ऐसा है देश का पहला ‘बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट’ यानी नये युग का सूत्रपात

ऐसा है देश का पहला “बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट”

🚅 मुंबई से अहमदाबाद के बीच
🚅 स्टेशन की संख्या : 12
🚅 यात्रा समय : 2.07 घंटा

🚅 रूट की लंबाई : 508 किलोमीटर
🚅 एलिवेटेड रूट : 92%
🚅 सुरंग की लंबाई : 6%
🚅 जमीन पर : 2%
🚅 भूमि अधिग्रहण : 825 हेक्टेयर

🚅 अधिकतम रफ़्तार : 350 Kmph
🚅 परिचालन रफ़्तार : 320 Kmph
🚅 कोच की संख्या : 10 (16 तक बढ़ाया जाएगा)
🚅 बैठने की क्षमता : 750 (1250 तक बढ़ाया जाएगा)

🚅 ट्रेन की संख्या : 35 (105 तक बढ़ाया जायेगा)
🚅 प्रतिदिन यात्राएं : 70
🚅 यात्रियों की संख्या : 1.6 करोड़ वार्षिक

🚅 परियोजना लागत : 1.08 लाख करोड़
🚅 परियोजना ऋण : 88,000 करोड़
🚅 राज्य सरकार का हिस्सा : 5,000 करोड़

🚅 प्रत्यक्ष नौकरियां : 4,000
🚅 अप्रत्यक्ष नौकरियां : 20,000
🚅 निर्माण मजदूर : 20,000

🚅 भारतीय ठेकेदारों द्वारा निर्मित : 460 Kms
🚅 21 किलोमीटर लंबी समुद्र के अंदर सुरंग जापान द्वारा बनाई जाएगी

🚅 ऋण पर ब्याज दर : 0.1 %
🚅 ऋण अवधि : 50 वर्ष
🚅 ऋण स्थगन अवधि : 15 वर्ष (मतलब ऋण का भुगतान 15 वर्ष बाद शुरू किया जाएगा)

🚅 परियोजना स्वीकृत : मई 2014
🚅 समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर : दिसंबर 2015
🚅 आधारशिला रखी गई : सितम्बर 2017

🚅 बुलेट ट्रेन का संचालन शुरू होगा : 2022-23
🚅 ‘पुणे’ और ‘नासिक’ तक विस्तार किया जाएगा

🚅 बुलेट ट्रेन मार्ग के साथ आल वेदर रोड भी बनेगी

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट’ यानी नये युग का सूत्रपात। जब भारत में पहली बार  रेलवे लाइन बिछनी शुरू हुई तब कुछ गांधी वादियो ने उसका यह कह कर विरोध किया था कि भारत माता को लोहे की बेड़ियों में जकड़ ना ठीक नहीं है। उसी तरह से जब भारत में पहली बार कंप्यूटर आए तब वामपंथियों ने राजीव गांधी का यह कहकर विरोध किया था कि कंप्यूटर लोगों को बेरोजगार कर देगा। उसी तरह से आज देश में यदि कुछ समाज विरोधी तत्व यदि बुलेट ट्रेन का विरोध कर रहे हैं तो वह दया के पात्र हैं क्योंकि भविष्य में जब सभी एनर्जी सोर्स खत्म हो जाएंगे तब तब ग्रेविटी फोर्स से चलने वाली बुलेट ट्रेन ही देश की संचार माध्यम बनेंगी। अच्छा है उनके ट्रेक मोदी राज में बनने शुरू हो गये।(साभार संजय द्विवेदी) #BulletTrainProject  #OnlyNaMoCan #BulletTrain