१६ जून की वो भयानक केदारनाथ त्रासदी जिसके घाव आज भी दर्द दे रहे हैं

उन दिनों क्या हुआ 👇16जून2013
रविवार, 16 जून – #केदारनाथ में मौजूद हर शख्स सुबह से ही डरा हुआ था। बरसात पिछले 3 दिन से #रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। इस इलाके में कई सालों से रह रहे लोगों ने भी #आसमान से इतना पानी एक साथ बरसते कभी नहीं देखा था। लगातार हो रही बरसात का असर अब दिखने लगा था। 16 तारीख की सुबह #भैंरोनाथ के #मंदिर वाली #पहाड़ी टूटने लगी। वहां से #भूस्खलन शुरू हो गया और #केदारनाथ से भैंरो मंदिर जाने वाला मार्ग बंद हो गया।
#केदारनाथ में पिछले कुछ दिनों से एक धरना और #हड़ताल चल रही थी। ये हड़ताल यहां कुछ #प्राइवेट #कंपनियों की ओर से दी जाने वाली हेलीकॉप्टर सेवा के विरोध में थी। ये #हेलीकॉप्टर सेवा उन लोगों के लिए थी जो #गौरीकुंड से केदारनाथ तक का रास्ता पैदल या घोड़ों और #पालकियों की मदद से तय करना नहीं चाहते। #घोड़े वालों का कहना था कि #हेलीकॉप्टर सेवा चलने से उनका #नुकसान हो रहा है। कुछ #स्थानीय नेताओं ने इस हड़ताल में #पर्यावरण का मुद्दा भी जोड़ दिया और ये #शिकायत की कि #हेलीकॉप्टरों से घाटी में शोर बढ़ रहा है और इससे यहां के #संवेदनशील इलाके में वन्य जीवन बुरी तरह #प्रभावित हो रहा है।

16 जून को जब पहली बार #केदारनाथ में बाढ़ आई तो सबसे पहले ये #हेलीपैड ही खत्म हुआ, जिस पर धरना चल रहा था। पूरा का पूरा हेलीपैड धंस गया और नदी उसे मिनटों में बहा ले गई। इस समय केदारनाथ के #आसपास के इलाके में सारी #नदियां उफान पर थीं। #वासुकी ताल से आने वाली दूध गंगा और मधु गंगा अपने सामान्य स्तर से कई फुट ऊपर बह रहीं थीं। यही हाल मंदाकिनी और दूसरी नदियों का भी था। दोपहर होते-होते इन #नदियों का पानी #केदारनाथ को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाले दो पुलों के ऊपर से बहने लगा। हालात बद से #बदतर होते जा रहे थे। (साभार – ट्रेडिशन आफ उत्तराखंड)