विध्वंसक टकराव से देश को अराजकता की ओर धकेलने के षड्यंत्रों के पीछे का सच

 
विध्वंसक टकराव से देश को अराजकता की ओर धकेलने के षड्यंत्रों के पीछे का सच (The truth behind the conspiracies to push the country towards anarchy by destructive confrontation) 
नागरिकता संशोधन कानून जैसे सामान्य कानून के विरोध में हो रही सुनियोजित हिंसा व आगजनी, भारत के खिलाफ एक खौफनाक षड़यंत्र का हिस्सा है, इसकी भनक अमेरिका जर्मनी फ्रांस जैसे पहले से थी इसलिए वहां की सरकारों ने कुछ समय पहले  भारत के कुछ हिस्सों में अपने नागरिकों को नहीं जाने की एडवाइजरी जारी की थी, जो देश के कुछ अखबारों में बीच के पन्ने का समाचार भी बना। देश की सुरक्षा एजेंसियों के पास भी इस तरह का इनपुट अवश्य होगा। अच्छे से समझा जा सकता है कि नागरिकता कानून का बहाना तो केवल जनता को गुमराह करने के लिए है।  जिसका एक लक्ष्य केन्द्र सरकार को अस्थिर करने की कोशिश हेतु भारत को जलाकर घुसपैठियों को भारत में बसाना कर इसे पाकिस्तान बनाना है। और भारत की जमीन पर कोई हिन्दू शरणार्थी शरण ना पाए और कोई मुस्लिम घुसपैठिया यहाँ से निकाला ना जाये, यही सुनिश्चित करने के लिए दंगे कराये जा रहे हैं। इसकी पूरी तैयारी देखिए बंगाल में रेल की पटरी उखाड़ने के लिए सबके हाथों में जो सब्बल है वो एक जैसी हैं। दिल्ली जामिया इस्लामियां, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और देवबंदी मदरसों के अन्दर टनों पत्थर और न जाने क्या क्या। ईदगाहों में जलसे और दिशा-निर्देश, मतलब सब पूरी तैयारी और सोची समझी साजिश के तहत हो रहा है। जो भीड़ पढ़ाई की बजाय बसों को जलाए, तोड़ फोड़ करे जवानों और पुलिस पर पत्थरबाजी करे समाज मे हिंसा फैलाए वह विद्यार्थी कैसेे हो सकते हैं ? जिसने आतंकवाद की ओर जाने वाली पहली सीढी पर कदम रखा है, उनसे शख्ती से निबटना आवश्यक है अन्यथा वे आगेे इस्लामिक या नक्सल चरमपंथ की राह पर चल कर देश और समाज को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैैं । 
  मोदी सरकार ने धारा 370 के समाप्ति के बाद जिस द्रुत गति से पिछली सरकारों की गलतियों और पापों का पिंडदान किया, उसने भारत में स्वतंत्रता के बाद छद्म धर्मनिर्पेक्षिता के नाम पर चल रही अव्यवस्था और उसे चलाने वाले तंत्र के धन्धे पर प्रश्नचिन्ह लगा है। और जब 2019 में मोदी सरकार दोबारा आयी है, तब से उसने भारत के पुराने कोढ़ों और कैंसर के इलाज के लिए जो कटिबद्धता व दृढ़ता दिखाई, उससे इस धातक टकराव की बिलबिलाहट सामने आई। इस टकराव का बड़ा कारण ये भी है कि कुछ ही महीनों में धारा 370 समाप्त हुई, तीन तलाक पर रोक लगी, राममंदिर पर शताब्दियों बाद निर्णय हुआ, एनआरसी बना और अब सिटीजन अमेंडमेंट कानून भी आगया, ये निर्णय ऐसे हैं जिसने सेक्यूलारिज्म की आड़ में मजहबी राजनीतिक दुकान चलाने वालों की कलई खोल दी है, वे नंगे हो गये, पूरी संभावना है कि ये मजहबी समूह और भी नग्न रूप में सड़क पर उतरें, आगे ये टकराव भारत को गहरे घाव दे सकता है। पर गृहयुद्ध नहीं होगा क्योंकि भारत की राष्ट्रवादी शक्तियों में जमीन पर संघर्ष करने की योग्यता और मानसिकता दौनों नहीं, वे केवल कानून और सरकारी सुरक्षा के भरोसे हैं। 
      भारत की ज्यादातर अमन पसंद जनता दिल्ली में उसके द्वारा चुनी गई सरकार को इन से भिड़ती देखती है, जरा सी सरकारी चूक पर बड़ी बड़ी आलोचना करती है। इसी बीच सरकार का ध्यान बंटा होने का लाभ उठा कर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संघटन भारत में मुम्बई ब्लास्ट जैसी बड़ी बारदातों को अंजाम देने की शाजिस भी कर सकते हैं। विदेशी फंडिंग और हथियारों का जखीरा भी चरमपंथियों के हाथ लग सकता है। ये भी हो सकता है नरेंद्र मोदी के कुछ समर्थक अपने कमजोर विश्वास के कारण मोदी नेतृत्व पर ही उंगली उठाने लगें, यही विपक्ष भी चाहेगा। मगर यह भारत की महा शक्ति बनने की राह और विश्वगुरु बनने की कोशिश को कुंद करने के लिए काफी है। इस लिए सतर्क व सावधान रहने की आवश्यकता है। देश और देशवासियों की जानमाल की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी तो है ही, सभी देशवासियों का दायित्व भी है।
– – – हरीश मैखुरी