इस ऐतिहासिक तस्वीर की कहानी गढ़वाल के हर युवा को जाननी जरूरी है

1982-83 यह ऐतिहासिक तस्वीर सुविख्यात रंगकर्मी और अभिनेता श्री विमल बहुगुणा ने साझा की। बिमल बहुगुणा आगे इस तस्वीर के बारे में जानकारी देते हुए लिखते हैं हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति, डॉ. डी. एस. रावत (जिन्हें लोग उनके कठोर अनुशासन प्रियता के चलते डंडासिंह के नाम से जानते थे ) जो बहुत ईमानदार और महान प्रशासक के रूप सुविख्यात थे। बिमल बहुगुणा द्वारा गढ़वाल विश्व विद्यालय के निर्माण कार्यों हेतु पहली बार चौरास में भूूमि पूजन के शुभ अवसर की है। (तब पुजारी की भूमिका में बिमल बहुगुणा) यह जगह आज के ऑडिटोरियम के ठीक सामनेे विद्या के मंदिर केे रूप में है। उस समय यहां केवल बेर आदि की झाड़ियां और कुछ रूक्षण खेत हुआ करते थे। उस समय के प्रत्येक छात्र ने कुलपति की  प्रेरणा से अपने अपने संकायों में श्रमदान किया। डॉ. रावत स्वयं भी रोजाना श्रीनगर से चौरास आते और खुद मजदूरों के साथ लग कर निरन्तर काम करते थे। करोड़ों रुपये के निर्माण उनकी देखरेख में हुए। विश्वविद्यालय के विकास के लिए हमेशा उनका समर्पण बना रहा उनकी सोच बेहद सकारात्मक रहती थी। कुलपति रहते अपने तीन वर्षों के कार्यकाल में नयी सृजनात्मकता के कारण वे बहुत चर्चित रहे। तब अखबार उनकी चर्चा से लवरेज रहते। आप सबको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भले करोड़ों रुपये के निर्माण उनकी देखरेख में हुए लेकिन उनकी इमानदारी की मिशाल देखिये अपना इनकम टैक्स चुकाने के लिए तब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 7000 रुपये का ऋण लिया। जिसकी किस्तें उन्होंने पंतनगर यूनिवर्सिटी में रहते अपने G P.F. से चुकायी – – बिमल बहुगुणा।

( इससे आश्चर्यजनक बात येे कि जिस गढ़वाल विश्व विद्यालय बनाने और खड़ा करने में उत्तराखंड के लोगों को साठ साल लगे, उत्तराखंड राज्य बनने के बाद उस पर यहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री बीसी खंडूडी सरकार की चूक के कारण केन्द्रीय विश्वविद्यालय का बोर्ड चश्पा कर दिया गया और गढ़वाल विश्व विद्यालय इतिहास बन गया। अच्छा होता यदि केन्द्र द्वारा यह फुल्ली फंडेड यह केन्द्रीय विश्वविद्यालय तब गैरसैंण में बनाया जाता तो आज हमारे पास गढ़वाल विश्व विद्यालय भी होता और श्रीनगर का ऐतिहासिक गढ़वाल विश्व विद्यालय भी बचा रह जाता ….खंडूडी से ऐसी ही चूक केन्द्र द्वारा यह फुल्ली फंडेड आई आई टी के मामले में भी हुई जिसका बोर्ड भी रूड़की के बहुत पुराने एक इंजीनियरिंग कालेज पर चेंप दिया गया…. सं. )