कोरोना को जो नहीं समझ पा रहे, वे इन 5 बातों पर ध्यान दें

ःःविषय गंभीर है । कोरोना को जो नही समझ पा रहे या मजाक समझ रहे हैं वो केवल 5 बातों पर ध्यान दे कर देखें :-
1:- जन्म से लेकर अब तक कितनी बार आपकी कॉलर ट्यून बदली है सरकार ने ?
2:- आज तक कितनी बार दो देशों की सीमाओं को पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया ?
3:- कितनी बार विद्यालयों की परीक्षा रद्द की गई या मॉल , सिनेमाघर इत्यादि बन्द रहे हैं ?
4:- कितनी बार न्यायालय या अन्य कार्यालय बन्द होते दिखे ?
5:- कितनी बार सरकार ने किसी वायरस के चलते धारा 144 लगाई ?
समस्या यह है कि सरकार जनता को पूरी बात इसलिए नही बता रही कि कहीं जनता घबराए ना । लेकिन चेतावनी लगातार दे रही है और पूरे प्रयास कर रही है कि जनता सुरक्षित रहे। लेकिन जनता को मजाक से फुरसत नही है । जिन्हें अभी भी समझ नही आ रहा वो गूगल पर इटली ओर चीन की स्थिति देखें

जनता कर्फ़्यू के पीछे लॉजिक *।
चूंकि एक स्थान पर कारोना वायरस का जीवन 12 घंटे और जनता कर्फ्यू 14 घंटे के लिए होता है, इसलिए सार्वजनिक क्षेत्रों के स्थान या बिंदु जहां कारोना बच सकता है, उसे 14 घंटे तक नहीं छुआ जाएगा और इससे श्रृंखला टूट जाएगी।
14 घंटे के बाद हमें जो मिलेगा वह एक सुरक्षित देश होगा।
वह विचार है पीछे। आगे यह एक ड्रिल होगा यदि निकट भविष्य में अधिक समय तक आवश्यकता होगी … drill

*🙏विशेष अपील- कोरोना के लिए🙏*

ये सप्ताह कैरोना के लिए बेहद वाइटल है।
इसे #community_stage कहते हैं। इस समय रुक गया तो ठीक… नहीं तो महामारी स्टेज में चला जाएगा। फिर हम सब इसकी ज़द में आ सकते हैं।

इटली में लोगों ने शुरू में हल्के से लिया। छूट्टी समझ कर पार्टी करते रहे, दोस्तों रिश्तेदारों से मिलते रहे जिससे ये कम्युनिटी में फैल कर अब महामारी बन गया है। कौन किसमें फैला रहा है, सरकार पकड़ ही नही पा रही ।
भय, अवसाद, अनिद्रा, अकेलापन…आज इटली का यथार्थ है। जिससे निकलने में वर्षो लग जाएंगे।

*अब समझ आया*
*पूर्वजों के समय में*
1. शौचालय और स्नानघर निवास स्थान के बाहर होते थे।
2.क्यों बाल कटवाने के बाद या किसी के दाह संस्कार से वापस घर आने पर बाहर ही स्नान करना होता था बिना किसी व्यक्ति या समान को हाथ लगाए हुए।

3. क्यों पैरो की चप्पल या जूते घर के बाहर उतारा जाता था, घर के अंदर लेना निषेध था।

4. क्यों घर के बाहर पानी रखा जाता था और कही से भी घर वापस आने पर हाथ पैर धोने के बाद अंदर प्रवेश मिलता था।

5.क्यों जन्म या मृत्यु के बाद घरवालों को 10 या 13 दिनों तक सामाजिक कार्यों से दूर रहना होता था।

6. क्यों किसी घर में मृत्यु होने पर भोजन नहीं बनता था ।

7. क्यों मृत व्यक्ति और दाह संस्कार करने वाले व्यक्ति के वस्त्र शमशान में त्याग देना पड़ता था।

8. क्यों भोजन बनाने से पहले स्नान करना जरूरी था और कोसे के गीले कपड़े पहने जाते थे।

9.क्यों स्नान के पश्चात किसी अशुद्ध वस्तु या व्यक्ति के संपर्क से बचा जाता था।

10.क्यों प्रातःकाल स्नान कर घर में अगरबत्ती,कपूर,धूप एवम घंटी और शंख बजा कर पूजा की जाती थी।

हमने अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित नियमों को ढकोसला समझ छोड़ दिया और पश्चिम का अंधा अनुसरण करने लगे।
आज कॉरोना वायरस ने हमें फिर से अपने संस्कारों की याद दिला दी है,उनका महत्व बताया है।
हिन्दू धर्म, ज्ञान और परंपरा हमेशा से समृद्ध रही है,
आज वक्त है अपनी आंखो पर पड़ी धूल झाड़ने और ये उच्च संस्कार अपने परिवार और बच्चो को देने का।

आपकी ज़िंदगी आपके माँ बाप, भाई- बहन, मित्रों के लिए बेहद मायने रखता है। आप पर न जाने कितने लोगों की जिम्मेवारियां हैं। इसलिए जिम्मेवार बनिये।

SO PLEASE, इसे हल्के में मत लीजिए और जितना हो सके, अकेले में समय बिताइए। अच्छी किताबें पढ़िए, fb, wats app, you tube चलाइये, मूवी डाऊनलोड करके देखिए। पर प्लीज़ अकेले रहिये।