मोदी के परिवार की सादगी हुई जगजाहिर, भतीजी की चैन स्नेचिंग केस में नहीं हुआ प्रधानमंत्री के नाम का इस्तेमाल

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सगे भाई प्रह्लाद मोदी की बेटी दमयंती बेन मोदी से यहां हुई चेन स्नैचिंग की घटना सुलझ गई है. दोनों आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन इस मामले से एक और बात जो सामने आई है, वह पीएम मोदी के परिवार की सादगी है. आज के समय में जहां एक तरफ वीआईपी कल्चर हावी है, वहीं पीएम मोदी का परिवार इससे पूरी तरह से दूर है. उनके परिवार ने व्यक्तिगत मकसद से कभी भी पीएम के नाम का इस्तेमाल नहीं किया। बता दें कि मोदी जब मुख्यमंत्री थे तभी से अपने परिवार को राजनीति से दूर ही रखने की कोशिश करते हैं और उन्होंने कभी अपने परिवार को ना तो अपने पद का राजनीतिक लाभ दिया और मोदी के परिवार ने कभी मोदी के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने के सफर तक कभी मोदी के नाम का इस्तेमाल किया 

चीनी राष्ट्रपति के दौरे से संबंधित ख़बरों के बीच दिल्ली की यह ख़बर कि बाहर से दिल्ली घूमने आयी एक लड़की के साथ चैन स्नेचिंग हुई और उसका पर्स कुछ उचक्के ले भागे, कुछ विशेष सुर्खियाँ नहीं बटोर सकी। हालाँकि यह कोई मामूली ख़बर नहीं थी क्योंकि यह लड़की कोई और नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री की सगी भतीजी थी।
प्रथम दृष्टया तो यह राहजनी की एक साधारण घटना हो सकती है परन्तु इस घटना से जुड़ी शेष बातें इतनी असाधारण हैं कि कुछ को चकित और कुछ को लज्जित करने के लिए पर्याप्त हैं।
सुश्री दमयन्ती बेन मोदी, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सगे छोटे भाई श्री प्रह्लाद मोदी की पुत्री हैं, अपने परिवार समेत दिल्ली घूमने आए थीं और यहाँ गुजराती समाज भवन में ठहरी हुई थीं। जब ये पुरानी दिल्ली से घूम कर वापस आयीं और ऑटो से उतार कर भाड़ा दे रहीं थीं तभी दो उचक्के आये इनके हाथ से पर्स छीन कर भाग गए।
अब इसके आगे की कार्यवाही तो पुलिस अपने तरीके से कर रही होगी परंतु इस प्रकरण में विस्मयकारी सूचना यह है कि प्रधानमंत्री के परिवार के लोग भी जब दिल्ली आते हैं तो धर्मशाला में ठहरते हैं और ऑटो से यात्रा करते हैं। देश में परिवारवादी राजनीति के ध्वजवाहक गांधी-नेहरू परिवार, मुलायम सिंह परिवार या ठाकरे परिवार के किसी भी सदस्य को क्या कोई ऐसा अवसर याद है जब वे किसी दुसरे शहर में गए हों और वहाँ किसी धर्मशाला में ठहरे हों और ऑटो से घूमे-टहले हों ?
ये तो फिर भी ‘राजवंशों’ की बात है, आज तो देश में शायद किसी नगर पालिका के पार्षद या ग्राम प्रधान का परिवार भी ऑटो से यात्रा नहीं करता होगा – – – – – !
कम से कम इस विषय को न तो आप प्रधानमंत्री के गुणगान से जोड़ सकते हैं न ही किसी प्रकार के दिखावे से – – – – – क्योंकि यदि पर्स छीने जाने की यह घटना न होती तो शायद हम यह जान भी नहीं पाते कि प्रधानमंत्री के निजी और सार्वजनिक जीवन के बीच कितनी बड़ी रेखा है और यह भी नहीं जान पाते कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद या लालबहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों की परम्परा और संस्कार अभी भी जीवित है और सुयोग्य हाथों में सुरक्षित है – – – !

Courtesy

Shashi Bhushan Singh