‘*उत्तराखंड मैं उत्पादकता और कृषि कर्म के लिए धाद देगा हरेला सम्मान*
*सामाजिक कार्यकर्त्ता लोकेश नवानी की दिवंगत पत्नी जसोदा देवी की स्मृति में किया पौधा रोपण *
उत्तराखंड में उत्पादकता और कृषि कर्म में श्रेष्ठ उदहारण पेश करने वालों को हर वर्ष दिया जायेगा हरेला सम्मान। सम्मान में संस्था द्वारा रुपये 21000 की राशि और सम्मान पत्र प्रदान किया जायेगा। धाद द्वारा चलाये जा रहे हरेला अभियान में सोमवार सामाजिक कार्यकर्त्ता लोकेश नवानी की दिवंगत पत्नी जसोदा देवी की स्मृति में पौधा लगाने के पश्चात ये घोषणा धाद के सचिव तन्मय ममगाईं द्वारा की गयी। गाँधी पार्क में गुलमोहर का पौधा नगर के वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ जयंत नवानी द्वारा किया गया । जन सभा को संबोधित करते हुए चिकित्सा के क्षेत्र मैं अपने सामाजिक कार्यों से पहचान बना चुके नगर के वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ नवानी ने कहा हर श्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता के पीछे उनके परिवार और पत्नी की विशेष भूमिका होती है इसलिए समाज को उन नायकों के नीवं में काम करने वालों को स्मरण करना एक बेहतर उदहारण है। जसोदा देवी एक सरल और मृदुभाषी महिला थी जिन्होंने अपना जीवन उन सभी उद्देश्यों के लिए समर्पित किया जिनके लिए लोकेश नवानी आजीवन प्रयासरत रहे । साहित्यकार नीलम प्रभा वर्मा ने उनके सरल व्यवहार पर अपनी बात रखते हुए उन्हें उन तमाम महिलाओं का प्रतीक बताया जो अपने घर परिवार के पालन पोषण में स्वयं को समार्पित कर देती है।
उत्तराखंड मे लोकभाषाओं के शब्दकोष पर काम कर रहे रमाकांत बेंजवाल ने अपने स्मरण साझा करते हुए बाते की एक दौर में लोकभाषा आन्दोलन का ठिकाना रहा लोकेश नवानी का आवास उनके मातृत्व भाव का प्रतीक था, जहाँ सब अनुग्रेहित होते थे। हरेला सम्मान की पहल का स्वागत करते हुए सामाजिक कार्यकर्त्ता लोकेश नवानी ने बताया कि आज भी अंतिम आदमी की जो परिभाषा है वो दरअसल समाज की स्त्री ही है, जिसे अपने परिवार समाज और व्यवस्था में अभी तक न्याय नही मिला है। उन्होंने बताया की दूरस्थ क्षेत्र में पैदाईश होने के कारण जसोदा देवी को विधिवत शिक्षा नहीं मिल पायी। लेकिन अपने श्रेष्ठ मानवीय गुणों के कारण उन्होंने एक दौर में धाद के आन्दोलन में बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि धाद द्वारा प्रस्तावित उनके यह निमित्त पुरुस्कार दरअसल उनके अथक परिश्रम का सम्मान है जो उन्होंने धाद की यात्रा को समर्पित किया । धाद के उपाध्यक्ष डी सी नौटियाल लोक कलाकार रीता भंडारी,गढ़वाली कवि शांति प्रकाश जिज्ञासु,उत्तराखंड आन्दोलनकारी विजय जुयाल और नवीन नौटियाल ने भी इस अवसर पर अपने स्मरण साझा किये। इस अवसर पर कल्पना बहुगुणा, पूनम नैथानी , सुजाता पाटनी, डॉ विद्या सिंह , सुधीर जुगरान, प्रेमलता सजवाण, बृज मोहन उनियाल, बीना कंडारी, कुलदीप कंडारी , मधु बिष्ट, सुनीता चौहान, कांता घिल्डियाल , साकेत रावत, रविन्द्र नेग़ी, विरेश ,अनुव्रत नवानी आदि मौजूद थे।