ढैंचा बीज खरीद घोटाला: त्रिवेंद्र को मिली क्लीनचिट

ढैंचा बीच खरीद में घोटाले के मामले में त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट पर सरकार की एक्शन टेकन रिपोर्ट, लोकायुक्त विधेयक व उत्तराखंड लोकसेवकों के वार्षिक स्थानांतरण विधेयकों को प्रवर समितियों की संस्तुतियों के साथ गुरुवार देर रात्रि सदन के पटल पर रखा गया। वहीं सदन की कार्यवाही देर रात्रि जारी रखने और कार्यसूची में शामिल किए बगैर त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट और उक्त विधेयक पटल पर रखने के विरोध में कांग्रेस विधायक वेल में धरने पर बैठे। विपक्ष के विरोध के बीच उत्तराखंड विनियोग विधेयक पारित हो गया। वहीं सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।

सदन में पेश त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट में तत्कालीन कृषि मंत्री और सचिव को क्लीन चिट दी गई है। सरकार का आरोप है कि पूर्व सरकार ने जांच रिपोर्ट एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) चार बार कैबिनेट में आने के बावजूद इसे सदन में नहीं रखा। रिपोर्ट में कहीं भी तत्कालीन कृषि मंत्री और मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को आरोपी नहीं बनाया गया है। तत्कालीन सचिव कृषि भी इस मामले से बाहर आते नजर आ रहे हैं।  गौरतलब है कि वर्ष 2005-06 में कृषि विभाग ने प्रदेश में खरीफ की फसल को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज वितरण करने की योजना बनाई। इसके क्रम में तत्कालीन कृषि निदेशक ने योजना को मूर्त रूप देने के लिए विभाग को निर्देश जारी किए।

इस दौरान ऊधमसिंह नगर, देहरादून व चंपावत में तकरीबन 15,000 कुंतल ढैंचा बीज की आवश्यकता बताते हुए टेंडर जारी कराए गए। आरोप यह लगे की यह टेंडर 60 फीसद से अधिक दर पर दिए गए। इसके बाद वर्ष 2010 में एक निजी कंपनी को बिना टेंडर प्रक्रिया अपनाए बीज आपूर्ति का भी ठेका दे दिया गया, मामले के तूल पकड़ने के बाद  कांग्रेस सरकार ने इसकी जांच त्रिपाठी आयोग को सौंपी थी। 2014 में आयोग की ओर से रिपोर्ट सरकार को सौंपी गई। तब से अब तक इस मामले में सरकार ने एटीआर को सदन के पटल पर नहीं रखा था। एटीआर को सदन में रखने के बाद भाजपा इस मामले में कांग्र्रेस पर हावी नजर आ रही है।