उत्तराखंड के सिपाही का बेटा बना जज.. कहा-‘गरीबों को दिलाऊंगा इंसाफ’

वाह उत्तराखंड: सिपाही का बेटा बना जज..
कहा-‘गरीबों को दिलाऊंगा इंसाफ’

शैलेश के पिता काशीपुर पुलिस में सिपाही के पद पर कार्यरत थे। साल 2001 में उनका निधन हो गया, जिसके बाद परिवार को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन शैलेश ने हार नहीं मानी।

कहते हैं, जब इरादे बुलंद हों, तो कोई भी मुश्किल आपको सफल होने से रोक नहीं सकती। ऊधमसिंहनगर के होनहार युवा शैलेश कुमार वशिष्ठ ने इस कहावत को सच साबित कर दिखाया है। शैलेश वशिष्ठ ने न्यायिक सेवा छत्तीसगढ़ की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। अब वो न्यायाधीश के तौर पर सेवाएं देंगे। उनकी इस उपलब्धि से क्षेत्र में खुशी की लहर है। घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा है।

शैलेश की सफलता इसलिए भी खास है, क्योंकि उन्होंने कड़ी मेहनत के दम पर पहले प्रयास में ही न्यायिक सेवा की परीक्षा पास कर ली। यही नहीं वो चौथी रैंक हासिल करने में भी सफल रहे। आज हम शैलेश कुमार वशिष्ठ की सफलता देख रहे हैं, लेकिन यहां तक पहुंचने का उनका सफर बेहद संघर्षों से भरा रहा। शैलेश का परिवार काशीपुर के मोहल्ला कूर्मांचल कॉलोनी में रहता है। उनके पिता शिव कुमार शर्मा काशीपुर पुलिस में सिपाही के पद पर कार्यरत थे। साल 2001 में बीमारी के चलते उनका स्वर्गवास हो गया। पिता की मौत के बाद परिवार को आर्थिक संकटों से जूझना पड़ा। मां पर परिवार और दोनों भाइयों की जिम्मेदारी आ गई।

बेटों की परवरिश के लिए उनकी मां मंजू शर्मा को 11 साल तक प्राइवेट कंपनियों में नौकरी करनी पड़ी, लेकिन उन्होंने बेटों की पढ़ाई में दिक्कत नहीं आने दी। साल 2011 में मंजू शर्मा को पुलिस विभाग में नौकरी मिल गई। तब परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। उन्हें पहली तैनाती रुद्रपुर पीएसी में सिपाही के पद दी गई। शैलेश अपनी माता के साथ दो साल से पीएसी हरिद्वार में रह रहे थे। उनका बड़ा भाई देवेश शर्मा नोएडा में ग्राफिक डिजाइनर है। शैलेश ने साल 2019 में न्यायिक सेवा छत्तीसगढ़ की परीक्षा दी थी। जिसका रिजल्ट शनिवार को जारी हुआ। शैलेश ने पहली ही बार में परीक्षा में चौथी रैंक हासिल की है। शैलेश की शुरुआती पढ़ाई ग्रेट मिशन पब्लिक स्कूल में हुई। साल 2018 में उन्होंने यूनिटी लॉ कॉलेज से एलएलबी किया। शैलेश ने अपनी सफलता का श्रेय माता को दिया है। उन्होंने कहा कि वर्षों तक गरीब न्याय के लिए कोर्ट के चक्कर काटते रहते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिल पाता। इसलिए न्याय विभाग में गरीबों को न्याय दिलाना ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य है। – – भूपेंद्र रावत