तैरने वाले पत्थरों से बना ये रहस्यमय रामप्पा मंदिर, तेलंगाना)

तैरने वाले पत्थरों से बना #रहस्यमयी_मंदिर
(रामप्पा मंदिर,तेलंगाना)

भारत वर्ष के हिन्दू मंदिर की भव्यता देखो।
मन्दिर का हर एक चित्र ध्यान से देखिए आपको इसकी भव्यता साफ साफ दिखाई देगी

इस मंदिर की मूर्तियों और छत के अंदर जो पत्थर उपयोग किया गया है वह है बेसाल्ट जो कि पृथ्वी पर सबसे मुश्किल पत्थरों में से एक है इसे आज की आधुनिक Diamond electron machine ही काट सकती है वह भी केवल 1 इंच प्रति घंटे की दर से

अब आप सोचिये कैसे इन्होंने 3000 साल पहले इस पत्थर पर इतनी बारीक कारीगरी की है

यहां पर एक नृत्यांगना की मूर्ति भी है जिसने हाई हील पहनी हुई है

सबसे ज्यादा अगर कुछ आश्चर्यजनक है वह है इस मंदिर की छत यहां पर इतनी बारीक कारीगरी की गई है जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है

मंदिर की बाहर की तरफ जो पिलर लगे हुए हैं उन पर कारीगरी देखिए दूसरा उन की चमक और लेवल में कटाई

मंदिर के प्रांगण में एक नंदी भी है जो भी इसी पत्थर से बना हुआ है और जिसकी ऊंचाई नौ फीट है,उस पर जो कारीगरी की हुई है वह भी बहुत अद्भुत है।

पुरातात्विक टीम जब यहां पहुंची तो वह इस मंदिर की शिल्प कला और कारीगिरी से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई लेकिन वह एक बात समझ नहीं पा रहे थे कि यह पत्थर क्या है और इतने लंबे समय से कैसे टिका हुआ है

पत्थर इतना सख्त होने के बाद भी बहुत ज्यादा हल्का है और वह पानी में तैर सकता है इसी वजह से आज इतने लंबे समय के बाद भी मंदिर को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची है

यह सब आज के समय में करना असंभव है इतनी अच्छी टेक्नोलॉजी होने के बाद भी तो 900 साल पहले क्या इनके पास मशीनरी नहीं थी?

उस समय की टेक्नोलॉजी आज से भी ज्यादा आगे थी
यह सब इस वजह से संभव था कि उस समय वास्तु शास्त्र और शिल्पशास्त्र से जुड़ी हुई बहुत सी किताबें उपलब्धि थी जिनके माध्यम से ही यह निर्माण संभव हो पाये उस समय के जो इंजीनियर थे उनको इस बारे में लंबा अनुभव था क्योंकि सनातन संस्कृति के अंदर यह सब लंबे समय से किया जा रहा है

मंदिर शिव को समर्पित है

मंदिर का नाम इसके शिल्पी के नाम पर रखा हुआ है क्योंकि उस समय के राजा शिल्पी के काम से बहुत ज्यादा खुश हुए और उन्होंने इस मंदिर का नाम शिल्पी के नाम पर ही रख दिया।

यह मंदिर भीषण आपदाओं को झेलने के बाद भी आज तक सुरक्षित है।छह फीट ऊंचे प्लैटफॉर्म पर बने इस मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के दृश्य उकेरे हुए हैं। । यह रामायण और महाभारत के दृश्य एक ही पत्थर पर उकेरे गए है, वह भी छीनी हथोड़े से, आप बनाते समय की कल्पना कीजिये,एक हथौड़ा गलत पड़ा, और महीनों-वर्षों का श्रम नष्ट ….

आज तक इस मंदिर में कोई क्षति नही हुई है, मंदिर के न टूटने की बात जब पुरातत्व विज्ञानियों को पता चली, तो उन्होंने मंदिर की जांच की। पुरातत्व विज्ञानी अपनी जांच के दौरान काफी प्रयत्नों के बाद भी मंदिर के इस रहस्य का पता लगाने में सफल नहीं हुए।

बाद में जब पुरातत्व विज्ञानियों ने मंदिर के पत्थर को काटा, तब पता चला कि यह पत्थर वजन में काफी हल्के हैं। उन्होंने पत्थर के टुकड़े को पानी में डाला, तब वह टुकड़ा पानी में तैरने लगा। पानी में तैरते पत्थर को देखकर मंदिर के रहस्य पता चला।

सबसे बड़ा रहस्य यह है कि इस मंदिर में जो पत्थर मिले है, वह पत्थर विश्व के किसी कोने में नही मिले है, यह पत्थर कहाँ से लाये गए, आज तक इसका पता नही चल पाया है ।

एक निवेदन — हम सबको मिलकर हमारे भारत की इन अमूल्य धरोहरों का प्रचार जन-जन तक करना चाहिए, इसका इतना प्रचार हो, की पूरे संसार की की दृष्टि इन पर पड़े और वह भारत की महान संस्कृति पर गर्व करें।✍️आशुतोष तिवारी