आज का पंचाग आपका राशि फल, विवाह एक संस्कार है उसे आडम्बर और फैशन शो बनाने के परिणाम आगे की संस्कृति और संतति पर परिलक्षित होते हैं

*दिनाँक -: 02/09/2021,गुरुवार*
दशमी, कृष्ण पक्ष
श्रावण/ भाद्रपद
“”””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

तिथि————- दशमी 06:21:19 तक
पक्ष—————————-कृष्ण
नक्षत्र—————आर्द्रा14:55:51
योग————— सिद्वि 10:07:29
करण———-विष्टि भद्र 06:21:19
करण—————- बव 19:07:28
वार————————- गुरूवार
माह————————- भाद्रपद
चन्द्र राशि——————- मिथुन
सूर्य राशि——————— सिंह
रितु—————————–वर्षा
सायन————————–शरद
आयन——————- दक्षिणायण
संवत्सर———————— प्लव
संवत्सर (उत्तर)——— आनंद
विक्रम संवत——————2078
विक्रम संवत (कर्तक) —–2077
शाका संवत—————– 1943

वृन्दावन
सूर्योदय—————– 05:59:41
सूर्यास्त—————— 18:37:33
दिन काल————– 12:37:52
रात्री काल—————- 11:22:35
चंद्रास्त—————– 15:34:54
चंद्रोदय—————— 26:01:02

लग्न—-सिंह 15°37′ , 135°37′

सूर्य नक्षत्र————- पूर्वाफाल्गुनी
चन्द्र नक्षत्र———————आर्द्रा
नक्षत्र पाया——————–रजत

*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*

ङ—- आर्द्रा 08:23:28

छ—- आर्द्रा 14:55:51

के—- पुनर्वसु 21:25:53

को—- पुनर्वसु 27:53:26

*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= सिंह 15°32 ‘ पू o फा o , 1 मो
चन्द्र =मिथुन 15°23′ आर्द्रा , 3 ङ
बुध = कन्या 09°57 ‘ उ oफा o ‘ 4 पी
शुक्र= कन्या 25°55, चित्रा ‘1 पे
मंगल=सिंह 27°30 ‘ उ o फा o ‘ 1 टे
गुरु=कुम्भ 01°30 ‘ धनिष्ठा , 3 गु
शनि=मकर 14°43 ‘ श्रवण ‘ 2 खू
राहू=(व)वृषभ 11°50′ रोहिणी , 1 ओ
केतु=(व)वृश्चिक 11°50 अनुराधा , 3 नु

*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*

राहू काल 13:53 – 15:28 अशुभ
यम घंटा 05:59 – 07:34 अशुभ
गुली काल 09:09 – 10:44 अशुभ
अभिजित 11:53 -12:44 शुभ
दूर मुहूर्त 10:12 – 11:03 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:15 – 16:06 अशुभ

💮चोघडिया, दिन
शुभ 05:59 – 07:34 शुभ
रोग 07:34 – 09:09 अशुभ
उद्वेग 09:09 – 10:44 अशुभ
चर 10:44 – 12:19 शुभ
लाभ 12:19 – 13:53 शुभ
अमृत 13:53 – 15:28 शुभ
काल 15:28 – 17:03 अशुभ
शुभ 17:03 – 18:38 शुभ

🚩चोघडिया, रात
अमृत 18:38 – 20:03 शुभ
चर 20:03 – 21:28 शुभ
रोग 21:28 – 22:54 अशुभ
काल 22:54 – 24:19* अशुभ
लाभ 24:19* – 25:44* शुभ
उद्वेग 25:44* – 27:09* अशुभ
शुभ 27:09* – 28:35* शुभ
अमृत 28:35* – 30:00* शुभ

💮होरा, दिन
बृहस्पति 05:59 – 07:03
मंगल 07:03 – 08:06
सूर्य 08:06 – 09:09
शुक्र 09:09 – 10:12
बुध 10:12 – 11:15
चन्द्र 11:15 – 12:19
शनि 12:19 – 13:22
बृहस्पति 13:22 – 14:25
मंगल 14:25 – 15:28
सूर्य 15:28 – 16:31
शुक्र 16:31 – 17:34
बुध 17:34 – 18:38

🚩होरा, रात
चन्द्र 18:38 – 19:34
शनि 19:34 – 20:31
बृहस्पति 20:31 – 21:28
मंगल 21:28 – 22:25
सूर्य 22:25 – 23:22
शुक्र 23:22 – 24:19
बुध 24:19* – 25:16
चन्द्र 25:16* – 26:13
शनि 26:13* – 27:09
बृहस्पति 27:09* – 28:06
मंगल 28:06* – 29:03
सूर्य 29:03* – 30:00

*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

🐏मेष
प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक कार्यों में रुचि रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। नौकरी में प्रशंसा होगी। कार्यसिद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। चोट व रोग से बचें। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। पारिवारिक सहयोग मिलेगा।

🐂वृष
चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। यश बढ़ेगा। दूर से शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। घर में मेहमानों का आगमन होगा। कोई मांगलिक कार्य हो सकता है। आत्मविश्वास बढ़ेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।

👫मिथुन
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। भागदौड़ अधिक रहेगी। थकान व कमजोरी महसूस होगी। आय में निश्चितता रहेगी। व्यापार ठीक चलेगा। निवेश सोच-समझकर करें। राजभय रहेगा। वाणी पर नियंत्रण रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। यात्रा में जल्दबाजी न करें।

🦀कर्क
शरीर में कमर व घुटने आदि के दर्द से परेशानी हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। शत्रुभय रहेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य अनुकूल रहेंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। भाइयों का सहयोग मिलेगा। परिवार में मांगलिक कार्य हो सकता है।

🐅सिंह
कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। शारीरिक कष्ट संभव है। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। प्रमाद न करें।

🙍‍♀️कन्या
धार्मिक अनुष्ठान पूजा-पाठ इत्यादि का कार्यक्रम आयोजित हो सकता है। कोर्ट-कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। मानसिक शांति रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। समय अनुकूल है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। शारीरिक कष्ट संभव है।

⚖️तुला
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। किसी बड़ी समस्या से मुक्ति मिल सकती है। किसी न्यायपूर्ण बात का भी विरोध हो सकता है। विवाद न करें। कुबुद्धि हावी रहेगी। चोट व रोग से बचें।

🦂वृश्चिक
पुराना रोग उभर सकता है। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। स्वाभिमान को ठेस लग सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी।

🏹धनु
कुसगंति से बचें। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। पुराना रोग उभर सकता है। किसी दूसरे व्यक्ति की बातों में न आएं। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यापार अच्‍छा चलेगा। नौकरी में मातहतों से कहासुनी हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें।

🐊मकर
शत्रु पस्त होंगे। सुख के साधनों की प्राप्ति पर व्यय होगा। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। बड़ा लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। भाग्य का साथ रहेगा। शेयर मार्केट से लाभ होगा।

🍯कुंभ
सुख के साधन प्राप्त होंगे। नई योजना बनेगी। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक काम करने की इच्छा रहेगी। मान-सम्मान मिलेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।

🐟मीन
किसी मांगलिक कार्य में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। किसी वरिष्ठ प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कष्ट व भय सताएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा।

🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
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ज्योतिष आचार्य पांडुरंगरावशास्त्री
ज्योतिष शास्त्र, वास्तुशास्त्र, वैदिक अनुष्ठान व समस्त धार्मिक कार्यो के लिए संपर्क करें:
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Email- pigweshastri@gmail.com विवाह 16 संस्कारों में एक है उसे आडम्बर और फैशन शो बनाने के परिणाम आगे की संस्कृति और संतति पर परिलक्षित होते हैं

जब विवाह आदि के समय भी डीजे पर ऐसे ऐसे गाने बजते हैं “मधुवन में कन्हैया किसी गोपी से मिले, कभी मुस्काये कभी छेड़े कभी बात करे, राधा कैसे न जले”
क्या आप सोच सकते हैं कि इसतरह के गीत से हमारे महापुरुषों की कैसी छवि बनती है?
अपने इतिहास, संस्कृति, धर्मग्रन्थों, महापुरुषों आदि को कलंकित करने वाली संसार में कोई जाति है तो वह हिन्दू हैं। जिसने अपने एतिहासिक महापुरुषों के सत्य के यथार्थ स्वरूप को ना तो समझा है और ना ही अपनाया है। जिस तरह सदियों से योगीराज श्रीकृष्ण को भोगी, विलासी, लम्पट, पनघट पर गोपिकाओं को छेड़ने वाला आदि सुनाया व बताया गया है। और आज की पीढ़ी ऐसी ही गलत बातों को सत्य व ऐतिहासिक मान रही है। कोई भी ऐसी गलत बातों को रोकने वाला नहीं है। प्रतिवर्ष श्रीकृष्ण के जन्म को जन्माष्टमी के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। रास-लीलाएं व रसीले श्रृंगारिक कार्यक्रम होते हैं। लेकिन श्रीकृष्ण जी की शिक्षाओं उपदेशों पर कहीं भी चिन्तन मनन नजर नही आता। जबकि ये सब अवसर महापुरुषों के विचारों पर चिन्तन-मनन का अवसर है जिससे हमें उनके आचरण को अपने जीवन मे धारण करने की शिक्षा मिलती है। तथा जन्मोत्सव मनाने की सार्थकता सिद्ध होती है। दुर्भाग्य से दुनिया के नादान लोगों ने उस योगीराज श्रीकृष्ण के सत्य स्वरुप को नहीं जाना।
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए विश्व की समस्त आर्यसमाजें श्रावणी पूर्णिमा से जन्माष्टमी तक वेद प्रचार का आयोजन कर श्रावणी का पर्व मनाती हैं।
महाभारत प्रमाणित करता है कि श्रीकृष्ण की एक ही पत्नी थी रुक्मिणी। श्रीकृष्ण ने बारह वर्ष ब्रह्मचर्य का पालन किया फिर प्रद्युम्न जैसा पुत्र उत्पन्न हुआ। लेकिन हम अपने महापुरुषों को खुद ही बदनाम करते हैं और विधर्मियों की कब्रों पर जाकर माथा टेकते हैं। श्रीकृष्ण जी महाराज का पूरा जीवन कर्म क्षेत्र का रहा। बचपन से लेकर युवावस्था तक गुरु सन्दीपन के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की और फिर सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्था में सुधार किया। जरा विचार करें कि उन्हें रास रचाने का समय ही कब मिला? पूरी उम्र तो उन्होंने योगी बनकर बिताई और और गीता का बहुमूल्य उपदेश दिया।
महाभारत में श्रीकृष्ण ने अपनी भूमिका बड़ी कुशलता निपुणता, कूटनीति एवं सक्रियता से निभाई। सत्य-न्याय, धर्म और मानवता की रक्षा के लिए नाना रूप धारण करने पड़े। कई बार अपमान, विरोध व संघर्ष का जहर पीना पड़ा। ऐसे विरोधाभास में रहते हुए भी वे अपनी सारी जिंदगी में कभी निराश, हताश, उदास एवं दुःखी नजर नहीं आए। यदि किसी महापुरुष में वेद, दर्शन, योग, आध्यात्म, इतिहास साहित्य, संगीत, कला, राजनीति, कूटनीति आदि सभी एकसाथ देखने हैं तो वह योगिराज श्रीकृष्ण हैं।
श्री कृष्ण तो संसार में आये और महान गुणों को धारण कर उत्तम कर्म कर के चले गए, हमे भी उनके चित्र नहीं वरन चरित्र की पूजा कर उनका अनुसरण करना चाहिए।
उस योगेश्वर श्रीकृष्ण को कोटि-कोटि नमन।