आज का पंचाग, आपका राशि फल, माघ पूर्णिमा, इतिहास के दर्पण में विनायक दामोदर सावरकर, संत रविदास जयन्ती

📖 *नीतिदर्शन………………….*✍🏿
*धर्मे नीतौ चरित्रे च निष्ठा चेद्घ्रसते क्वचित्।*
*दुर्भिक्षं कलहो मृत्युस्तर्हि तत्र भवेद् ध्रुवम्।।*
📝 *भावार्थ* 👉🏿 नैतिकतामें कमी आने से स्वर्ग भी नरकतुल्य हो जाता है। धर्म, नीति और चरित्र में जब जहाँ-जहाँ कहीं निष्ठा की कमी होती है तो वहाँ *अकाल, कलह* और *मृत्यु* निश्चित रूप से जन्म लेते हैं।
💐👏🏿 *सुदिनम्* 👏🏿💐
🌹………..|| *पञ्चाङ्गदर्शन* ||……….🌹
*श्रीशुभ वैक्रमीय सम्वत् २०७७ || शक-सम्वत् १९४२ || सौम्यायन् || प्रमादी नाम संवत्सर|| शिशिर ऋतु || माघ शुक्लपक्ष || तिथि पूर्णिमा अपराह्न १:४८ तक उपरान्त फाल्गुन कृष्ण प्रतिपदा || मन्दवासर || फाल्गुन सौर १६ प्रविष्टा || तदनुसार २७ फरवरी २०२१ ई० || नक्षत्र मघा पूर्वाह्ण ११:१७ तक उपरान्त पूर्वाफाल्गुनी || सिंहस्थ चन्द्रमा ||*
💐👏🏾 *सुदिनम्* 👏🏾💐

✡️दैनिक पंचांग✡️

✡️Date :27 – 02 – 2021(शनिवार)✡️
✡️फाल्गुन मासे ✡️
✡️16 प्रविष्टे गते ✡️
सूर्योदय :06.53 am
सूर्यास्त :06.25 pm
सूर्य राशि :कुंभ
चन्द्रोदय :06.37 pm
चंद्रास्त :07.38 am
चन्द्र राशि :सिंह
विक्रम सम्वत :विक्रम संवत 2077
अमांत महीना :माघ 16
पूर्णिमांत महीना :माघ 30
पक्ष :शुक्ल पूर्णिमा
तिथि :पूर्णिमा 1.47 pm तक, बाद में प्रतिपदा
नक्षत्र :मघा 11.18 am तक, बाद में पूर्व फाल्गुनी
योग :सुकर्मा 7.37 pm तक, बाद में धृति
करण :बव 1:47 pm तक, बाद में बालव कौलव
राहु काल :9.10 am – 10.50 am
कुलिक काल :5.49 am – 7.29 am
यमगण्ड :2.11 pm – 3.52 pm
अभिजीत मुहूर्त :12.16 PM – 01.02 PM
दुर्मुहूर्त :08:26 am – 09:12 am

माघ मास की पूर्णिमा की बधाई और शुभकामनाएं 

🕉️आज के लिए राशिफल (27-02-2021) ✡️

🕉️मेष27-02-2021✡️

आज के दिन आपको कोई बड़ा फैसला लेने से बचना चाहिए। व्यापार में अच्छी गति से आपको लाभ होगा। आपके कुछ काम आज अटक सकते हैं, लेकिन जीवनसाथी की मदद से सब कुछ ठीक भी हो जायेगा। आपको अपने काम के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने की जरूरत है। आप अपनी स्किल्स को बढ़ाने की कोशिश करेंगे। आपको शाम के समय किसी समारोह में जाने का मौका मिलेगा। आपको वहां पर अपने कुछ पुराने दोस्त भी मिलेगे। पारिवारिक जीवन सुखद बना रहेगा,आपकी सभी समस्याएं दूर होगी।

भाग्यशाली दिशा : पूर्व

भाग्यशाली संख्या : 5

भाग्यशाली रंग : हल्का हरा

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🕉️वृष 27-02-2021✡️

आज कार्य क्षेत्र में आप नई योजनाओं की ओर ध्यान देंगे, जिससे आपको भरपूर लाभ मिलता दिख रहा है, जो लोग सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं, उनको आज कार्य के चलते अपने अधिकारियों के कोप का भाजन बनना पड़ सकता है। आज अपनी लव लाइफ के लिए आप व्यस्तता के बीच भी समय निकाल लेंगे, जिससे जीवन साथी का मन प्रसन्न हो उठेगा। अपने भाई बहनों के साथ संबंधों में मधुरता आएगी। आज शाम का समय सामाजिक संबंधों के लिए लाभदायक रहेगा।

भाग्यशाली दिशा : दक्षिण

भाग्यशाली संख्या : 4

भाग्यशाली रंग : ग्रे रंग

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🕉️मिथुन 27-02-2021✡️

आज आपको कुछ उत्तरदायित्व वाला काम मिलने वाला होगा। इससे आपको थोड़ी दिक्कतें भी हो सकती हैं। लेकिन धैर्य रखेंगे तो थोड़ा अच्‍छा भी फील होगा। आज शाम को चलते-फिरते अचानक प्रियजन से भी मुलाकात हो सकती है। साथ ही आपको उसकी तत्काल मदद भी करनी पड़ सकती है। व्‍यवसाय में कुछ कठिनाईयां आएंगी लेकिन इसके बावजूद आप स्वयं को कमजोर नहीं समझें। यकीन रखें कि आने वाला समय आपके लिए खुशियां लेकर आएगा। जो लोग से अखबार से जुड़े हैं, उन्हें आज अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता पड़ेगी।

भाग्यशाली दिशा : उत्तर

भाग्यशाली संख्या : 2

भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग

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🕉️कर्क 27-02-2021✡️

आज आप अपने भविष्य को लेकर विचार करेंगे। आप अपने करियर को बेहतर बनाने के बारे में सोच सकते हैं। कार्यस्थल पर सबके साथ आपके संबंध बेहतर होंगे। आर्थिक रूप से आपको माता-पिता का सहयोग मिलेगा। आसपास के लोगों को किसी काम के लिए आपकी जरूरत पड़ेगी। आपके लिए कहीं बाहर यात्रा के योग भी बन रहे हैं। सेहत के मामले में आज आप अच्छा महसूस करेंगे। आपके प्रेम संबंध मजबूत होंगे। ऑफिस में आपको किसी काम केलिये पुरस्कार मिलेगा। आज आप हर मौके का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे।

भाग्यशाली दिशा : पश्चिम

भाग्यशाली संख्या : 3

भाग्यशाली रंग : हल्का पीला

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🕉️सिंह 27-02-2021✡️

आज का दिन आपके लिए कुछ खर्चे भरा रहेगा, लेकिन यदि आप खर्चों पर नियंत्रण रख पाए, तो दिन आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगा। अपने विरोधियों की आलोचना पर ध्यान ना दे कर अपना काम करते रहेंगे, तो आगे चलकर सफलता आपके कदम चूमेगी। रोजगार से जुडे जातकों के अधिकारों में आज वृद्धि होगी। आज आप अपने सामाजिक क्षेत्र में भी मेलजोल बढ़ाने में कामयाब रहेंगे। विवाह योग्य जातकों के लिए आज कुछ अच्छे प्रस्ताव आएंगे। आज विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में किसी अवरोध का सामना करना पड़ सकता है।

भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पूर्व

भाग्यशाली संख्या : 4

भाग्यशाली रंग : हल्का नीला

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🕉️कन्या27-02-2021✡️

कोई अगर आपकी ओर प्रेम-प्रणय का हाथ बढ़ा रहा है तो अपना स्टेट्स देखकर ही उसका जवाब दें। क्‍योंकि हो सकता है कि वह आपका कोई शारीरिक फायदा उठाना चाह रहा हो। आज आपको अपने कार्यक्षेत्र में कुछ फेरबदल भी करनी पड़ सकती है। ध्‍यान रखें यह बदलाव आपके लिए कुछ बेहतर परिणाम जरूर लेकर आएगा। परिवार को लेकर अपनी जिम्‍मेदारियों को समझने का प्रयास करें। अन्‍यथा रिश्‍तों में दूरियां बढ़ेंगी।

भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम

भाग्यशाली संख्या : 5

भाग्यशाली रंग : हरा रंग

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🕉️तुला 27-02-2021✡️

आज आपकी कल्पना शक्ति आपके लक्ष्य को प्राप्त करने मेंसहायता करेगी। आप पहले से ज्यादा बेहतर ढंग से अपने काम को पूरा करेंगे।आपको परिवार का पूरा सपोर्ट मिलेगा। अगर आप किसी तरह का लेन-देन करने जा रहे हैं, तो किसी बड़े की राय लेना आपके लिये फायदेमंद रहेगा। जीवनसाथी कीउपलब्धियों की सराहना करने से दाम्पत्य जीवन में मधुरता आयेगी। सामाजिक क्षेत्र से जुड़े कार्यों में आप बहुत हद तक सफल रहेंगे। जीवन में सफलता मिलेगी।

भाग्यशाली दिशा : पूर्व

भाग्यशाली संख्या : 6

भाग्यशाली रंग : सफ़ेद रंग

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🕉️वृश्चिक 27-02-2021✡️

आज आपके प्रेम जीवन में एक नई ऊर्जा उत्पन्न होगी, जिससे आप का मन प्रसन्न होगा। परिवार के सभी सदस्य आज किसी मांगलिक कार्यक्रम की विशेष तैयारियों में लग सकते हैं, जिसमें खर्चा भी अधिक होगा। किसी महिला मित्र के कारण आज आप अपने व्यवसाय में उन्नति के अवसर प्राप्त करेंगे। कार्यक्षेत्र में भी आज अधिकारी से सांठगांठ रहेगी, जिसका फायदा आपको अवश्य मिलेगा। किसी सरकारी संस्था से दूरगामी लाभ की पृष्ठभूमि भी आज बनेगी।

भाग्यशाली दिशा : दक्षिण उत्तर

भाग्यशाली संख्या : 1

भाग्यशाली रंग : हल्का लाल

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🕉️धनु 27-02-2021✡️

यदि आप किसी उलझन में हैं या फिर प्रेमीजन की किसी बात से परेशान हैं तो आपको अपनी मजबूरी या असमर्थता साफ-साफ जाहिर कर देनी चाहिए। ध्‍यान रखें कि ये परेशान‍ियां जल्‍दी ही खत्‍म हो जाएंगी। कार्यक्षेत्र में महत्वपूर्ण कागज पत्रों को संभालकर रखें। अन्‍यथा किसी बड़ी मुश्किल में फंस सकते हैं। पारिवारिक रिश्तों का आज अपने बिजनेस में भरपूर साथ मिलेगा। विद्यार्थियों को आज एकाग्रता बनाए रखना होगा, तभी सफलता प्राप्त होने की उम्मीद है।

 

भाग्यशाली दिशा : दक्षिण पश्चिम

भाग्यशाली संख्या : 2

भाग्यशाली रंग : बैंगनी रंग

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🕉️मकर 27-02-2021✡️

आज आपके कामकाज में स्थिरता बनी रहेगी। आप कुछ नया सोचने में खुद को असमर्थ महसूस करेंगे। मित्रों से आपके संबंध बेहतर रहेंगे। आपको उनसे अपने काम में मदद मिलेगी। जो लोग मैनेजर पोस्ट पर हैं, आज उन्हें अपने काम में जल्दबाजी करने से बचना चाहिए। घर के बड़े-बुजुर्गों के साथ किसी विषय को लेकर आपका विवाद हो सकता है। आपको उनकी बात मान लेनी चाहिए। धैर्य रखने से चीज़ें जल्द ही बेहतर होगी। सेहत अच्छा होगी, बस ठंड़ खाने से बचें।

 

भाग्यशाली दिशा : पूर्व

भाग्यशाली संख्या : 3

भाग्यशाली रंग : गहरा पीला

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🕉️कुंभ 27-02-2021✡️

आज आपके भाई बहनों के सामने असमंजस की स्थिति बनेगी और चर्चाओं से मतभेद दूर होंगे। कार्यक्षेत्र में कोई समस्या जन्म लेगी। भूमि व वाहन खरीदने के आज योग बन रहे हैं। सरकारी जातकों को आज ट्रांसफर का संयोग बन सकता है। सांसारिक सुख भोगेंगे। घर गृहस्ती के उपयोग की प्रिय वस्तु खरीदी जा सकती है। बैक्टीरिया जनित रोगों से सावधान रहना होगा। पुराने व्यवसायिक संबंधों से आपको अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। प्रेम जीवन में आज नई ताजगी का एहसास होगा।

भाग्यशाली दिशा : पूर्व

भाग्यशाली संख्या : 7

भाग्यशाली रंग : चंदन सफेद

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🕉️मीन 27-02-2021✡️

आज आपको सज-धज कर कहीं पर जाना पड़ सकता है या फिर किसी सभा-समारोह के लिए तैयार होना पड़ सकता है। लेकिन ध्‍यान रखें कि आज फिजूल की तड़क-भड़क से दूर रहें और किसी शान दिखाने वाले व्यक्ति से शअपना मुकाबला न करें। आज दोपहर बाद किसी कानूनी विवाद या मुकदमें में जीत आपके लिए खुशी का कारण बन सकती है। आज आपके शुभ खर्च और कीर्ति में वृद्धि होगी। बाहर का खाने से बचें, पेट सबंधित परेशानी खत्म होगी। सायंकाल का समय संतान पक्ष से अचानक से कोई शुभ समाचार मिल सकता है।

 

भाग्यशाली दिशा : पश्चिम

भाग्यशाली संख्या : 1

भाग्यशाली रंग : नारंगी रंग
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आपका अपना पंडित चक्रधर प्रसाद मैदुली फलित ज्योतिष शास्त्री जगदंबा ज्योतिष कार्यालय सोडा सरोली रायपुर देहरादून मूल निवासी ग्राम वादुक पत्रालय गुलाडी पट्टी नन्दाक जिला चमोली गढ़वाल उत्तराखंड फोन नंबर ✡️✡️✡️✡️8449046631✡️✡️✡️✡️

 

#वीर_सावरकर
……2 दशक से भी ज्यादा समय दक्षिण अफ्रीका में बिता कर 45 साल के महात्मा गांधी 1915 में भारत आते हैं।

इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है।
अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और छिलके कूटवाते हैं। वो तमाम कैदियों को शिक्षित कर रहा होता है, उनमें राष्ट्रभक्ति की भावनाएँ प्रगाढ़ कर रहा होता है और साथ ही दीवालों कर कील, काँटों और नाखून से साहित्य की रचना कर रहा होता है।
“उनका नाम था- विनायक दामोदर सावरकर।”

“🙏वीर सावरकर”
उन्हें आत्महत्या के ख्याल आते।
उस खिड़की की ओर एकटक देखते रहते थे, जहाँ से अन्य कैदियों ने पहले आत्महत्या की थी। पीड़ा असह्य हो रही थी। यातनाओं की सीमा पार हो रही थी।

अंधेरा उन कोठरियों में ही नहीं, दिलोदिमाग पर भी छाया हुआ था। दिन भर बैल की जगह खटो, रात को करवट बदलते रहो। 11 साल ऐसे ही बीते। कैदी उनकी इतनी इज्जत करते थे कि मना करने पर भी उनके बर्तन, कपड़े वगैरह धो देते थे, उनके काम में मदद करते थे।

सावरकर से अँग्रेज बाकी कैदियों को दूर रखने की कोशिश करते थे। अंत में बुद्धि को विजय हुई तो उन्होंने अन्य कैदियों को भी आत्महत्या से विमुख किया।

लेकिन नहीं, महा गँवारों का कहना है कि सावरकर ने मर्सी पेटिशन लिखा, सॉरी कहा, माफ़ी माँगी..ब्ला-ब्ला-ब्ला।

मूर्खों, काकोरी कांड में फँसे क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने भी माफ़ी माँगी थी। तो? उन्हें भी ‘डरपोक’ करार दोगे? बताओ। उन्होंने भी माफ़ी माँगी थी अंग्रेजों से। क्या अब इस कसौटी पर क्रांतिकारियों को तौला जाएगा?

शेर जब बड़ी छलाँग लगाता है तो कुछ कदम पीछे लेता ही है। उस समय उनके मन में क्या था, आगे की क्या रणनीति थी- ये आज कुछ लोग बैठे-बैठे जान जाते हैं। कौन ऐसा स्वतंत्रता सेनानी है जिसे 11 साल कालापानी की सज़ा मिली हो ऐसा दूसरा कौन….. ?

नानासाहब पेशवा, महारानी लक्ष्मीबाई और वीर कुँवर सिंह जैसे कितने ही वीर इतिहास में दबे हुए थे। 1857 को सिपाही विद्रोह बताया गया था। तब इसके पर्दाफाश के लिए 20-22 साल का एक युवक लंदन की एक लाइब्रेरी का किसी तरह एक्सेस लेकर और दिन-रात लग कर अँग्रेजों के एक के बाद एक दस्तावेज पढ़ कर सच्चाई की तह तक जा रहा था, जो भारतवासियों से छिपाया गया था।

उसने साबित कर दिया कि वो सैनिक विद्रोह नहीं, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था। उसके सभी अमर बलिदानियों की गाथा उसने जन-जन तक पहुँचाई। भगत सिंह सरीखे क्रांतिकारियों ने मिल कर उसे पढ़ा, अनुवाद किया।

दुनिया में कौन सी ऐसी किताब है जिसे प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दिया गया था? अँग्रेज कितने डरे हुए थे उससे कि हर वो इंतजाम किया गया, जिससे वो पुस्तक भारत न पहुँचे।

जब किसी तरह पहुँची तो क्रांति की ज्वाला में घी की आहुति पड़ गई। कलम और दिमाग, दोनों से अँग्रेजों से लड़ने वाले सावरकर थे। दलितों के उत्थान के लिए काम करने वाले सावरकर थे।

11 साल कालकोठरी में बंद रहने वाले सावरकर थे। हिंदुत्व को पुनर्जीवित कर के राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले सावरकर थे। साहित्य की विधा में पारंगत योद्धा सावरकर थे।

आज़ादी के बाद क्या मिला उन्हें? अपमान। नेहरू व मौलाना अबुल कलाम जैसों ने तो मलाई चाटी सत्ता की, सावरकर को गाँधी हत्या केस में फँसा दिया। गिरफ़्तार किया। पेंशन तक नहीं दिया। प्रताड़ित किया।

60 के दशक में उन्हें फिर गिरफ्तार किया, प्रतिबंध लगा दिया। उन्हें सार्वजनिक सभाओं में जाने से मना कर दिया गया। ये सब उसी भारत में हुआ, जिसकी स्वतंत्रता के लिए उन्होंने अपना जीवन खपा दिया।

आज़ादी के मतवाले से उसकी आज़ादी उसी देश में छीन ली गई, जिसे उसने आज़ाद करवाने में योगदान दिया था। शास्त्री जी PM बने तो उन्होंने पेंशन का जुगाड़ किया।

वो कालापानी में कैदियों को समझाते थे कि धीरज रखो, एक दिन आएगा जब ये जगह तीर्थस्थल बन जाएगी। आज भले ही हमारा पूरे विश्व में मजाक बन रहा हो, एक समय ऐसा होगा जब लोग कहेंगे कि देखो, इन्हीं कालकोठरियों में हिंदुस्तानी कैदी बन्द थे।

सावरकर कहते थे कि तब उन्हीं कैदियों की यहाँ प्रतिमाएँ होंगी। आज आप अंडमान जाते हैं तो सीधा ‘वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट’ पर उतरते हैं। सेल्युलर जेल में उनकी प्रतिमा लगी है।

उस कमरे में प्रधानमंत्री भी जाकर ध्यान धरता है, जिसमें सावरकर को रखा गया था…

वीर सावरकर की काला-पानी सजा के दौरान अंग्रेज़ों की दी हुई पोशाक, जो जूट की बनी है और समुद्री-उमस में चमड़ी को तिल-तिल काटती थी ! विनायक दामोदर सावरकर एक भारतीय राष्ट्रवादी थे, जो एक राजनीतिक दल और राष्ट्रवादी संगठन हिंदू महासभा के प्रमुख सदस्य थे. सावरकर पेशे से वकील और भावुक लेखक थे. उन्होंने कई कविताओं और नाटकों का मंचन किया था. सावरकर ने अपने जबरदस्त संस्कार और लेखन क्षमताओं के साथ अपनी विचारधारा और दर्शन के रूप में कई लोगों को प्रेरित किया, जिसका उद्देश्य हिंदुओं के बीच सामाजिक और राजनीतिक एकता को प्राप्त करना था. ‘हिंदुत्व’ शब्द जो भारत में हिंदू राष्ट्रवाद का एक रूप है, 1921 में सावरकर द्वारा अपनी एक रचना के माध्यम से लोकप्रिय हुआ था। सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लन्दन में उसके विरुद्ध क्रांतिकारी आन्दोलन संगठित किया। वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में ‘स्वदेशी’ का नारा दिया और विदेशी कपड़ों की होली जलाई। वे धार्मिक दृष्टि से ढोंग के विरोध में रहते थे। वे यथार्थ वादी और वेदों और विज्ञान के समर्थक थे। इसीलिए कुछ इतिहास कार उन्हे नास्तिक घोषित करने की चेष्टा करते हैं। वे गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक गंभीर आलोचक थे। इच्छा मृत्यु से हुआ निधन 1 फरवरी 1966 को, सावरकर ने घोषणा की कि वह मृत्यु तक उपवास रखेंगे और इस कृत्य को ‘आत्मरक्षा’ करार देंगे. जिसके बाद उन्होंने खाना बंद कर दिया और दवाएँ भी त्याग दीं जिससे अंततः 26 फरवरी, 1966 को उनकी मृत्यु हो गई. विनय सावरकर के कार्य ने उन्हें अमर कर दिया, ऐसा माना जाता है कि वीर सावरकर ने खुद अपने लिए इच्छा मृत्यु जैसी स्थिति चुनी थी. अपनी मृत्यु से करीब एक महीने पहले से उन्होंने उपवास करना शुरू कर दिया था. माना जाता है कि इसी उपवास के कारण उनका शरीर कमजोर होता गया और फिर 82 साल की उम्र में उनका देहांत हो गया। 

पुण्यतिथि पर सावरकर जी को सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि। 🙏🙏
🇮🇳 भारत माता की जय 🇮🇳 🚩🚩पुण्यतिथि पर सावरकर जी को सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि।
🇮🇳 भारत माता की जय 🇮🇳 🚩🚩

क्योंकि आज अवसर भी है और आवश्यकता भी है।
इसलिए आज यह भी याद करा ही दिया जाए।

भारत के वायसराय लॉर्ड हार्डिंग ने साम दाम दण्ड भेद की ब्रिटिश नीति के जरिये 1909 के मार्ले-मिन्टो सुधार को सफलतापूर्वक लागू कर दिया था। इस सुधार ने देश में धार्मिक आधार पर अलग निर्वाचन मंडल का देश के विभाजन की नींव डाल दी थी। उन्हीं दिनों ब्रिटिश हुकूमत की शक्ति, सर्वोच्चता और प्रभाव का प्रदर्शन करने के लिए 23 दिसम्बर 1912 को दिल्ली में एक शोभा-यात्रा निकाली गयी थी।
इस शोभा यात्रा में वायसराय लार्ड हार्डिंग अपनी पत्नी के साथ एक सजे धजे हाथी पर बैठा हुआ था। चांदनी चौक स्थित हाथी कटरा नाम के इलाके से गुजरते समय उस शोभा यात्रा पर बमों से हमला कर के लॉर्ड हार्डिंग को मौत के घाट उतार देने की कोशिश की गई थी। निशाना थोड़ा सा चूक जाने के कारण बम का मुख्य निशाना हाथी पर बैठा महावत बन गया था और उसके चिथड़े उड़ गए थे। लार्ड हार्डिंग और उसकी पत्नी घायल हुए थे लेकिन बच गए थे। किन्तु इस क्रांतिकारी घटना से ब्रिटिश साम्राज्य दहल गया था। वायसरॉय लार्ड हार्डिंग पर बम फेंकनेवाले मास्टर अमीरचंद, भाई बालमुकन्द और मास्टर अवध बिहारी को 8 मई 1915 में दिल्ली जेल में तथा उनके साथी बसंत कुमार बिस्वास को 9 मई 1915 को अम्बाला जेल में फांसी दे दी गई थी। यह वह दौर था जिन दिनों कुछ नेता ब्रिटिश शासकों की दलाली और चाटुकारिता कर के उनसे ईनाम पाने की जुगाड़ में जुटे रहते थे।
(यह मैं नहीं कह रहा बल्कि स्वयं लाला लाजपतराय ने अपनी पुस्तक #युवा_भारत में यह सच खुलकर लिखा है।)
उल्लेखनीय है कि जिस दिल्ली जेल में मास्टर अमीरचंद, भाई बालमुकन्द और मास्टर अवध बिहारी को फांसी दी गयी थी उसी दिल्ली जेल में अलग अलग समय पर 11 अन्य क्रांतिकारियों को भी फांसी दी गयी थी। असेम्बली बम काण्ड के बाद गिरफ्तार हुए भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को भी उस जेल में बंद किया गया था। आज़ादी मिलने के कई वर्षों पश्चात बटुकेश्वर दत्त का जब दिल्ली जाना हुआ तो उनकी इच्छा हुई कि पुरानी स्मृतियों को ताज़ा करूं और दिल्ली की जेल की उस बैरक को देखूं जहां असेम्बली बम काण्ड के बाद अमर शहीद साथी भगत सिंह के साथ काफी समय गुजारा था। बटुकेश्वर जी अपनी उस इच्छा के साथ जब बहादुर शाह जफर रोड स्थित दिल्ली जेल पहुंचे तो देखा कि जेल गायब हो चुकी थी। वहां एक नयी इमारत बनकर खड़ी हो चुकी थी। खाली सपाट पड़े शेष मैदान में कुछ नौजवान बैडमिंटन खेल रहे थे। बटुकेश्वर जी ने जब उनसे जानकारी मांगी तो पता चला कि पुरानी जेल तोड़कर मेडिकल कॉलेज बना दिया गया है। मेडिकल कॉलेज का नाम मौलाना अब्दुल कलाम आजाद मेडिकल कॉलेज रखा गया है। (उपरोक्त प्रसंग का उल्लेख बटुकेश्वर दत्त जी की अधिकृत जीवनी में विस्तार से किया गया है।) इस मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में क्रांतिकारियों की स्मृति में एक काले ग्रेनाइट के पत्थर का एक छोटा सा स्तम्भ मात्र स्थापित कर के खानापूर्ति कर दी गयी थी। इस स्तम्भ को भी अस्पताल के मुर्दाघर से गर्ल्स हॉस्टल की तरफ जाने वाले मार्ग पर स्थापित किया गया था। अर्थात मेडिकल कॉलेज आने जाने वाले आम नागरिकों की निगाह भी उस स्तम्भ पर पड़ने की कोई संभावना नहीं छोड़ी गई थी।
देश के लिए बलिदान हुए अजर अमर क्रांतिकारियों के संघर्ष और बलिदान की पूजनीय स्मृतियों से सुसज्जित स्मारक तुल्य उस जेल को तोड़कर यदि मेडिकल कॉलेज बनाया गया था तो मेडिकल कॉलेज का नाम मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज क्यों रखा गया ? भगत सिंह बटुकेश्वर दत्त या मास्टर अमीरचंद, भाई बालमुकन्द और मास्टर अवध बिहारी सरीखों से क्या आपत्ति थी तत्कालीन सरकार को.?ध्यान रहे कि यह कोई रहस्य नहीं है कि देश की आज़ादी के लिए उन क्रांतिकारियों द्वारा किये गए संघर्ष और बलिदान की तुलना में मौलाना आज़ाद का योगदान कुछ भी नहीं।(सभार)

जब हम रिश्तों के लिए वक्त नहीं निकाल पाते,
वक्त हमारे बीच से रिश्ता निकाल देता है।

सभी मित्रों को आज सन्त रविदास (रैदास) जयन्ती की बधाई के साथ उनके जीवन की एक झलक दिखाते हैं-

जन्म – वाराणसी व इलाहाबाद के बीच वर्तमान सन्त रविदास नगर जिले में माघी पूर्णिमा को 1398 में चर्मकार के घर में। जीवन काल- 126 वर्ष। कबीर के गुरु भाई । ज्ञानाश्रयी व प्रेमाश्रयी भक्ति के बीच सेतुवत् मार्ग। कृतित्व – कबीर के समकक्ष।

मन चंगा तो कठौती में गंगा

एक बार सन्त रैदास को उनके पड़ोसी ने गंगा स्नान चलने को कहा, तो रैदास जी ने कहा कि उनको शाम तक एक आदमी को जूते सिल कर देने हैं, न देने से उसको धोखा होगा, इसलिए मैं नहीं आ सकता। ऐसा कहकर उन्होंने प्रभु स्मरण कर पड़ोसी को चमड़े धोने की कठौती में झाँकने को कहा, तो पड़ोसी आश्चर्यचकित हुआ, क्योंकि उसको उसमें गंगा प्रवाहित होती दिखाई दी, फिर वह रैदास जी का शिष्य हो गया।