आज का पंचाग आपका राशि फल, सनातन धर्म में अरण्यक तादात्म्य की संस्कृति रही है यहां केवल गृहस्थ आश्रम गांव नगर में जबकि ब्रह्मचर्य वानप्रस्थ और सन्यास आश्रम वनों में बिताने व्यवस्था थी, देवी-देवताओं के वाहन पशु ही क्यों हैं!

🕉श्री हरिहरो विजयतेतराम🕉
🌄सुप्रभातम🌄
🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌻गुरुवार, ९ सितंबर २०२१🌻

सूर्योदय: 🌄 ०६:०६
सूर्यास्त: 🌅 ०६:२९
चन्द्रोदय: 🌝 ०८:०४
चन्द्रास्त: 🌜२०:१२
अयन 🌕 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: ❄️ शरद
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 भाद्रपद
पक्ष 👉 शुक्ल
तिथि 👉 तृतीया (२४:१८ तक)
नक्षत्र 👉 हस्त (१४:३१ तक)
योग 👉 शुक्ल (२०:४३ तक)
प्रथम करण 👉 तैतिल (१३:२६ तक)
द्वितीय करण 👉 गर (२४:१८ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 सिंह
चंद्र 🌟 तुला (२५:४४ से)
मंगल 🌟 कन्या (अस्त, पश्चिम, मार्गी)
बुध 🌟 कन्या (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 तुला (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰माता नन्दादेवी सनातन धर्म संस्कृति की झलक

शुभाशुभ मुहूर्त विचार
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:४९ से १२:३९
अमृत काल 👉 ०८:५२ से १०:२२
रवियोग 👉 १४:३१ से २९:५९
विजय मुहूर्त 👉 १४:१९ से १५:०९
गोधूलि मुहूर्त 👉 १८:१७ से १८:४१
निशिता मुहूर्त 👉 २३:५१ से २४:३७
राहुकाल 👉 १३:४८ से १५:२२
राहुवास 👉 दक्षिण
यमगण्ड 👉 ०५:५८ से ०७:३२
होमाहुति 👉 सूर्य – १४:३१ तक
दिशाशूल 👉 दक्षिण
अग्निवास 👉 आकाश
चन्द्रवास 👉 दक्षिण (पश्चिम २५:४५ से)
शिववास 👉 सभा में (२४:१८ क्रीड़ा में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ – शुभ २ – रोग
३ – उद्वेग ४ – चर
५ – लाभ ६ – अमृत
७ – काल ८ – शुभ
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ – अमृत २ – चर
३ – रोग ४ – काल
५ – लाभ ६ – उद्वेग
७ – शुभ ८ – अमृत
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
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पश्चिम-दक्षिण (दही का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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श्री वराह अवतार जयन्ती, हरितालिका
(केवड़ा) तीज व्रत, सामवेदीय उपाकर्म,
विवाहादि मुहूर्त (हिमाचल, पंजाब, कश्मीर, हरियाणा) आदि के लिये मेष लग्न रात्रि ०८:२३ से १०:०४ तक, नीवखुदाई एवं गृहारम्भ मुहूर्त प्रातः ०६:१२ से ०७:४३ तक, गृहप्रवेश मुहूर्त+उद्योग-मशीनरी+भूमि-भवन क्रय-विक्रय+व्यवसाय आरम्भ+वाहनादि क्रय-विक्रय+देवप्रतिष्ठा मुहूर्त प्रातः १०:५१ से दोपहर ०३:३१ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १४:३१ तक जन्मे शिशुओ का नाम
हस्त नक्षत्र के तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (ण, ठ) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओं का नाम चित्रा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण अनुसार क्रमश (पे, पो, रा) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
सिंह – २८:१७ से ०६:३६
कन्या – ०६:३६ से ०८:५४
तुला – ०८:५४ से ११:१५
वृश्चिक – ११:१५ से १३:३४
धनु – १३:३४ से १५:३८
मकर – १५:३८ से १७:१९
कुम्भ – १७:१९ से १८:४५
मीन – १८:४५ से २०:०८
मेष – २०:०८ से २१:४२
वृषभ – २१:४२ से २३:३७
मिथुन – २३:३७ से २५:५२
कर्क – २५:५२ से २८:१३
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पञ्चक रहित मुहूर्त
रोग पञ्चक – ०५:५८ से ०६:३६
शुभ मुहूर्त – ०६:३६ से ०८:५४
मृत्यु पञ्चक – ०८:५४ से ११:१५
अग्नि पञ्चक – ११:१५ से १३:३४
शुभ मुहूर्त – १३:३४ से १४:३१
रज पञ्चक – १४:३१ से १५:३८
शुभ मुहूर्त – १५:३८ से १७:१९
चोर पञ्चक – १७:१९ से १८:४५
शुभ मुहूर्त – १८:४५ से २०:०८
शुभ मुहूर्त – २०:०८ से २१:४२
चोर पञ्चक – २१:४२ से २३:३७
शुभ मुहूर्त – २३:३७ से २४:१८
रोग पञ्चक – २४:१८ से २५:५२
शुभ मुहूर्त – २५:५२ से २८:१३
मृत्यु पञ्चक – २८:१३ से २९:५९
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज दिन में आरंभिक भाग से ही आप व्यावसायिक एवं अन्य आवश्यक कार्यो के लिए जोड़-तोड़ करना आरंभ कर देंगे इसका सकारत्मक परिणाम मध्यान बाद से मिलने लगेगा। धन की आमद को लेकर मध्यान तक उदासी रहेगी संध्या के समय अकस्मात प्राप्ती होने पर प्रसन्न रहेंगे अपनी मनोकामनाओ को पूर्ण कर सकेंगे घर एवं कार्य क्षेत्र का वातावरण सहयोगी रहेगा। महिलाये किसी का साथ मिलने से अधूरे कार्य पूर्ण कर लेंगी अस्त-व्यस्त कार्यो को भी सुव्यवस्थित करेंगी। सार्वजनिक कार्यो में सहभागिता देने पर सम्मान के अधिकारी बनेंगे। परिवार में यात्रा पर्यटन की योजना बनेगी। घर के बुजुर्ग आज आपसे किसी बात पर असहमत हो सकते है। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।

वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आपका स्वभाव आवश्यकता से अधिक स्वार्थी रहेगा हर काम मे अपना लाभ देखेंगे बिना स्वार्थ के आज किसी से बात करना भी पसंद नही करेंगे। काम-धंधा मध्यान तक धीमा रहेगा इसके बाद अकस्मात उछाल आएगा। ना चाहकर भी किसी से आर्थिक व्यवहार करने पड़ेंगे। घरेलू कार्य के कारण भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। सरकारी कार्य आज ना ही करें समय धन खराब होगा। संध्या का समय अधिक थकान वाला परन्तु दिन की अपेक्षा अधिक लाभदायक रहेगा आकस्मिक धन लाभ होने से थकान भूल जाएंगे। आप जिस कार्य की योजना बनाएंगे उसके संध्या बाद अथवा आने वाले कल में पूर्ण होने की संभावनाएं है। सेहत को लेकर परेशानी होगी शारीरिक दर्द अथवा कब्ज पित्त की शिकायत रहेगी।

मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज दिन के पूर्वार्ध में लोग आपको उकसाने वाली बाते करेंगे लेकिन दोपहर तक मौन रहने का प्रयास करें महिलाये विशेषकर बेतुकी बयानबाजी से बचे अन्यथा बाद में पश्चाताप करने से भी कोई लाभ नही होगा। मान हानि के प्रबल योग बन रहे है किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्य से बचें। दोपहर के बाद सभी क्षेत्रों में आपका प्रभाव फिर से बनने लगेगा। आपकी वैचारिक एवं कल्पना शक्ति में वृद्धि होगी काम-धंधे की गलती भी सामान्य बनेगी खर्च निकालने लायक धन आसानी से मिल जाएगा। आज घर के सदस्यों की फरमाइशें खत्म नही होंगी इन्हें पूरा करने में धन खर्च होगा फिर भी शांति नही मिलेगी। महिलाये आज धनवानों जैसी जीवनशैली जीने की सोच के कारण अंदर से बेचैन रहेंगी।

कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिए हर तरह से बेहतर रहने वाला है बस अकस्मात आने वाले क्रोध पर नियंत्रण जरूर रखें अन्यथा बने बनाये काम आपकी ही गलती से खराब होंगे। कार्य व्यवसाय के साथ ही सामाजिक क्षेत्र पर आपको भाग्योदय के अवसर मिलेंगे। विरोधियों का सामना भी करना पड़ेगा लेकिन आपकी व्यवहार कुशलता एवं व्यक्तित्त्व के प्रभाव से सब पर विजय पा लेंगे। नौकरी वाले लोग अपने बेहतर कार्य के लिए सम्मानित होंगे सार्वजनिक क्षेत्र से नई पहचान एवं संबंध जुड़ेंगे। धन संबंधित कार्यो में थोड़ी लापरवाही करेंगे फिर भी संतोषजनक स्थिति रहेगी खर्च आज कम ही रहेंगे आसानी से निकल जाएंगे। मित्र रिश्तेदारों से हास-परिहास में तकरार हो सकती है सतर्क रहें। घुटने अथवा अन्य जोड़ो संबंधित समस्या बनेगी।

सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज के दिन आपको मिले जुले फल मिलेंगे। दिन के आरंभ से मध्यान तक सभी कार्य सामान्य गति से चलते रहेंगे धन लाभ की संभावनाएं बनी रहेंगी थोड़ा बहुत हो भी जाएगा लेकिन दोपहर बाद स्थिति एकदम विपरीत होने से अधिकांश कार्य अधूरे रह जाएंगे कार्य क्षेत्र एवं घर मे किसी भी प्रकार का नुकसान हो सकता है। कोई भी कार्य दोपहर बाद के लिये ना टालें। किसी महत्त्वपूर्ण कार्य को लेकर आप अड़ियल रवैया अपनाएंगे अनुभवी की सहायता लेना आवश्यक है। आर्थिक रूप से दिन सामान्य रहेगा आमद खर्च अनुसार हो जाएगी लेकिन भविष्य के खर्च आज ही आने से चिंतित रहेंगे। सार्वजनिक क्षेत्र में कम ही बोले सम्मान बने रहने के लिये बेहतर रहेगा। गुप्त मानसिक चिंताओं को छोड़ स्वास्थ्य ठीक रहेगा।

कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आपकी कल्पनाओं को नई दिशा देगा। पूर्व में लिए गए निर्णय हर प्रकार से आपके सौभाग्य में वृद्धि कारक रहेंगे। घरेलू सुख के साधन अथवा व्यावसायिक उपकरणों की खरीददारी पर खर्च करेंगे। आर्थिक रूप से दिन अच्छा रहेगा उधार दिया धन वापस मिलने की संभावना है। लाभ पाने के लिये आज गंभीर होना अतिआवश्यक है। धन लाभ भी आवश्यकता अनुसार लेकिन अकस्मात ही होगा। पारिवारिक वातावरण खुशहाल बना रहेगा परिजनों की आवश्यकता पूर्ति हेतु अतिरिक्त खर्च एव थोड़ी दौड़ धूप करनी पड़ेगी परन्तु इससे आपको संतोष ही होगा महिलाये फिजूल खर्च पर नियंत्रण करेंगी। संध्या का समय आनंद मनोरंजन में व्यतीत होगा। किसी से बहस ना करें।

तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज भी मध्यान तक का समय हानिकारक रहेगा इस अवधि में कोई भी महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें ना ही किसी भी प्रकार का निवेश करें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। मध्यान से स्थिति अनुकूल बनने लगेगी। जो लोग आपसे असहमत थे वो स्वयं ही अपनी गलती मानेंगे।दोपहर बाद स्वभाव हास्य परिहास वाला रहेगा अपनी चंचल एवं बचकानी हरकतो से सभी को हंसने पर मजबूर कर देंगे परन्तु आपका स्वभाव परिवर्तन भी थोड़ी-थोड़ी देर में होने के कारण आपके मन की भावनाये समझना मुश्किल होगा। कार्य क्षेत्र पर ज्यादा दिमाग लड़ाने का प्रयास ना करें स्वाभाविक रूप से कार्य होने दे लाभ में रहेंगे। धन की आमद अन्य दिनों की अपेक्षा कम होगी। बदलते मौसम के कारण शरीर मे विकार आ सकता है।

वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज भी दिन का पूर्वार्ध भाग आशा के अनुकूल रहेगा। महत्त्वपूर्ण कार्य स्वतः ही बनते चले जाएंगे। किसी पुराने परिचित द्वारा धन लाभ होगा। आज सामाजिक व्यवहार कम ही रखें किसी अन्य की गलती पर आपकी बदनामी हो सकती है। मध्यान बाद सेहत में गिरावट आने लगेगी। आवश्यक कार्य पहले ही कर लें अन्यथा इसके बाद लंबे समय के लिये टल सकते है। आज आपकी समाज के उच्चवर्गीय लोगो से जान पहचान बनेगी परन्तु सभी आपसे स्वार्थ सिद्धि के लिए व्यवहार करेंगे। परिजनों के अलावा आज कोई अन्य हितैषी नही मिलेगा। राजनीतिक सोच वाले लोगो से सावधान रहें। धन लाभ आज लेदेकर अवश्य ही होगा। सेहत का विशेष ध्यान रखें।

धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज दिन के आरंभिक भाग में लाभ के कई अवसर मिलेंगे इन्हें खाली ना जाने दे व्यवसायी वर्ग आज लालच में ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर से बचे अन्यथा होने वाले लाभ से भी हाथ धो बैठेंगे। जो भी निर्णय ले तुरंत लें पूर्वार्ध जैसी सुविधा दिन के अन्य भाग में नही मिलेगी।
आवश्यकता अनुसार धन लाभ आज अवश्य होगा व्यावसायिक क्षेत्र पर नए कार्यानुबन्ध मिलने से भविष्य के प्रति निश्चिन्त रहेंगे अतिरिक्त आय बनाने में सफल होंगे। पैसों से किसी की भी मदद करने के लिये तैयार रहेंगे परन्तु व्यक्तिगत रूप से करने में असहज होंगे। महिलाये खरीददारी की योजना बनाएंगी व्यस्तता के चलते मन की इच्छाओं को पूर्ण नही कर सकेंगी। संतानों के कारण घर मे कलह हो सकती है बुजुर्ग आज आपकी कार्यशैली से सहमति रखेंगे।

मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज के दिन आप दिन भर किसी ना किसी कारण से व्यस्त रहेंगे व्यस्तता व्यर्थ के कार्यो में अधिक रहेगी। आर्थिक दृष्टिकोण से आज दिन लाभ की जगह खर्च वाला रहेगा खर्च पूर्व नियोजित रहेंगे फिर भी व्यर्थ की चीजों में धन नष्ट ना हो इसका ध्यान रखें। दोपहर बाद स्वयं के व्यवहार के प्रति सतर्क रहें किसी की सीधी बातो का उल्टा जवाब देने से आस-पास का वातावरण कलुषित होगा। कार्य क्षेत्र पर अव्यवस्था के चलते सीमित साधनों से काम करना पड़ेगा परिणाम स्वरूप धन की आमद भी अल्प मात्रा में ही होगी। आज आप तंत्र-मंत्र में भी रुचि लेंगे। सरकारी कार्यो कागजी कमी के कारण अधूरे रहेंगे। लंबी यात्रा से बचें अपव्यव अधिक होंगे। घर मे आवश्यकता पडने पर ही बोलें फायदे में रहेंगे।

कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज के दिन स्वभाव में भावुकता अधिक रहेगी। किसी की मामूली बात दिल से लगा कर उदास रहेंगे। मध्यान तक का समय अस्त-व्यस्त रहेगा इसके बाद सेहत में सुधार आने लगेगा रुके काम भी धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे। खर्च सोच समझ कर ही करें आर्थिक समस्या रहेगी। आपकी छवि भद्र इंसान के रूप में रहेगी। लोग इसका गलत फायदा भी उठा सकते है। ज्यादा परोपकारी बनने से हानि ही होगी। व्यवसायी वर्ग जिस काम को करने में संकोच करेंगे उसी से अधिक लाभ कमा सकेंगे। निवेश बेझिझक होकर करें भविष्य के लिए लाभदायक रहेगा। पारिवारिक स्थिति शांत रहेगी लेकिन आवश्यकता पूर्ति समय पर ना करने पर स्त्री संतानों से नाराजगी हो सकती है। वाहन चलाने में सतर्कता बरतें।

मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज के दिन भी परिस्थितियां अनुकूल रहने वाली है लेकिन आज शारीरिक समस्या अथवा किसी अन्य अवरोध के कारण निर्णय लेने में देरी करेंगे इससे कार्य रुकने पर लाभ आगे के लिये टलेगा। मध्यान के बाद की दिनचार्य अतिउत्तम रहेगी। धन के साथ ऐश्वर्य में भी वृद्धि होगी। परिजनों को आज किसी भी हालात में नाराज ना करें अन्यथा परिणाम सोच के विपरीत रहेंगे। पुरानी उधारी चुकता होने से राहत मिलेगी। महिलाये परिवार के लिये भाग्यशाली रहेंगी गृहस्थी की सभी उलझनों को सुलझाने में बराबर सहयोग करेगी। आज आप खर्च करने से पीछे नही हटेंगे फिर भी भाई बंधु आपसे ईर्ष्या भाव रखेंगे। सेहत बनी रहेगी। आनंद मनोरंजन के प्रसंग बनेंगे।
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〰〰〰〰〰🙏राधे राधे🙏

वैदिक संस्कृति अरण्य के बिना अधूरी है। सामवेद के दो गान है- अरण्य गान और ग्राम्य गान। वनों में गाया जानेवाला सामवेद अरण्य गान कहा जाता है।

वेद के चार प्रायोगिक रूप हैं- पाठ के लिए संहिता, यज्ञ के लिए ब्राह्मण, अन्तर्ज्ञान के लिए उपनिषद और एकांत ब्रह्म चिन्तन के लिए आरण्यक। इन चारों से जीवन पूर्णकाम होता है। रामायण के सप्त काण्डों में एक काण्ड अरण्य काण्ड है। यह अरण्य संस्कृति का भाग है।

सीतापहरण हो चुका है, राम व्याकुल होकर वन के वृक्षों, फूलों, लताओं से सीता के बारे में पूछ रहे हैं। मृगों के झुंड व्याकुल हैं वे दौड़ दौड़कर संकेत दे रहे हैं, आकाश की ओर सिर उठा उठाकर संकेत दे रहे हैं, पर्वतों पर चढ़कर संकेत दे रहे हैं- इधर से- दक्षिण दिशा में- आकाश मार्ग से , इस पर्वत के ऊपर से सीता का अपहरण करके उन्हें रावण ले गया।

वे प्राणी मुँह से बोल नहीं सकते तो क्या, वे अपनी बेचैनियों से राम को सीता का पता बता रहे हैं, दुख की घड़ी में राम के साथ खड़े हैं।पूरी सृष्टि राम की है प्राणिमात्र राम की प्रजा है, वह उनके सहयोग में है। रामायण हमें समष्टि की एकात्मता का बोध कराती है।

राम लक्ष्मण दोनों भाई मृगों के संकेत को समझ उनके बताए हुए रास्ते गए, जटायु से भेंट हुई। जटायु ने सीता की रक्षा के लिए युद्ध किया है, उन्होंने राम से रावण के बारे में बताया, यह भी बताया कि बिन्द नक्षत्र में सीता का अपहरण हुआ है। इस नक्षत्र में खोई हुई वस्तु अवश्य मिलती है, सीता तुम्हें अवश्य मिलेगी। जैसे बंसी में फँस कर मछली मर जाती है वैसे ही रावण भी सीता के लोभ में फँसकर मरेगा। यहीं से दुख के अंत का आरंभ हो गया।

सीता मृगों को बहुत प्यार करती थी, मारीच ने मायावी मृग बनकर सीता को मोहित किया था। मृग कलंकित हो गए थे। मृगनयनी सीता के अपहरण से मृग बहुत व्यथित थे। क्योंकि सीता के अपहरण में कपट के लिए उन्हीं के सुंदर सरल रूप का उपयोग हुआ था।

प्रकृति को सजीव नहीं समझनेवाले जाहिलों से हमें बोलना- बताना कठिन हो जाता है कि जाहिल लोगो ! सीखो समझो जानो, अभागो! तुम ब्राह्मण मारने की कोशिश करते हो, न। तुम पहले खुद जिन्दा रहना सीखो।

विश्व के सामने रामायण का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यही एक मात्र सर्वोत्तम जीवन आदर्श है। रामायण की लीला लोक रंजन के लिए है और रामायण की मर्यादा मानुषी आचरण के लिए। सीता अपहरण के बाद राम की व्याकुलता जैसे मानुषी लीला है वैसे ही सीता का निर्वासन भी प्रायोजित लीला है। यथार्थ कुछ और है।

इन प्रसंगों को ठीक से नहीं देखने वाले लोग गलत बयानी करते हैं, मनमाना कथानक छोड़ते हैं। सीता स्वयं वन में रहने की इच्छा व्यक्त करती हैं। वाल्मीकि आश्रम कोई वीरान जंगल नहीं था, वहाँ परस्पर बैर भुलाकर बाघ- बकरी एक घाट पर पानी पीते थे।

वहाँ की ब्रह्ममयी समष्टि में सीता मैया रम रही थीं, उनके गर्भ में रामराज्य का उत्तराधिकार पल रहा था, रामराज्य उनका ध्यान क्यों नहीं रखेगा।

जिस रात लव- कुश का जन्म हुआ, उस रात शत्रुघ्न वाल्मीकि आश्रम की पर्णकुटी में विद्यमान थे। राज प्रासाद छोड़ ऋषियों के सुरम्य आश्रमों में गर्भकाल व्यतीत करने की एक घटना नहीं है। बाद के इतिहास में उदयन की माता ने भी रामगिरी पर गर्भकाल बिताया था।

कैकेयी राम को वनवास दे रही थी, वह सीता के लिए भी चीर वसन लायी थी कि राम के साथ सीता भी राजभवन से निकल जाए। कैकेयी को वसिष्ठ ने फटकारा- सीता चीर नहीं पहनेगी, यह राजलक्ष्मी है, राम की अर्द्धांगिनी है, इसका वनवास नहीं हुआ है, राम वन जाएँगे, सीता का राज्याभिषेक होगा।

सीता ने ही राम के साथ रहने का दृढ़ व्रत लिया था, उन्होंने ही अपना राज्याभिषेक अस्वीकार किया। निर्णय यह हुआ कि सीता वन में भी राजोचित वस्त्राभूषण पहनकर रहेंगी। सीता जगदम्बा हैं मूल प्रकृति। विष्णुप्रिया वसुंधरा- यह भूमि।

वह किसी राजवैभव की सीमा में क्या स्वर्ग की सीमा में भी नहीं अँटेंगी।क्षीर सागर सुना है आपने- नाचते हुए अनेकानेक ब्रह्माण्डों का केन्द्र- निर्विकार हिरण्य नाभि! उधर कहीं शेष शैया पर नारायण के साथ नारायणी सीता बैठी रहती हैं।

धरती पर भी नारायण की रामायण लीला होती रहती है इस लीला में सीता मैया राम के साथ रहती हैं।आश्रम और राजकुल, ऋषि और राजा एक साथ लोक दायित्व का निर्वाह करते थे।

ब्रह्मचर्य, वनप्रस्थ और संन्यास तीनों आश्रम सुरम्य वन में प्रकृति की गोद में व्यतीत किए जाते थे। एक गार्हस्थ आश्रम ही ग्राम्य और नागर है।

आधुनिक सिरफिरे रासभ अध्येता वन्य जीवन को आदिवासी जंगली असभ्य बताते हैं इसी विदेशी नजरिया से बनी है अनुसूचित जनजाति की विकृत धारणा। ऋषियों-मुनियों की तपस्या स्थली, वेदाध्ययन की भूमि, यज्ञ- भूमि को असभ्य जंगली बर्बर लोगों का स्थान बताना हस्यास्पद ही नहीं, भारी मूर्खता और दण्ड्य अपराध भी है।

भूमि की समझ नहीं है और हमें ही भौतिकी पढ़ा रहे हो- तेरी मूर्खता पर मैं हँसूँ नहीं तो मुझे असह्य पीड़ा खाने लगती है।

ईसाई का आधुनिक, इस्लाम का तालिबान और कम्युनिस्ट का चीनी वुहान आज की दुनिया देख रही है। राम ने चाहा तो हम भी रामराज्य दिखा देंगे। वनों को ऋषियों के रहने और यज्ञ करने के योग्य बनाने के लिए ही श्रीराम ने बाल्यकाल से लेकर वनवास काल के चौदह वर्ष वन में बिताए।

वहदारण्यक उपनिषद में मनुष्य का वनों और वन्यजीवों से आत्मीयता और तादात्म्य का विस्तार से वर्णन और हजारों उदाहरण मिलते है। आज मनुष्य वनों की बजाय आजीवन शहरों में रहने लगे लेकिन मानव प्रवृति हिंसक और जंगली बन रही है! हमारी वनों के साथ समावेशी और गहन तादात्म्य रखने वाली अरण्यक संस्कृति को आधुनिक जाहिलों ने विनष्ट कर दिया है। इन्हें भारत के समाजशास्त्र का ज्ञान है ही नहीं और उल्टी पट्टी पढ़ाते आ रहे हैं। हम ही क्यों बताते फिरें कि”चौथेपन नृप कानन जाहीं’- का आशय क्या है ? राजा कानन में, विद्यार्थी उपवन में तपस्वी गहन वन में क्यों रहते थे?बहुतेरे सभ्यता विमर्शक ढोला मारु रा दुहा वाले सर्वजातीय वणिक पेट लेकर धूम रहे हैं, वही बता देंगे- सच क्या है।

अँग्रेज जाहिलों के चेलों को भारत की समाज संरचना क्यों समझायी जाए? उन्हें लूटने- खाने कटने- मरने दीजिए,‌ वे अब विक्षिप्त दशा में पहुँच चुके हैं। एक बुर्के में ढककर औरत पीट रहा है तो दूसरा औरत को स्लीम बनाकर रैम्प पर कैट वाक करवा रहा है। इन दोनों असुरों की खोपड़ी उलट गई है तो ये खुद को भी काट खाएँगे।

याद आ रहा है कि मैं ने पाञ्चजन्य के लिए 1992 में “भारतीय समाज संरचना की खोज” लिखा था।एक नवजात आदमी बोल रहा था- “छोड़िए पुरानी बातों को”, मैं ने सोचा कि मैंने ही गलत जगह बीन बजा दी है।

यह कटपीस आधुनिक नशे में है और मैं सतत सनातन में।
ऐसा कहीं होता है कि चिंतन पुराना हो जाए। हम गाँव के लोग हैं- वन्य जीवन को अभिन्न अंग मानते हैं। हम ऋषियों के वंशज मूलत: वनवासी ही हैं-

गोधन का गीत याद कीजिए, उससे आप की अरण्य परंपरा याद आ जाएगी–

“कवन भैया चल ले अहेरिया,
कवन बहिना दे ली असिस हो, ना।
भैया के सिर सोभे पगिया, भऊजी के सिर बाढ़े सेनूर हो, ना।
…. जीअ भैया लाख बरीस हो, ना।”

भाई शिकार पर जा रहा है, बहन बजरी खिलाकर वज्रांग होने का आशीष दे रही है।

यह सांस्कृतिक स्रोत बता रहा है कि हम भोजपुरिया लोग
जंगल में आखेट /अहेर करने वाले जंगली लोग है। 
——-
स्वयं याद रखने के लिए प्रश्न करता हूँ-
कौन है यह बहन जो भाई को रक्षा का आशीष देती है ?

मातृकाएँ, अहणियाँ ये सप्त- सप्त क्या हैं ?
वेद बताएगा- कुटुंब के नातों का रहस्य।

वेदांती स्वामी, योगी, वैरागी, मुमुक्षु संन्यासी, बौद्ध निर्वाणी, नेता नकली फकीर नहीं बता पाएँगे। ये लोग तो यह भी नहीं बता पाएँगे कि बहन रक्षक है, या रक्ष्य ?

गोधन का गीत बता रहा है कि बहन रक्षक है, रक्षा बाँध कर वह तुम्हें रक्षित करती है।

और तुम मुगलेतिहासी मुगालते में फँस गये कि रानी कर्णावती ने हुमायूं को राखी भेजी। भेजा उलट गया है, तो सब उल्टा ही समझ आएगा।

आज के आधुनिक भी जाहिल गाजी और पादरी की तरह वृत्ति छीनकर ब्राह्मण मार रहे हैं और आधुनिकता के नशे में परिवार और समाज संरचना तोड़ रहे हैं।

मैं श्रमिक हूँ आरक्षित नहीं, मैं ही क्यों बोलूँ कि अहणि क्या है?
मैं ही क्यों बताऊँ कि
तुम क्यों नहीं सुअह सुअह प्रसन्न मन से जागते हो?

पडे़ रहो तमस में, ब्राह्मण को गाली देते रहो।
तुम तो सुअह को सुबह कहते हो, सुअह नहीं जानते।

आधुनिक ने नहीं बताया कि सुअह क्या है? तब तुम अहणि कैसे जानोगे ?
तब माता, मात्रा, मातृका, वह्नि, अह, अहना, अहणि कैसे जानोगे? प्रकृति से अपनी चेतना का संबन्ध कैसे पहचानोगे?

कर्मकाण्डिक विषय है इसी पर भारतीय समाज संरचना आधारित है। 

देवताओं के वाहन पशु ही क्यों होते हैं ?
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किसी भी मंदिर में जाइए, देवी-देवताओं को देखिए, उनके साथ एक चीज सामान्य रूप से जुड़ी हुई है, वह है उनके वाहन।

लगभग सभी देवी-देवताओं वाहन पशुओं को ही माना गया है। शिव के नंदी से लेकर दुर्गा के शेर तक और विष्णु के गरूढ़ से लेकर इंद्र के ऐरावत हाथी तक लगभग सारे देवी-देवता पशुओं पर ही सवार हैं।

आखिर क्यों सर्वशक्तिमान भगवानों को पशुओं की सवारी की आवश्यकता पड़ी, जब की वे तो अपनी दिव्यशक्तियों से पलभर में कहीं भी आ-जा सकते हैं? क्यों हर भगवान के साथ कोई पशु जुड़ा हुआ है?

हमें इसमें अध्यात्मिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारणों से वाहनों के रूप पशु-पक्षियों को जोड़ा है। वास्तव में देवताओं के साथ पशुओं को उनके व्यवहार के अनुरूप जोड़ा गया है।

दूसरा सबसे बड़ा कारण है प्रकृति की रक्षा।

यदि पशुओं को भगवान के साथ नहीं जोड़ा जाता तो शायद पशु के प्रति हिंसा का व्यवहार और ज्यादा होता।

हर भगवान के साथ एक पशु को जोड़ कर भारतीय मनीषियों ने प्रकृति और उसमें रहने वाले जीवों की रक्षा का एक संदेश दिया है। हर पशु किसी न किसी भगवान का प्रतिनिधि है, उनका वाहन है, इसलिए इनकी हिंसा नहीं करनी चाहिए। मूलत: इसके पीछे एक यही संदेश सबसे बड़ा है।

आपको क्या लगता है? गणेश जी ने चूहों को यूं ही चुन लिया? या नंदी शिव की सवारी यूं ही बन गए?

देवताओं ने अपनी सवारी बहुत ही विशेष रूप से चुनी। यहां तक कि उनके वाहन उनकी चारित्रिक विशेषताओं को भी बताते हैं।

भगवान गणेश और मूषक गणेश जी का वाहन है मूषक। मूषक शब्द संस्कृत के मूष से बना है जिसका अर्थ है लूटना या चुराना। सांकेतिक रूप से मनुष्य का दिमाग मूषक, चुराने वाले यानी चूहे जैसा ही होताहै। यह स्वार्थ भाव से गिरा होता है। गणेश जी का चूहे पर बैठना इस बातका संकेत है कि उन्होंने स्वार्थ परविजय पाई है और जनकल्याण के भाव को अपने भीतर जागृत किया है।

शिव और नंदी
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जैसे शिव भोलेभाले, सीधे चलने वाले लेकिन कभी-कभी भयंकर क्रोध करने वाले देवता हैं तो उनका वाहन हैं नंदी बैल। संकेतों की भाषा में बैल शक्ति, आस्था व भरोसे का प्रतीक होता है। इसके अतिरिक्त भगवान के शिव का चरित्र मोह माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला बताया गयाहै। सांकेतिक भाषा में बैल यानी नंदी इन विशेषताओं को पूरी तरह चरितार्थ करते हैं। इसलिए शिव का वाहन नंदी हैं।

कार्तिकेय और मयूर
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कार्तिकेय का वाहन है मयूर। एक कथा के अनुसार यह वाहन उनको भगवान विष्णु से भेंट में मिला था। भगवान विष्णु ने कार्तिकेय की साधक क्षमताओं को देखकर उन्हें यह वाहन दिया था, जिसका सांकेतिक अर्थ था कि अपने चंचल मन रूपी मयूर को कार्तिकेय ने साध लिया है। वहीं एक अन्य कथा में इसे दंभ के नाशक के तौरपर कार्तिकेय के साथ बताया गया है।

मां दुर्गा और उनका शेर
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दुर्गा तेज, शक्ति और सामथ्र्य का प्रतीक है तो उनके साथ सिंह है। शेर प्रतीक है क्रूरता, आक्रामकता और शौर्य का। यह तीनों विशेषताएं मां दुर्गा के आचरण में भी देखने को मिलती है। यह भी रोचक है कि शेर की दहाड़ को मां दुर्गा की ध्वनि ही माना जाता है, जिसके आगे संसार की बाकी सभी आवाजें कमजोर लगती हैं।

मां सरस्वती और हंस
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हंस संकेतों की भाषा में पवित्रता और जिज्ञासा का प्रतीक है जो कि ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए सबसे बेहतर वाहन है। मां सरस्वती काहंस पर विराजमान होना यह बताता है कि ज्ञान से ही जिज्ञासा को शांत किया जा सकता है और पवित्रता को जस का तस रखा जा सकता है।

भगवान विष्णु और गरुड़
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गरुण प्रतीक हैं दिव्य शक्तियों और अधिकार के। भगवद् गीता में कहा गया है कि भगवान विष्णु में ही सारा संसार समाया है। सुनहरे रंग का बड़ेआकार का यह पक्षी भी इसी ओर संकेत करता है। भगवान विष्णु की दिव्यता और अधिकार क्षमता के लिए यह सबसे सही प्रतीक है।

मां लक्ष्मी और उल्लू
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मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू को सबसे अजीब चयन माना जाता है। कहा जाता है कि उल्लू ठीक से देख नहीं पाता, लेकिन ऐसा सिर्फ दिन के समय होता है। उल्लू शुभता और धन-संपत्ति के प्रतीक होते हैं।

ऐसे ही बाकी देवताओं के साथ भी पशुओं को उनके व्यवहार और स्वभाव केआधार पर जोड़ा गया।। जय श्री हरि ।।