आज का पंचाग आपका राशि फल, आज की शनिश्चरी आमावास्या है अमोघ फलदायी, शनि की महादशा में करें महर्षि पिप्पलाद का बताया अचूक उपाय, धर्म के सहयोगी नहो कर तटस्थ रहना भी अधर्म का ही सहयोग होता है – भगवान श्री कृष्ण

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻शनिवार, १० जुलाई २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०५:३५
सूर्यास्त: 🌅 ०७:१३
चन्द्रोदय: 🌝 ❌❌❌
चन्द्रास्त: 🌜१९:५४
अयन 🌕 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🌦️ वर्षा
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 आषाढ़
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 अमावस्या (०६:४६ तक)
नक्षत्र 👉 पुनर्वसु (२५:०२ तक)
योग 👉 व्याघात (१६:५० तक)
प्रथम करण 👉 नाग (०६:४६ तक)
द्वितीय करण 👉 किंस्तुघ्न (१९:२० तक)
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️
॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मिथुन
चंद्र 🌟 कर्क (१८:३७ से)
मंगल 🌟 कर्क (उदित, पूर्व, मार्गी)
बुध 🌟 मिथुन (उदय, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 कर्क (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
〰〰〰〰〰〰〰
अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५४ से १२:५०
अमृत काल 👉 २२:२७ से २४:११
विजय मुहूर्त 👉 १४:४२ से १५:३८
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:०७ से १९:३१
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०२ से २४:४२
राहुकाल 👉 ०८:५३ से १०:३७
राहुवास 👉 पूर्व
यमगण्ड 👉 १४:०७ से १५:५२
होमाहुति 👉 सूर्य
दिशाशूल 👉 पूर्व
अग्निवास 👉 पाताल
चन्द्रवास 👉 पश्चिम (उत्तर १८:३८ से)
शिववास 👉 गौरी के साथ (०६:४६ से श्मशान में)
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
☄चौघड़िया विचार☄
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – काल २ – शुभ
३ – रोग ४ – उद्वेग
५ – चर ६ – लाभ
७ – अमृत ८ – काल
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – लाभ २ – उद्वेग
३ – शुभ ४ – अमृत
५ – चर ६ – रोग
७ – काल ८ – लाभ
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पश्चिम (वाय विन्डिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️〰️〰️〰️
तिथि विशेष
🗓📆🗓📆
〰️〰️〰️〰️
देवकार्ये शनैश्चरी अमावस्या आदि।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
〰〰〰〰〰〰〰〰〰️〰️
आज २५:०२ तक जन्मे शिशुओ का नाम
पुनर्वसु नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (को, ह, ही) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमश (हू) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
उदय-लग्न मुहूर्त
मिथुन – २७:४० से ०५:५५
कर्क – ०५:५५ से ०८:१७
सिंह – ०८:१७ से १०:३६
कन्या – १०:३६ से १२:५४
तुला – १२:५४ से १५:१५
वृश्चिक – १५:१५ से १७:३४
धनु – १७:३४ से १९:३८
मकर – १९:३८ से २१:१९
कुम्भ – २१:१९ से २२:४५
मीन – २२:४५ से २४:०८
मेष – २४:०८ से २५:४२
वृषभ – २५:४२ से २७:३६
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
पञ्चक रहित मुहूर्त
अग्नि पञ्चक – ०५:२३ से ०५:५५
शुभ मुहूर्त – ०५:५५ से ०६:४६
मृत्यु पञ्चक – ०६:४६ से ०८:१७
अग्नि पञ्चक – ०८:१७ से १०:३६
शुभ मुहूर्त – १०:३६ से १२:५४
रज पञ्चक – १२:५४ से १५:१५
शुभ मुहूर्त – १५:१५ से १७:३४
चोर पञ्चक – १७:३४ से १९:३८
शुभ मुहूर्त – १९:३८ से २१:१९
रोग पञ्चक – २१:१९ से २२:४५
शुभ मुहूर्त – २२:४५ से २४:०८
शुभ मुहूर्त – २४:०८ से २५:०२
रोग पञ्चक – २५:०२ से २५:४२
शुभ मुहूर्त – २५:४२ से २७:३६
मृत्यु पञ्चक – २७:३६ से २९:२४
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
〰️〰️〰️〰️〰️〰️
मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपके लिए लाभप्रद रहेगा। आप जिस कार्य को वृथा भाग-दौड़ वाला समझेंगे वही धन लाभ कराएगा। लापरवाही स्वभाव में दिनभर बनी रहेगी जिसके चलते कुछ ना कुछ हानि अवश्य उठानी पड़ेगी। कार्यक्षेत्र पर सहकर्मी अथवा नौकरों के ऊपर अति विश्वास नुकसान करा सकता है इसका ध्यान रखें। मध्यान्ह के आसपास विचित्र स्थिति बनेगी परिजन अथवा अन्य कोई वरिष्ठ व्यक्ति जिस कार्य को करने के लिए मना करेगा आप जबरदस्ती उस कार्य को करेंगे आरंभ में विरोध भी देखना पड़ेगा लेकिन सफलता मिलने पर सभी बगलें झांकने नजर आएंगे। जीवनसाथी को आप के कारण कुछ कष्ट हो सकता है। व्यवहार कुशल रहें अन्यथा घरेलू सुख को भूल ही जाएं। आज दिन के आरंभ में ही शनि संबंधित वस्तुओं का दान करने से प्रत्येक कार्य में सफलता की संभावना बढ़ेगी। सेहत व्यसन अथवा चोट के कारण गड़बड़ हो सकती है।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आप परिस्थिति अनुसार स्वयं को ढालने में सफल रहेंगे। आप की मानसिकता जितना मिल जाए उतने में संतोष करने की रहेगी। लेकिन परिजन विशेषकर परिवार के छोटे सदस्य अन्य लोगों की देखा-देखी किसी बहुमूल्य कार्य अथवा वस्तु के लिए जिद कर आपको दुविधा में डालेंगे। आज व्यवसायी हो या नौकरीपेशा दैनिक सुख सुविधा की पूर्ति के लिए किसी को भी ज्यादा भाग दौड़ करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी नहीं आप इसके पक्ष में रहेंगे। कार्य क्षेत्र से धन की आमद मध्यान्ह के बाद अक्समात बढ़ेगी। आज पुराने आर्थिक व्यवहार के कारण किसी से कहासुनी होने की संभावना है। घर का वातावरण भी कुछ समय के लिए उग्र होगा लेकिन आपके नरम व्यवहार के कारण गंभीर रूप धारण नहीं कर पाएगा। संध्या का समय दिन भर की उलझन को भुलाकर शांति से बिताएंगे। लेकिन भविष्य की चिंता मन में लगी ही रहेगी। किसी न किसी रूप में चोट घाव का भय है।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आप का मन वर्जित कार्यों के प्रति सहज आकर्षित होगा। स्वभाव में भावुकता भी अधिक रहेगी किसी की कही सुनी बातों पर तुरंत विश्वास कर लेंगे। जिसके परिणाम स्वरुप बाहरी संपर्कों की हानि एवं बदनामी हो सकती है। कार्यक्षेत्र पर उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा नौकरी पेशा जातक फिर भी परिस्थिति अनुसार स्वयं को ढाल लेंगे लेकिन व्यवसायी वर्ग को ऐसा करने में परेशानी होगी। फिर भी धन लाभ आज एक से अधिक मार्ग से होगा भले ही थोड़ी थोड़ी मात्रा में ही हो। पारिवारिक वातावरण में असंतोष की भावना रहेगी। स्वयं अथवा परिजन के अनैतिक आचरण के कारण पड़ोसी अथवा किसी अन्य से झगड़ा होने की संभावना है। व्यर्थ के खर्चों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है अन्यथा ऋण वृद्धि होगी। पैतृक सुख सुविधा की वृद्धि के चक्कर में शत्रु वृद्धि के साथ शारीरिक कष्ट भी उठाना पड़ेगा। किसी भी आकस्मिक घटना दुर्घटना के लिए पहले से ही तैयार रहें।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिए हानिकारक रहेगा। आप किसी भी कार्य को पूरी तरह से देखे भाले बिना ही अपना निर्णय देंगे अथवा बिना जांच पड़ताल किए उस पर कार्य आरंभ कर देंगे। इस कारण बाद में आर्थिक हानि के साथ समय भी बर्बाद होगा। कारोबारियों को आज कम समय में अथवा कम निवेश में ज्यादा लाभ कमाने के प्रलोभन मिलेंगे इनको बिना सोचे समझे ही मना कर दें यही आपके लिए हितकर रहेगा। धन की आमद ले-देकर कामचलाऊ हो ही जाएगी लेकिन मन को संतोष नहीं होगा। परिवार में आज अपने बुद्धि विवेक से तालमेल बैठाए रखेंगे। लेकिन घर के छोटे सदस्य एवं महिलाओं को परिस्थिति अनुसार ढालने में असमर्थ होंगे। संध्या के बाद परिस्थिति में धीरे-धीरे सुधार आने लगेगा फिर भी आर्थिक व्यवहार आज किसी से ना करें। रक्तचाप की शिकायत हो सकती है। वाहन आदि से भी सतर्कता बरतें।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आप व्यर्थ की उलझन में फंस सकते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र पर वाणी एवं व्यवहार का प्रयोग बहुत सोच-समझकर करें कोई व्यक्ति केवल अपने मनोरंजन के लिए आपको विविध प्रकार से परख सकता है। कार्यक्षेत्र पर बुद्धि विवेक एवं धैर्य का परिचय देंगे लेकिन आज ना चाहकर भी उधार के व्यवहार बढ़ने से आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ेगा। दोपहर के बाद धन लाभ के अवसर उपलब्ध होंगे फिर भी आर्थिक आमद संतोष प्रदान नहीं कर पाएगी। आज आप लंबी यात्रा की योजना भी बनाएंगे। संध्या बाद का समय सभी प्रकार से संतोषजनक रहेगा मित्र परिजनों के साथ वाहन उत्तम भोजन का सुख मिलेगा। सेहत भी आज के बीते दिन की तुलना में ठीक ही रहेगी फिर भी ठंडी वस्तुओं के प्रयोग से परहेज करें। बाहर ठीक रहेंगे पर घर में आते ही मन विचलित होगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आप थोड़ी-बहुत मानसिक बेचैनी को छोड़ चैन से ही बताएं। कार्यक्षेत्र पर कम परिश्रम से अधिक लाभ मिल सकता है। पर थोड़ी गुप्त युक्तियों का सहारा भी लेना पड़ेगा। किसी महत्वपूर्ण सौदे अथवा कार्य को लेकर मन में भय की स्थिति बनेगी यहां स्वयं निर्णय लेने से बचें अनुभवी व्यक्ति की सलाह अवश्य लें लाभ नहीं तो नुकसान से भी बचेंगे। धन की आमद आश्चर्यजनक होने पर कई दिनों से लगा आर्थिक सूखा मिटेगा। लेकिन विविध खर्चे पहले ही सर पर रहने के कारण बचेगा नहीं। पारिवारिक वातावरण किसी न किसी बात पर आपकी इच्छा के विरुद्ध ही रहेगा। इस कारण घर से ज्यादा बाहर समय बिताना पसंद करेंगे। भाई बंधुओं से अति आवश्यक होने पर ही बात करें अन्यथा आपको व्यर्थ की बातों में उलझाकर कलह कर सकते हैं। आज यात्रा से बचे वाहन अथवा उपकरणों से भी सावधानी रखें।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आपमें अध्यात्म के प्रति विशेष लगाव रहेगा। मन में धर्म के गूढ विषयों को जानने की जिज्ञासा रहेगी। व्यस्तता एवं व्यवधानों के बाद भी दिन का कुछ समय धार्मिक कार्यों के साथ टोने टोटको के प्रयोग में भी देंगे। कार्यक्षेत्र पर मध्यान तक विविध उलझनों का सामना करना पड़ेगा। जिस किसी से भी सहयोग की आशा रखेंगे वही अपने निजी परेशानी बता कर पीछा छुड़ाएगा। फिर भी आज युक्ति मुक्ति लगाकर आवश्यकता अनुसार धन प्राप्त कर ही लेंगे। परिवार में अचल संपत्ति को लेकर कुछ ना कुछ परेशानी खड़ी होगी निवास स्थान में परिवर्तन के बारे में भी विचार कर सकते हैं। विदेश अथवा अन्य लंबी दूरी की यात्रा में अक्समात बाधा आने से मन निराश होगा। संध्या का समय मानसिक बेचैनी फिर भी दिन की अपेक्षा ठीक ही रहेगा।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज दिन के आरंभ से ही सेहत में उतार-चढ़ाव आना शुरू हो जाएगा। इस वजह से दिनचर्या अस्त-व्यस्त ही रहेगी कार्यक्षेत्र पर जिस आशा से कार्य करेंगे उस में कुछ ना कुछ कमी रहेगी। उलझे हुए कार्यों को अपनी अथवा किसी निकटस्थ स्वजन की पद-प्रतिष्ठा का हवाला देकर पूर्ण करने का प्रयास करेंगे लेकिन इसमें भी कुछ अड़चन ही आएगी। आज केवल पैतृक कार्यों से बिना किसी झंझट के सहज लाभ कमा लेंगे। अन्य कार्यों से भी जोड़-तोड़ करने का प्रयास करेंगे लेकिन सफलता संदिग्ध ही रहेगी। कोई व्यावसायिक अथवा घरेलू कार्य से यात्रा की योजना अंत समय में निरस्त करनी पड़ सकती है। आरंभ में यह निराशा बढ़ाएगी लेकिन आज यात्रा में कुछ ना कुछ अनिष्ट होने का डर है यथासंभव टालना ही बेहतर है। घर में जीवनसाथी अथवा किसी अन्य प्रियजन को शारीरिक कष्ट पहुंच सकता है स्वयं भी जोखिम वाले कार्यों से बचें।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन बीते कई दिनों की तुलना में बेहतर रहने वाला है। पूर्व में मिली असफलताओं के चलते आज कार्य व्यवसाय के प्रति ज्यादा उत्साह नहीं रहेगा लेकिन आज कार्य क्षेत्र से अवकाश लेना महंगा पड़ सकता है। दोपहर तक परिश्रम के बाद धन की आमद आरंभ हो जाएगी आज पूर्व में जो सौदे मजबूरी में निरस्त करने पड़े थे। वह पुनः मिलने से कुछ ना कुछ लाभ दे कर जाएंगे। धन की आमद आशाजनक तो नहीं दैनिक आवश्यकता से अधिक ही होगी। नौकरी पेशा लोग कार्य पूर्ण करने के दबाव में जल्दबाजी करेंगे। घर परिवार में संतान अथवा किसी अन्य महत्वपूर्ण कारण से दोराय रहेगी। आप जिस कार्य को करने के पक्ष में रहेंगे परिजन उसके विपरीत ही अपना निर्णय लेंगे। अनैतिक मार्ग से धन कमाने का अवसर मिलेगा इसमें कुछ ना कुछ फायदा ही होगा। आकस्मिक अथवा पर्यटक यात्रा करनी पड़ेगी। सेहत सामान्य रहेगी लेकिन शुगर के रोगियों को चोट अथवा घाव होने से गंभीर परेशानी हो सकती है।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपके लिए विपरीत फलदायक रहेगा। आप अपनी ही गलती से शत्रु वृद्धि करेंगे। दिन के आरंभ में किसी पारिवारिक सदस्य से व्यर्थ की जिद बहस होगी इसका निर्णय कुछ नहीं निकलेगा लेकिन परिवार में अशांति फैलेगी। आज अध्यात्म के प्रति कुछ ज्यादा आस्था नहीं रहेगी फिर भी कार्यक्षेत्र पर पूर्व में किए किसी परोपकार का फल धन लाभ के रुप में मिल सकता है। कार्यक्षेत्र पर सहकर्मी अथवा अधीनस्थ निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए आपके गलत निर्णय पर भी हां में हां मिलाएंगे। कई दिनों से अटके सरकारी कार्य प्रयास करने पर या तो तुरंत बन जाएंगे अथवा परिणाम आप के विरुद्ध जा सकता है। संध्या का समय मित्र परिचितों के साथ आनंद में बिताएंगे लेकिन मित्र मंडली में बैठते समय आज भावुक होने से बचे अन्यथा सार्वजनिक क्षेत्र पर अपमान जैसी स्थिति बन सकती है। खानपान देखभाल कर करें पेट संबंधित परेशानी अन्य रोगों का कारण बन सकती है।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपकी उम्मीद पर खरा उतरेगा। आज दिन के आरम्भ में घरेलू मामलों को लेकर लापरवाही करेंगे। लेकिन आज व्यवसायिक कार्यों में अधिक गंभीरता दिखाएंगे। कार्यक्षेत्र पर धन की आमद रुक-रुककर होती रहेगी। आज जहां से सहज काम नहीं बनेगा वहां से दंड की नीति भी अपना सकते हैं। सहकर्मी अधीनस्थों को डरा धमका कर अपना काम चलाएंगे। पारिवारिक वातावरण कुछ समय के लिए उथल पुथल होगा। किसी परिजन की अनैतिक मांग को लेकर जिद बहस हो सकती है। परिवार के बड़े बुजुर्ग कोई महत्वपूर्ण दायित्व सौप कर दुविधा में डालेंगे। संध्या का समय थकान से भरा रहेगा फिर भी मनोरंजन के अवसर ढूंढ ले लेंगे। सर दर्द अथवा बुखार की शिकायत हो सकती है।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिए सामान्य फलदायक रहेगा। दिन के आरंभ में माता अथवा किसी अन्य परिजन से मतभेद हो सकते हैं। इसका प्रमुख कारण आपके अंदर अतिआत्मविश्वास एवं परिजनों के विरुद्ध कार्य करना होगा। कार्य क्षेत्र पर आज थोड़ी तेजी रहेगी धन की आमद थोड़े से प्रयास के बाद हो जाएगी लेकिन कार्य करते हुए भी मन में अनजाना भय रहने से खुलकर निर्णय नहीं ले पाएंगे। आज परिजन अथवा किसी अन्य विशेष व्यक्ति के कारण मानसिक बंधन भी अनुभव करेंगे। संध्या का समय दिन की अपेक्षा राहत भरा रहेगा। किसी प्रियजन से मुलाकात होगी सम्मान उपहार का आदान प्रदान मन को प्रसन्न रखेगा। आज दिनभर जिस व्यक्ति को दोष देंगे संध्या के आसपास वही किसी महत्वपूर्ण कार्य को बनाने में सहयोगी बनेगा। सरकारी कार्य बनाने के लिए धन खर्च करना पड़ेगा। आज किसी गुम चोट अथवा गुप्त रोग के कारण परेशानी हो सकती है।
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰
〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏

शनैश्चरी अमावस्या विशेष
〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️
शनि अमावस्या के दिन श्री शनिदेव की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंती हैं। इस वर्ष 10 जुलाई 2021 को शनिवार के दिन शनि अमावस्या मनाई जाएगी, यह पितृकार्येषु अमावस्या के रुप में भी जानी जाती है. कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता है जब शनिवार के दिन अमावस्या का समय हो जिस कारण इसे शनि अमावस्या कहा जाता है।
श्री शनिदेव भाग्यविधाता हैं, यदि निश्छल भाव से शनिदेव का नाम लिया जाये तो व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। श्री शनिदेव तो इस चराचर जगत में कर्मफल दाता हैं जो व्यक्ति के कर्म के आधार पर उसके भाग्य का फैसला करते हैं। इस दिन शनिदेव का पूजन सफलता प्राप्त करने एवं दुष्परिणामों से छुटकारा पाने हेतु बहुत उत्तम होता है। इस दिन शनि देव का पूजन सभी मनोकामनाएं पूरी करता है।
शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर सभी लोग पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं। इस दिन विशेष अनुष्ठान द्वारा पितृदोष और कालसर्प दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है. इसके अलावा शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की साढेसाती, ढैय्या और महादशा जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है,
शनि अमावस्या महत्व 
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
शनि अमावस्या ज्योतिषशास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती एवं ढ़ैय्या के दौरान शनि व्यक्ति को अपना शुभाशुभ फल प्रदान करता है. शनि अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन शनि देव को प्रसन्न करके व्यक्ति शनि के कोप से अपना बचाव कर सकते हैं. पुराणों के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनि देव को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है. शनि अमावस्या के दिन शनि दोष की शांति बहुत ही सरलता कर सकते हैं.
इस दिन महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया शनि स्तोत्र का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु जैसे काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं. जो लोग इस दिन यात्रा में जा रहे हैं और उनके पास समय की कमी है वह सफर में शनि नवाक्षरी मंत्र अथवा “कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।।” मंत्र का जप करने का प्रयास करते हैं करें तो शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है.
पितृदोष से मुक्ति
〰️〰️〰️〰️〰️
शनि अमावस्या पितृदोष मुक्ति के लिये उत्तम दिन है। पितृ शांति के लिये अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है और अमावस्या अगर शनिवार के दिन पड़े तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. शनिदेव को अमावस्या अधिक प्रिय है. शनि देव की कृपा का पात्र बनने के लिए शनिश्चरी अमावस्या को सभी को विधिवत आराधना करनी चाहिए. भविष्यपुराण के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या शनिदेव को अधिक प्रिय रहती है.
शनैश्चरी अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृदोष या जो भी कोई पितृ दोष की पिडा़ को भोग रहे होते हैं उन्हें इस दिन दान इत्यादि विशेष कर्म करने चाहिए. यदि पितरों का प्रकोप न हो तो भी इस दिन किया गया श्राद्ध आने वाले समय में मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है, क्योंकि शनिदेव की अनुकंपा से पितरों का उद्धार बडी सहजता से हो जाता है.
शनि अमावस्या पूजन
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और दर्शन करना चाहिए. शनिदेव का पर नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत अर्पण करें. शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नम:”, अथवा “ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए. इस दिन सरसों के तेल, उडद, काले तिल, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री को शनिदेव पर अर्पित करना चाहिए और शनि देव का तैलाभिषेक करना चाहिए. शनि अमावस्या के दिन शनि चालीसा,  हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ अवश्य करना चाहिए. जिनकी कुंडली या राशि पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव हो उन्हें शनि अमावस्या के दिन पर शनिदेव का विधिवत पूजन करना चाहिए.
शनैश्चरी अमावस्या पर शनि मंत्र- स्रोत्र द्वारा उपाय
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनि मंत्र का अधिक से अधिक जाप करना परम कल्याणकारक माना गया है जप से पहले शरीर और आसान शुद्धि के बाद निम्न विनियोग करे इसके बाद जप आरम्भ करें।
विनियोग👉 शन्नो देवीति मंत्रस्य सिन्धुद्वीप ऋषि: गायत्री छंद:, आपो देवता, शनि प्रीत्यर्थे जपे विनियोग:.नीचे लिखे गये कोष्ठकों के अन्गों को उंगलियों से छुयें. अथ देहान्गन्यास:-शन्नो शिरसि (सिर), देवी: ललाटे (माथा).अभिषटय मुखे (मुख), आपो कण्ठे (कण्ठ), भवन्तु ह्रदये (ह्रदय), पीतये नाभौ (नाभि), शं कट्याम (कमर), यो: ऊर्वो: (छाती), अभि जान्वो: (घुटने), स्त्रवन्तु गुल्फ़यो: (गुल्फ़), न: पादयो: (पैर).अथ करन्यास:-शन्नो देवी: अंगुष्ठाभ्याम नम:.अभिष्टये तर्ज्जनीभ्याम नम:.आपो भवन्तु मध्यमाभ्याम नम:.पीतये अनामिकाभ्याम नम:.शंय्योरभि कनिष्ठिकाभ्याम नम:.स्त्रवन्तु न: करतलकरपृष्ठाभ्याम नम:.अथ ह्रदयादिन्यास:-शन्नो देवी ह्रदयाय नम:.अभिष्टये शिरसे स्वाहा.आपो भवन्तु शिखायै वषट.पीतये कवचाय हुँ.(दोनो कन्धे).शंय्योरभि नेत्रत्राय वौषट.स्त्रवन्तु न: अस्त्राय फ़ट.ध्यानम:-नीलाम्बर: शूलधर: किरीटी गृद्ध्स्थितस्त्रासकरो धनुश्मान.चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रशान्त: सदाअस्तु मह्यं वरदोअल्पगामी..शनि गायत्री:-औम कृष्णांगाय विद्य्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात.वेद मंत्र:- औम प्राँ प्रीँ प्रौँ स: भूर्भुव: स्व: औम शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तु न:.औम स्व: भुव: भू: प्रौं प्रीं प्रां औम शनिश्चराय नम:.
शनि बीज जप मंत्र 👉  ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:। संख्या 23000 जाप ।
शनि स्तोत्रम
〰️〰️〰️〰️
शनि अष्टोत्तरशतनामावलि 
ॐ शनैश्चराय नमः ॥ ॐ शान्ताय नमः ॥ ॐ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः ॥ ॐ शरण्याय नमः ॥ ॐ वरेण्याय नमः ॥ ॐ सर्वेशाय नमः ॥ ॐ सौम्याय नमः ॥ ॐ सुरवन्द्याय नमः ॥ ॐ सुरलोकविहारिणे नमः ॥ ॐ सुखासनोपविष्टाय नमः ॥ ॐ सुन्दराय नमः ॥ ॐ घनाय नमः ॥ ॐ घनरूपाय नमः ॥ ॐ घनाभरणधारिणे नमः ॥ ॐ घनसारविलेपाय न मः ॥ ॐ खद्योताय नमः ॥ ॐ मन्दाय नमः ॥ ॐ मन्दचेष्टाय नमः ॥ ॐ महनीयगुणात्मने नमः ॥ ॐ मर्त्यपावनपदाय नमः ॥ ॐ महेशाय नमः ॥ ॐ छायापुत्राय नमः ॥ ॐ शर्वाय नमः ॥ ॐ शततूणीरधारिणे नमः ॥ ॐ चरस्थिरस्वभा वाय नमः ॥ ॐ अचञ्चलाय नमः ॥ ॐ नीलवर्णाय नमः ॥ ॐ नित्याय नमः ॥ ॐ नीलाञ्जननिभाय नमः ॥ ॐ नीलाम्बरविभूशणाय नमः ॥ ॐ निश्चलाय नमः ॥ ॐ वेद्याय नमः ॥ ॐ विधिरूपाय नमः ॥ ॐ विरोधाधारभूमये नमः ॥ ॐ भेदास्पदस्वभावाय नमः ॥ ॐ वज्रदेहाय नमः ॥ ॐ वैराग्यदाय नमः ॥ ॐ वीराय नमः ॥ ॐ वीतरोगभयाय नमः ॥ ॐ विपत्परम्परेशाय नमः ॥ ॐ विश्ववन्द्याय नमः ॥ ॐ गृध्नवाहाय नमः ॥ ॐ गूढाय नमः ॥ ॐ कूर्माङ्गाय नमः ॥ ॐ कुरूपिणे नमः ॥ ॐ कुत्सिताय नमः ॥ ॐ गुणाढ्याय नमः ॥ ॐ गोचराय नमः ॥ ॐ अविद्यामूलनाशाय नमः ॥ ॐ विद्याविद्यास्वरूपिणे नमः ॥ ॐ आयुष्यकारणाय नमः ॥ ॐ आपदुद्धर्त्रे नमः ॥ ॐ विष्णुभक्ताय नमः ॥ ॐ वशिने नमः ॥ ॐ विविधागमवेदिने नमः ॥ ॐ विधिस्तुत्याय नमः ॥ ॐ वन्द्याय नमः ॥ ॐ विरूपाक्षाय नमः ॥ ॐ वरिष्ठाय नमः ॥ ॐ गरिष्ठाय नमः ॥ ॐ वज्राङ्कुशधराय नमः ॥ ॐ वरदाभयहस्ताय नमः ॥ ॐ वामनाय नमः ॥ ॐ ज्येष्ठापत्नीसमेताय नमः ॥ ॐ श्रेष्ठाय नमः ॥ ॐ मितभाषिणे नमः ॥ ॐ कष्टौघनाशकर्त्रे नमः ॥ ॐ पुष्टिदाय नमः ॥ ॐ स्तुत्याय नमः ॥ ॐ स्तोत्रगम्याय नमः ॥ ॐ भक्तिवश्याय नमः ॥ ॐ भानवे नमः ॥ ॐ भानुपुत्राय नमः ॥ ॐ भव्याय नमः ॥ ॐ पावनाय नमः ॥ ॐ धनुर्मण्डलसंस्थाय नमः ॥ ॐ धनदाय नमः ॥ ॐ धनुष्मते नमः ॥ ॐ तनुप्रकाशदेहाय नमः ॥ ॐ तामसाय नमः ॥ ॐ अशेषजनवन्द्याय नमः ॥ ॐ विशेशफलदायिने नमः ॥ ॐ वशीकृतजनेशाय नमः ॥ ॐ पशूनां पतये नमः ॥ ॐ खेचराय नमः ॥ ॐ खगेशाय नमः ॥ ॐ घननीलाम्बराय नमः ॥ ॐ काठिन्यमानसाय नमः ॥ ॐ आर्यगणस्तुत्याय नमः ॥ ॐ नीलच्छत्राय नमः ॥ ॐ नित्याय नमः ॥ ॐ निर्गुणाय नमः ॥ ॐ गुणात्मने नमः ॥ ॐ निरामयाय नमः ॥ ॐ निन्द्याय नमः ॥ ॐ वन्दनीयाय नमः ॥ ॐ धीराय नमः ॥ ॐ दिव्यदेहाय नमः ॥ ॐ दीनार्तिहरणाय नमः ॥ ॐ दैन्यनाशकराय नमः ॥ ॐ आर्यजनगण्याय नमः ॥ ॐ क्रूराय नमः ॥ ॐ क्रूरचेष्टाय नमः ॥ ॐ कामक्रोधकराय नमः ॥ ॐ कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नमः ॥ ॐ परिपोषितभक्ताय नमः ॥ ॐ परभीतिहराय न मः ॥ ॐ भक्तसंघमनोऽभीष्टफलदाय नमः ॥
इसका 108 पाठ करने से शनि सम्बन्धी सभी पीडायें समाप्त हो जाती हैं। तथा पाठ कर्ता धन धान्य समृद्धि वैभव से पूर्ण हो जाता है। और उसके सभी बिगडे कार्य बनने लगते है। यह सौ प्रतिशत अनुभूत है।
इसके अतिरिक्त दशरथकृत शनि स्तोत्र का यथा सामर्थ्य पाठ भी शनि जनित अरिष्ट से शांति दिलाता है।
दशरथकृत शनि स्तोत्र
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते। 2
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते। 3
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने। 4
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च। 5
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते। 6
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।7
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्। 8
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:। 9
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ।10
शनैश्चरी अमावस्या पर शनि देव को प्रसन्न करने के शास्त्रोक्त  उपाय।
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सभी व्यक्ति की कुंडली में 9 ग्रह होते है जो अपना प्रभाव दिखाते है।
इन ग्रहों की स्थिति परिवर्तन के वजह से मनुष्य को समय समय पर अच्छे व बुरे दोनों परिणाम प्राप्त होते है।
इन 9 ग्रह में से केवल शनि देव ऐसे है जिनके प्रभाव से मनुष्य घबरा जाता है। 
हिन्दू धर्मशास्‍त्रों में भी शनिदेव का चरित्र भी दण्डाधिकारी के रूप में माना गया है जो कि कर्म और सत्य को जीवन में अपनाने की ही प्रेरणा देता है।
लेकिन अगर आप शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शास्‍त्रों में बहुत सारे उपाय बताए गए हैं जिससे शनिदेव प्रसन्‍न हो जाएंगे।
शनिदेव के प्रसन्‍न होने से आपका जीवन सफल हो जाएगा। तो आइए जानते हैं उन उपायों को
अगर आप शनि को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शनैश्चरी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और दोनों हाथों से पीपल के पेड़ को स्‍पर्श करें।
इस दौरान पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें और शनि मंत्र ‘ऊं शं शनैश्‍चराय नम:’ का जाप करते रहना चाहिए, यह आपकी साढ़ेसाती की सभी परेशानियों को दूर ले जाता है।
साढ़ेसाती के प्रकोप से बचने के लिए इस दिन उपवास रखने वाले व्यक्ति को दिन में एक बार नमक विहीन भोजन करना चाहिए।
   उपाय
〰〰️〰
अगर आपकी कोई विशेष मनोकामना है तो शनैश्चरी अमावस्या के दिन आप अपने लंबाई का लाल रंग का धागा लेकर इसे आम के पत्‍ते पर लपेट दें।
इस पत्‍ते और लपेटे हुए धागे को लेकर अपनी मनोकामना को मन में आवाहन करें और उसके बाद इस पत्‍ते और धागे को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इससे आपकी मनोकामना जल्‍द पूरी होगी।
   उपाय
〰〰️〰
अक्‍सर ऐसा होता है कि लोग बहुत संघर्ष व मेहनत करते हैं लेकिन उन्‍हें सफलता हाथ नहीं लगती या लोग जो सोचते हैं वो हो नहीं पाता ऐसे में लोग न चाहते हुए भी अपने भाग्‍य को कोसने लगते हैं।
कहते हैं कि भाग्य बिल्कुल भी साथ नहीं देता और दुर्भाग्य निरन्तर पीछा कर रहा है।
कहा जाता है कि इंसान के पिछले कर्मों के अच्छे-बुरे परिणामों का फल भी आपके भाग्‍य का निर्धारण करता है इसलिए आपको इन सभी बातों को छोड़कर निष्काम भाव से सच्चे मन से प्रयास करना चाहिए।
लेकिन आज एक उपाय जो हम आपको बताने जा रहे हैं उसे करने से आपका सोया हुआ भाग्‍य जाग जाएगा।
शनैचरी अमावस्या से आरंभ कर लगातार 41 दिन रोज सुबह गाय का दुध लेकर नहाने से पहले इसे अपने सिर पर थोड़ा सा रख लें।
और फिर नहा लें अगर आप ऐसा रोज करेंगे तो आपका सोया हुआ भाग्‍य जाग जाएगा।
इतना ही नहीं आप जो भी काम सोचेंगे वो पूरा हो जाएगा। आपकी जीवन में आ रही रूकावटें खत्‍म हो जाएगी। बस अधिक से अधिक संयम रखने का प्रयास करें।
〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️
श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था। तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं। इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा। जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों (फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक का जीवन येन केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।
  
एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूंछा…
नारद- बालक तुम कौन हो ?
बालक- यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ।
नारद- तुम्हारे जनक कौन हैं ?
बालक- यही तो मैं जानना चाहता हूँ।
   
तब नारद जी ने ध्यान धर देखा। नारद ने आश्चर्यचकित हो कर बताया कि हे बालक ! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो। तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की वय में ही हो गयी थी।
बालक- मेरे पिता की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?
नारद- तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी।
बालक- मेरे ऊपर आयी विपत्ति का कारण क्या था ?
नारद- शनिदेव की महादशा।
  
    इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर जीने वाले बालक का नाम पिप्पलाद रखा और उसे दीक्षित किया।
नारद के जाने के बाद बालक पिप्पलाद ने नारद के बताए अनुसार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने जब बालक पिप्पलाद से वर मांगने को कहा तो पिप्पलाद ने अपनी दृष्टि मात्र से किसी भी वस्तु को जलाने की शक्ति माँगी। ब्रह्मा जी से वर मिलने पर सर्वप्रथम पिप्पलाद ने शनि देव का आह्वाहन कर अपने सम्मुख प्रस्तुत किया और सामने पाकर आँखे खोलकर भष्म करना शुरू कर दिया। शनिदेव सशरीर जलने लगे। ब्रह्मांड में कोलाहल मच गया। सूर्यपुत्र शनि की रक्षा में सारे देव विफल हो गए। सूर्य भी अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र को जलता हुआ देखकर ब्रह्मा जी से बचाने हेतु विनय करने लगे।अन्ततः ब्रह्मा जी स्वयम् पिप्पलाद के सम्मुख पधारे और शनिदेव को छोड़ने की बात कही किन्तु पिप्पलाद तैयार नहीं हुए।ब्रह्मा जी ने एक के बदले दो वर मांगने की बात कही। तब पिप्पलाद ने खुश होकर निम्नवत दो वरदान मांगे…
1- जन्म से 5 वर्ष तक किसी भी बालक की कुंडली में शनि का स्थान नहीं होगा।जिससे कोई और बालक मेरे जैसा अनाथ न हो।
2- मुझ अनाथ को शरण पीपल वृक्ष ने दी है। अतः जो भी व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएगा उसपर शनि की महादशा का असर नहीं होगा।
 
     ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह वरदान दिया। तब पिप्पलाद ने जलते हुए शनि को अपने ब्रह्मदण्ड से उनके पैरों पर आघात करके उन्हें मुक्त कर दिया। जिससे शनिदेव के पैर क्षतिग्रस्त हो गए और वे पहले जैसी तेजी से चलने लायक नहीं रहे। अतः तभी से शनि “शनै:चरति य: शनैश्चर:” अर्थात जो धीरे चलता है वही शनैश्चर है, कहलाये और शनि आग में जलने के कारण काली काया वाले अंग भंग रूप में हो गए।
      
       सम्प्रति शनि की काली मूर्ति और पीपल वृक्ष की पूजा का यही धार्मिक हेतु है। आगे चलकर पिप्पलाद ने प्रश्न उपनिषद की रचना की,
जो आज भी ज्ञान का वृहद भंडार है…..!!
कर्मफल चार प्रकारके होते हैं –
    (१) दृष्ट कर्मफल – वर्तमानमें किये जानेवाले नये कर्मोंका फल, जो तत्काल प्रत्यक्ष मिलता हुआ दीखता है; जैसे – भोजन करनेसे तृप्ति होना आदि।
    (२) अदृष्ट कर्मफल – वर्तमानमें किये जानेवाले नये कर्मोंका फल, जो अभी तो संचितरूपसे संगृहीत होता है, पर भविष्यमें इस लोक और परलोकमें अनुकूलता या प्रतिकूलताके रूपमें मिलेगा।
    (३) प्राप्त कर्मफल – प्रारब्धके अनुसार वर्तमानमें मिले हुए शरीर, जाति, वर्ण, धन, सम्पत्ति, अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थिति आदि।
    (४) अप्राप्त कर्मफल – प्रारब्ध-कर्मके फलरूपमें जो अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थिति भविष्यमें मिलनेवाली है।
    उपर्युक्त चार प्रकारके कर्मफलमें दृष्ट और अदृष्ट कर्मफल ‘क्रियमाण-कर्म, के अधीन हैं तथा प्राप्त और अप्राप्त कर्मफल ‘प्रारब्ध-कर्म’ के अधीन हैं। कर्मफलका त्याग करनेका अर्थ है – दृष्ट कर्मफलका आग्रह नहीं रखना तथा मिलनेपर प्रसन्न या अप्रसन्न न होना; अदृष्ट कर्मफलकी आशा न रखना; प्राप्त कर्मफलमें ममता न करना तथा मिलनेपर सुखी या दुःखी न होना और अप्राप्त कर्मफलकी कामना न करना कि मेरा दुःख मिट जाय और सुख हो जाय।
    साधारण मनुष्य किसी-न-किसी कामनाको लेकर ही कर्मोंका आरम्भ करता है और कर्मोंकी समाप्तितक उस कामनाका चिन्तन करता रहता है। जैसे व्यापारी धनकी इच्छासे व्यापार आरम्भ करता है तो उसकी वृत्तियाँ धनके लाभ और हानिकी ओर ही रहती हैं कि लाभ हो जाय, हानि न हो। धनका लाभ होनेपर प्रसन्न होता है और हानि होनेपर दुःखी होता है। इसी तरह सभी मनुष्य स्त्री, पुत्र, धन, मान, बड़ाई आदि कोई-न-कोई अनुकूल फलकी इच्छा रखकर ही कर्म करते हैं। परन्तु कर्मयोगी फलकी इच्छाका त्याग करके कर्म करता है।
    यहाँ स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि अगर कोई इच्छा ही न हो तो कर्म करें ही क्यों? इसके उत्तरमें सबसे पहली बात तो यह है कि कोई भी मनुष्य किसी भी अवस्थामें कर्मोंका सर्वथा त्याग नहीं कर सकता (गीता ३/५)। यदि ऐसा मान भी लिया जाय कि मनुष्य बहुत अंशोंमें कर्मोंका स्वरूपसे त्याग कर सकता है, तो भी मनुष्यके भीतर जबतक संसारके प्रति राग है, तबतक वह शान्तिसे (कर्म किये बिना) नहीं बैठ सकता। उससे विषयोंका चिन्तन अवश्य होगा, जो कि कर्म है। विषयोंका चिन्तन होनेसे वह क्रमशः पतनकी ओर चला जायगा (गीता २/६२-६३वाँ श्लोक)। इसलिये जबतक रागका सर्वथा अभाव नहीं हो जाता, तबतक मनुष्य कर्मोंसे छूट नहीं सकता। कर्म करनेसे पुराना राग मिटता है और निःस्वार्थभावसे केवल परहितके लिये कर्म करनेसे नया राग पैदा नहीं होता।
    विचारपूर्वक देखा जाय तो कर्मफलकी इच्छा रखकर कर्म करना बड़ी बेसमझी है। पहली बात तो यह है कि जब प्रत्येक कर्म आरम्भ और समाप्त होनेवाला है, तब उसका फल नित्य कैसे होगा? फल भी प्राप्त होकर नष्ट हो जाता है। तात्पर्य यह है कि कर्म और कर्मफल – दोनों ही नाशवान् हैं। या तो फल नहीं रहेगा, या हमारा कहलानेवाला शरीर नहीं रहेगा। दूसरी बात, इच्छा रखें या न रखें, जो फल मिलनेवाला है, वह तो मिलेगा ही। इच्छा करनेसे अधिक फल मिलता हो और इच्छा न करनेसे कम फल मिलता हो, ऐसी बात नहीं है। अतः फलकी कामना करना बेसमझी है।
    निष्कामभावसे अर्थात् फलकी कामना न रखकर लोकहितार्थ कर्म करनेसे कर्मोंसे सम्बन्ध-विच्छेद हो जाता है। कर्मयोगीके कर्म उद्देश्यहीन अर्थात् पागलके कर्मकी तरह नहीं होते, प्रत्युत परमात्मतत्त्वकी प्राप्तिका महान् उद्देश्य रखकर ही वह लोकहितार्थ सब कर्म करता है। उसके कर्मोंका लक्ष्य परमात्मतत्त्व रहता है, सांसारिक पदार्थ नहीं। शरीरमें ममता न रहनेसे उसमें आलस्य, अकर्मण्यता आदि दोष नहीं आते, प्रत्युत वह कर्मोंको सुचारुरूपसे और तत्परताके साथ करता है।
*🌺धर्म रहस्य समूह🌺*

*धर्म-अधर्म के बीच में यदि आप तटस्थ हैं, तो आप अधर्म का साथ देते हैं, ऐसा श्रीकृष्ण ने कहा है.*

भीम ने गदा युद्ध के नियम तोड़ते हुए दुर्योधन को कमर के नीचे मारा
ये देख बलराम बीच में आए और भीम की हत्या करने की ठान ली।

तब श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम से कहा.

आपको कोई अधिकार नहीं है इस युद्ध में बोलने का क्योंकि आप न्यूट्रल रहना चाहते थे ताकि आपको न कौरवों का, न पांडवों का साथ देना पड़े। इसलिए आप चुपचाप तीर्थ यात्रा का बहाना करके निकल लिए।

(१) भीम को दुर्योधन ने विष दिया तब आप न्यूट्रल रहे,
(२) पांडवो को लाक्षागृह में जलाने का प्रयास किया गया, तब आप तटस्थ रहे,
(३) द्यूत क्रीड़ा में छल किया गया तब आप न्यूट्रल रहे,
(४) द्रौपदी का वस्त्रहरण किया आप न्यूट्रल रहे,
(५) अभिमन्यु की सारे युद्ध नियम तोड़ कर हत्या की गयी, तब भी आप तटस्थ रहे!

आपने न्यूट्रल रह कर, मौन रह कर, दुर्योधन के हर अधर्म का साथ ही दिया! अब आपको कोई अधिकार नहीं है कि आप कुछ बोलें।
*क्योंकि धर्म-अधर्म के युद्ध में यदि आप न्यूट्रल रहते हैं तो आप भी अधर्म का साथ दे रहे हैं…*

आज हमारा ये देश 712 ई. से धर्म युद्ध लड़ रहा है और हर नागरिक इसमें एक सैनिक है!

यदि मैं तटस्थ रह कर अधर्म का साथ देता हूँ तो मुझे भी अधिकार नहीं है शिकायत करने का कि देश में ऐसा वैसा बुरा क्यों हो रहा है, यदि मैं उस बुरे का विरोध नहीं करता।🕉🐚