दो साल से स्कबर में रह रही थी ये महिला, सिस्टम पर उठे सवाल

 हरीश मैखुरी

कल्पना कीजिए आपके पास रहने और खाने की व्यवस्था ना हो तो आप सड़क के नीचे बने इस कवर में रह सकते हैं जी हां यह आदम युग की घटना नहीं, अपितु सच्चाई है। उत्तराखंड के चंपावत जिले में लोहाघट विकास क्षेत्र में बाराकोट विद्युत सब स्टेशन के निकट जंगल के इलाके में बनी लिंक मोटरमार्ग के नीचे एक महिला ने पिछले 2 सालों से सड़क के ओनीचे स्कवर (कल्वर्ट) को ही अपना ठिकाना बना रखा है। और दो साल से यह महिला जंगल से लकड़ी और पानी इकट्ठा कर भिक्षा आदि में मिले अन्य से गुजारा करती है महिला ने अपना नाम मुन्नी देवी बताया, उनके के अनुसार पति ने दूसरी शादी कर ली थी और वह मर भी गया है मायके वाले रहने नहीं देते इसलिए महिला इस कल्वर्ट में रहने को विवश हो रही है। और हिंसक जानवरों से बचने के लिए स्कबर के मुंह को कांटों से ढ़क कर रात गुजरात है। यह कोई सामान्य घटना नहीं है यह हमारे तमाम विकास के दावों पर सवालिया निशान है, हमारे जनप्रतिनिधियों पर भी सवाल उठता है कि ये कैसा विकास है कि आदमी आज भी आदम युग की तरह गुफाओं में रहने को विवश हो जाए। वह तो अच्छा है यह महिला इतने समय से जीवित बच गई  अन्यथा किसी जंगली जानवर का निवाला भी बन सकती थी। यह जिला प्रशासन के नकारे पन का जीता जागता सबूत है कोई व्यक्ति 2 साल से आपके जनपद में इस तरह रहा और आपको पता ना चले इससे बड़ा न नकारापन क्या हो सकता है? ये तो गरीबी के कारण कल्वर्ट में रह रही महिला है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि यहां कोई जासूस या आतंकवादी भी आकर छिप जाए तो प्रशासन को पता ना चले?? इस महिला की जानकारी क्षेत्र के अनेक जागरूक नागरिकों ने वीडियो शोशल मीडिया पर भी अपलोड की है 

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 सूचना डायरी में दिए गए नंबरों पर  संपर्क करने की कोशिश की जिन्हें किसी ने उठाया नहीं। संबंधित थाना क्षेत्र के एसओ मनीष खत्री द्वारा बताया कि कल्वर्ट में रह रही मुन्नी देवी को गांव में खाली पड़े एक मकान पर अब शिफ्ट कर दिया गया है। यह महिला  कुछ लोगों का घास काटकर अपना जीवन व्यतीत कर रही थी इस महिला की रहने खाने की व्यवस्था कर दी गई है। व्यक्तिगत रूप से हम भी अनुरोध करते हैं कि यदि इन माता जी की व्यवस्था में प्रशासन सक्षम न हो तो हम इन्हें आजीवन आवास भोजन और वस्त्र का जिम्मा लेने हेतु तत्पर हैं।