अपनी जड़ों से जुड़ने का रास्ता है लोक भाषा

जगमोहन “आजाद”

दिल्ली – पहाड़ी भाषा गढ़वाली कुमाउंनी को पहाड़ के जनमानस तक पहुंचाने और बच्चों में अपनी भाषा के प्रति जागरुकता लाने की दिशा में डाक्टर विनोद बच्छेती जिस तत्परता से कार्य कर रहे हैं। यह बहुत ही सराहनीय है। उक्त विचार हंस कल्चर सेंटर के सचिव चंदन सिंह भंडारी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के तत्वावधान में शिक्षकों के सम्मान में दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।

आपको बात दें कि डीपीएमआई ने 21 मई से 6 अगस्त तक गढ़वाली-कुमाउंनी ग्रीष्म-कालीन शिक्षण सत्र का आयोजन किया था। जिसके माध्यम से दिल्ली में रह रहे उत्तराखंड के बच्चों को अपनी भाषा-बोली को जानने समझने और सीखने का अवसर प्रदान किया गया। जिसमें शिक्षकों और लेखकों ने भी बच्चों को पढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उत्तराखंडी भाषा-बोली से मैदान बन चुके पहाड़ो को जोड़े रखने में सराहनीय कदम उठाया। 

इन साहित्यकारों, कवियों एवं लेखकों को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में डीपीएमआई ने सम्मानित किया। डीपीएमआइ ने उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य और उत्तराखंड एकता मंच के साथ मिलकर इस सम्मान समारोह का आयोजन किया था।कार्यक्रम में मौजूद हंस कल्चर सेंटर के सचिव चंदन सिंह भंडारी ने कहा कि देश भर में समाज सेवी माता मंगला एवं भोलेजी महाराज जी जिस तरह से शिक्षा की दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर कार्य कर रहे हैं। यह बहुत ही महत्वपूर्ण हैं कि डाक्टर विनोद बच्छेती जी इसी लीक को आगे बढ़ा रहे हैं। इसके लिए हम बच्छेती जी को बधाई देते हैं और शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें जो भी सहयोग चाहिए होगा। हम उन्हें मदद का भरोसा दिलाते हैं।

इस मौके पर पूर्वी दिल्ली की महापौर नीमा भगत ने कहा कि डीपीएमआई जिस तरह से अपनी लोक बोलियों के संरक्षण के लिए कार्य कर रहा है। यह सम्मान योग्य कार्य है। क्योंकि हमारी लोक संस्कृति वास्तव में हमारे लोक भाषाओं में बिराजमान हैं। जिसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए डाक्टर बच्छेती काम कर रहे हैं। खास तौर पर आज की युवा पीढ़ी तक, यह हम सब के जागरूकता का अभियान भी है। जिसे हम सब को आगे बढ़ाना चाहिए।

बीजेपी नेता महेंद्र कुमार ने इस मौके पर कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में डाक्टर बच्छेती जी का यह कार्य सराहनीय है। क्योंकि डाक्टर बच्छेती अपनी भाषा-बोली से नयी पीढ़ी को सृजित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।


डीपीएमआइ के चेयरमैन विनोद बच्छेती ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए समारोह में मौजूद शिक्षकों, कवियों, साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम अपनी लोक भाषा को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने में सक्षम हो रहे हैं। जिसका श्रेय सीधे तौर पर हमारे शिक्षकों, लेखकों और बुद्धिजीवियों को जाता है जो बड़ी संख्या में हमारे साथ खड़े रहे और उन्होंने गढ़वाली-कुमाउंनी भाषा को उन बच्चों को सिखाया जिन्हें कभी अपनी भाषा-बोली के बारे में पता ही नहीं था। मुझे आपको बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे गुरूजनों के आशीर्वाद से आज ये बच्चे बहुत ही अच्छी तरह गढ़वाली-कुमाउंनी बोल रहे हैं और दुसरे लोगों से भी अपनी भाषा में बात करने का आग्रह कर रहे हैं। मैं अपने उन सहयोगियों का भी आभार प्रकट करना चाहूंगा जो हमारे साथ इस मिशन में चल रहे हैं।
इस समारोह में वरिष्ठ कवि ललित केशवान, कवि जयपाल सिंह रावत, समाजसेवी रोशनी चमोली सहित 40 शिक्षकों को सम्मानित किया गया।
इस मौके सेंट जेवियर स्कूल की एचओडी डॉ. प्रतिभा, हंस कल्चर सेंटर के कार्यकर्ता दिनेश कंडारी सहित देश की जानी मानी हस्तियां भी मौजूद थी।