहिये और तब तक देवताओं को वहाँ पूजा करने दीजिये, सम्भवतः श्री बद्री विशाल भगवान की यही ईच्छा हो। अधिकतर विद्वानों की भी यही राय है। सरकार, शासन, प्रशासन और हम सबका ध्यान बीमारी की रोकथाम पर हो।