अद्वितीय अर्णब उनके जैसा फायर ब्रांड एंकर न अतीत में था और न ही वर्तमान में उनके समकक्ष कोई ठहरता है

“अद्वितीय अर्णब “
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कोई कुछ भी कहे लेकिन यह बात तो माननी पड़ेगी कि अर्नब गोस्वामी वास्तव में अद्भुत प्रतिभा के धनी हैं। उन्होंने अपने समकालीन एंकर (प्रस्तोताओं) से अलग लीक से हटकर अपनी जो विशेष छबि बनाई है वह अद्वितीय है। उन जैसा फायर ब्रांड एंकर न अतीत में था और न ही वर्तमान में उनके समकक्ष कोई ठहरता है। मीडिया में उनके प्रतिद्वंद्वी हो सकते हैं। कुछ प्रादेशिक सरकारें और राजनेता उनके विरोधी हो सकते हैं नहीं, बल्कि हैं। लेकिन जनता उनके साथ है।

इस प्रतियोगिता के युग में घिसी पिटी पुरानी मान्यताओं के साथ आप चल तो सकते हैं किन्तु मंजिल तक नहीं पहुँच सकते। पहुँच भी गये तो टिक नहीं सकते। आपको लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनी राह स्वयं ही निर्मित करनी पड़ती है और उन्होंने ऐसा ही किया है। धारा के साथ बहते जाने में न खतरा है और न ही कोई जोखिम। धारा के विपरीत चल कर शिखर पर पहुंचना खतरों और चुनौतियों से भरपूर है। अर्णब ने न तो जोखिम की चिंता की और न ही वे चुनौतियों से घबराये। इसीलिए आज वो शिखर पुरुष बन कर उभरे हैं।

उनके प्रतिद्वंद्वी तो सभी हैं लेकिन विजेता योद्धा वो अकेले हैं। टीआरपी के लिए अर्नब या रिपब्लिक भारत को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। वैसे यह भी उनके प्रतिद्वंद्वियों की कोई चाल हो सकती है और इसमें कोई सच्चाई हो तब भी इस खेल में तो लगभग सभी चैनल सम्मिलित हैं। या यूं कहें इस हमाम में तो सभी नंगे हैं। मीडिया के क्षेत्र में अल्पावधि में जो उपलब्धि उन्होंने हासिल की है वह बेजोड़ है। वहाँ तक पहुँचने में कइयों को वर्षों नहीं दशकों लग जाते हैं और कई तो रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।

दो वर्ष पुराने केस में अर्णब की गिरफ्तारी को कदापि भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है। वह भी तब जबकि साक्ष्यों के अभाव में केस बंद कर दिया गया हो। उस केस को दुबारा खुलवा कर अर्णब की त्वरित गिरफ्तारी महाराष्ट्र सरकार के आचरण पर कई प्रकार के संदेह पैदा करती है। उनके चैनल द्वारा पालघर में निर्दोष साधुओं की हत्या को प्रमुखता से उठाने और सुशांत सिंह राजपूत के केस को सुर्खियों में लाने सहित तमाम सरकार विरोधी मुद्दों को मुखरता से उठाने और सीधे महाराष्ट्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने की उनको सजा मिली है। यह विशुद्ध रूप से बदला लेने की कार्रवाई के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। जहाँ सरकार की साख दांव पर लगी है वहीं अर्नब की प्रतिभा में और भी निखार आया है। वो जनता की दृष्टि में हीरो बन कर उभरे हैं।

देशद्रोही, अर्बन नक्सली, लुटियन गैंग और टुकड़े टुकड़े गैंग की अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर चिल्लाने वाले एक फिक्स अजेंडा पर हल्ला बोलने वाले तथाकथित बुद्धिजीवी वास्तव में बुद्धिहीन
अर्नब की गिरफ्तारी पर अचानक बिल में छुप गये। अपने कारनामों से ये गैंग कितनी ही बार एक्सपोज हो चुके हैं। अर्णब की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान ही नहीं रक्षा भी होनी चाहिए। जनता का उनको भरपूर समर्थन मिल रहा है। महाराष्ट्र सरकार की बुद्धि पर हमको तरस आता है। ईश्वर उनको सद्बुद्धि दे। अर्णब के बारे में यही कहा जा सकता है कि अर्णब निर्भीक हैं। निडर हैं। साहसी हैं और विश्वास से भरपूर हैं। अर्णब तुम अद्भुत हो। अद्वितीय हो। तुम्हारी विजय निश्चित है। – – – – राजेंद्र जोशी